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Diwali 2023 date and time: 12 या 13 किसी दिन है दिवाली? जानिए पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त और कुबेर पूजा के नियम

दिवाली के डेट को लेकर कंफ्यूज बना हुआ है, क्योंकि अमवस्या 12 और 13 नवंबर दो दिन है. ऐसे में दिवाली किस दिन होगी, चलिए जान लें.

Diwali 2023 date and time: 12 या 13 किसी दिन है दिवाली? जानिए पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त और कुबेर पूजा के नियम

When Is Diwali 2023

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डीएनए हिंदीः कार्तिक अमावस्या तिथि पर दिवाली होती है. अमवस्या की रात देवी लक्ष्मी और गणपति जी की पूजा की जाती है और मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी की सही मुहूर्त में पूजा की जाए तो घर में धन-संपदा और सुख-सौभाग्य की कमी नहीं रहती है. इस साल दिवाली की सही तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. आइए विस्तार से जानते हैं कि इस साल दिवाली और लक्ष्मी पूजा कब की जाएगी.

कार्तिक मास अमावस्या तिथि

कार्तिक अमावस्या तिथि प्रारम्भ  -रविवार, 12 नवंबर दोपहर 2:44 बजे से
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त हो गई है  -13 नवंबर, सोमवार दोपहर 2:56 बजे

हिंदू धर्म में उदया तिथि पर पूजा-त्योहार मनाए जाते हैं. लेकिन दिवाली में प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा का विधान है. 12 नवंबर को प्रदोष काल पूजा का समय है इसलिए इस दिन दिवाली मनाई जाएगी.

शुभ पूजा मुहूर्त

शुभ लक्ष्मी-गणेश एवं लक्ष्मी पूजा -  12 नवंबर शाम 5:40 बजे से शाम 7:36 बजे तक
लक्ष्मी पूजा के लिए महानिशीथ काल -  रात्रि 11:39 बजे से 12:31 बजे तक

दिवाली का धार्मिक महत्व
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश और कुबेर की पूजा की जाती है. प्रचलित मान्यता के अनुसार दिवाली के दिन पूजा करने से व्यक्ति का जीवन धन-धान्य से भर जाता है. इन्हें कभी भी आर्थिक रूप से अपने दिन नहीं गुजारने पड़ते.

दिवाली क्यों मनाई जाती है?
दिवाली अमावस्या की रात को मनाई जाती है . इस तिथि पर दीपक जलाकर अंधकार को दूर करने की प्रथा है. इसलिए दिवाली को अंधकार के विरुद्ध प्रकाश की लड़ाई का प्रतीक माना जाता है. एक अन्य प्रचलित मान्यता के अनुसार, राम, सीता और लक्ष्मण इसी दिन अयोध्या लौटे थे. उनके स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने पूरे शहर को दीयों की रोशनी में सजाया था. तभी से पूरे देश में दिवाली मनाने की परंपरा शुरू हो गई.

दिवाली पर कुबेर पूजा के नियम
धनतेरस और दिवाली पर कुबेर की पूजा की जाती है. दिवाली में शाम के समय लक्ष्मी-गणेश की पूजा के साथ-साथ कुबेर की पूजा का भी विधान है. एक चौकी को गंगाजल से पवित्र करके लाल आसन बिछाएं. इसके बाद लक्ष्मी-गणेश और कुबेर की मूर्तियां रखें. इसके बाद स्नान कर वस्त्र, फूल, माला चढ़ाएं. आनंद लेने की पेशकश करें. तुम्हें सारा धन कुबेर को अर्पित करना होगा. फिर भगवान से अपनी भावनाएं व्यक्त करें. फिर कुबेर को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करें--

कुबेर त्वंग धनाधीश गृहे ते कमला स्थिता. तांग देबिंग प्रेस्यशु तांग मद्गृहे ते नमो नमः.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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