डीएनए हिंदी: हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ (Jagannath Rath Yatra 2022) की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है. भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा न केवल भारत में प्रचलित है बल्कि इसे विश्व में भी ख्याति प्राप्त है. देश-विदेश से लोग इस भव्य यात्रा में शामिल होने के लिए आते हैं. इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ तीन विशालकाय रथों पर बैठकर अपने मौसी के घर गुंडीचा मंदिर तक यात्रा करते हैं.
हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 30 जून को सुबह 10:49 पर प्रारंभ होगी और इसका समापन 01 जुलाई दोपहर 01:09 पर होगा. इस वर्ष यात्रा प्रारंभ करने की तिथि 01 जुलाई 2022, शुक्रवार निर्धारित की गई है.
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01 जुलाई को शुरू होने वाली रथ यात्रा की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है. इसकी खास बात यह है कि तीनों भाई-बहन अपने अलग-अलग रथों पर सवार होकर यात्रा करते हैं. भगवान श्री जगन्नाथ के रथ का नाम नंदिघोष है, जिसकी ऊंचाई 45.6 होती है. बड़े भाई बलराम जी या भगवान बलभद्र के रथ का नाम तालध्वज है, जिसकी ऊंचाई 45 फीट होती है. बहन सुभद्रा के रथ का नाम द्रपदलन या पद्म रथ है, जिसकी ऊंचाई 44.6 फीट है.
ये सभी रथ नीम की पवित्र लकड़ियां जिसे 'दारु' कहते है उससे बनाई जाती हैं. भगवान जगन्नाथ मंदिर कमिटी द्वारा गठित एक खास समिति इन पेड़ों को चिन्हित करने का काम करती है. इन रथों की खास बात यह भी है कि इनके निर्माण में किसी भी प्रकार के कील, कांटों या किसी भी अन्य धातु का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. साथ ही इन रथों के लिए लकड़ी का चयन खासतौर से बसंत पंचमी से शुरू होता है और इनका निर्माण अक्षय तृतीया से आरंभ किया जाता है.
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