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Ayurvedic Herbs for Kidney Stones: यूरिक एसिड से बन गया है किडनी में स्टोन? बिना सर्जरी पथरी का चूरा कर देंगी ये 10 जड़ी-बूटियां 

किडनी में स्टोन के दो बड़े कारण होते हैं. शरीर में यूरिक एसिड की अधिक मात्रा और हाई कैल्शियम के कारण स्टोन बनते हैं.

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Ayurvedic Herbs for Kidney Stones: यूरिक एसिड से बन गया है किडनी में स्टोन? बिना सर्जरी पथरी का चूरा कर देंगी ये 10 जड़ी-बूटिया�ं 

Home Remedies For Kidney Stone-Uric Acid

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डीएनए हिंदीः किडनी की पथरी दर्दनाक होती है और सही इलाज न हो तो ये इंफेक्शन की वजह भी बन जाती है.  किडनी में पथरी यानी स्टोन बनने के दो कारणों में यूरिक एसिड का हाई होना और कैल्शियम जैसे खनिजों और लवणों के चलते कैल्सीफिकेशन से होता है. वहीं एक और कारण है शरीर का हमेशा डिहाइट्रेट रहना.

कम तरल पदार्थ  लेने से किडनी शरीर के अपशिष्ट तरल पदार्थ को बेहतर तरीके से बाहर नहीं कर पाती है. जिससे कैल्सीफिकेशन की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए पानी का सेवन बढ़ाना जरूरी होता है. साथ ही आपको आज किडनी की पथरी को गलाने के प्राकृतिक उपचार और जड़ी-बूटियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि अधिकांश रोगियों में पहली पथरी बनने के 5 साल के भीतर दोबारा होने की 50% संभावना होती है. इसलिए इन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों को जरूर खाना शुरू कर दें.

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किडनी स्टोन को तोड़ देंगी ये 10 जड़ी-बूटियां

1. नींबू का रस
ताजा निचोड़ा हुआ नींबू का रस अपनी साइट्रेट सामग्री के कारण गुर्दे की पथरी के इलाज में मदद कर सकता है. यह यौगिक, जो साइट्रिक फलों में पाया जाता है, ये यूरिक एसिड बनने से रोकता है और कैल्शियम पत्थरों को तोड़ने में मदद करता है, साथ ही उनके विकास को भी रोकता है. दूसरे शब्दों में, नींबू का रस गुर्दे की पथरी को बाहर निकालने में आसानी कर सकता है और शुरुआत में ही पथरी बनने के खतरे को कम कर सकता है. 

2. तुलसी
तुलसी मूत्र पथ यानी यूरेनेरी ट्रैक को प्रभावित करने वाली बीमारियों से बचाती है और  गुर्दे की पथरी के इलाज भी है, ये यूरिक एसिड के स्तर को स्थिर करती है जिससे पथरी बनना रुकता है. इसके अलावा, तुलसी में एसिटिक एसिड होता है, जो गुर्दे की पथरी को तोड़कर उसके मार्ग को आसान बनाने में मदद कर सकता है. तुलसी का उपयोग हर्बल चाय तैयार करने के लिए किया जा सकता है और इसे गुर्दे की पथरी और यूटीआई के लिए आयुर्वेदिक दवाओं में भी पाया जा सकता है.

3. गोखरू
मूत्र और प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करती हैं. यह मूत्र में फॉस्फेट के स्तर को कम करके पथरी के निर्माण को रोक सकता है.

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4. अनार का जूस
अनार के एंटीऑक्सीडेंट और कसैले गुण गुर्दे की पथरी को बनने से रोकने में मदद करते हैं. यह सुरक्षात्मक प्रभाव न केवल एंटीऑक्सिडेंट से जुड़ा है, बल्कि फल में कार्बनिक यौगिकों से भी जुड़ा है जो मूत्र अम्लता को कम कर सकता है, जिससे पथरी बनने की संभावना कम हो जाती है. 

 5. कलौंजी
कलौंजी किडनी स्टोन उपचार के रूप में माना जाता है और किडनी स्टोन के लिए कुछ बेहतरीन आयुर्वेदिक दवाओं में एक घटक के रूप में उपयोग किया जाता है. कलौंजी गुर्दे में कैल्शियम ऑक्सालेट पत्थरों के गठन को काफी कम कर सकती है.

6. प्रजमोदा
इसे अजमोद के नाम से भी जानते हैं और ये कफ निर्माण को शांत करता है, जिसे पथरी बनने में योगदान देने वाला कारक माना जाता है. अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल यूरोलॉजी के एक अध्ययन में पाया गया है कि इससे मूत्र प्रवाह बढ़ता है और मूत्र में पीएच स्तर में सुधार हो सकता है, जिससे पथरी बनने का खतरा कम हो सकता है.

7. पुनर्नवा
यदि आप पुनर्नवा काढ़ा पीना शुरू कर दें तो गुर्दे की पथरी बाहर निकल जाएगी. इस जड़ी-बूटी को नेफ्रोप्रोटेक्टिव बताया गया है यानी यह गुर्दे की पथरी के निर्माण के साथ-साथ ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण होने वाले गुर्दे की क्षति से सुरक्षा प्रदान करता है.

8. वरुण
मूत्रवर्धक गुणों से भरी वरुण जड़ी गुर्दे की पथरी को तोड़-तोड़ कर बाहर करती है इसमें एंटी-लिथोजेनिक और एंटी-क्रिस्टलीकरण प्रभाव साबित होते हैं जो गुर्दे की पथरी के उपचार और रोकथाम दोनों में मदद कर सकते हैं.

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9. शतावरी
शतावरी गुर्दे की पथरी को बाहर निकालने में कारगर है. ये ऑक्सालेट पत्थर के निर्माण को रोकती है.

10. गुडूची
गुडूची, जिसे अमृता या गिलोय के नाम से भी जाना जाता है, आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है. इसमें एंटीयूरोलिथियाटिक गुण होते हैं, जो गुर्दे में कैल्शियम ऑक्सालेट क्रिस्टल के निर्माण को रोकते हैं.

ध्यान रखें कि गुर्दे की पथरी के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की प्रभावशीलता गुर्दे की पथरी के प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकती है. यदि आपको प्राकृतिक उपचार का उपयोग करने के बावजूद राहत नहीं मिलती है, तो सटीक निदान और व्यक्तिगत सिफारिशों के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से बात करें.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)

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