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Devshayani Ekadashi 2024: आज देवशयनी एकादशी पर इस मुहूर्त में करें पूजा, जरूर करें इन मंत्रों का जाप

Ekadashi Vrat Puja: एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा में कई मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ होता है.

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Devshayani Ekadashi 2024: आज देवशयनी एकादशी पर इस मुहूर्त में करें पूजा, जरूर करें इन मंत्रों का जाप

Devshayani Ekadashi 2024

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Devshayani Ekadashi 2024: आज 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है. यह दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए बहुत ही खास होता है. एकादशी के दिन पूजा और व्रत करने से सभी दुख और संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख शांति आती है. आज शुभ मुहूर्त (Devshayani Ekadashi Shubh Muhurat) में जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा (Lord Vishnu Puja) करें. पूजा के दौरान इन मंत्रों (Puja Mantra) का जाप करने से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलेगा. चलिए ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार से जानें...

देवशयनी एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त
16 जुलाई की रात 8ः33 से एकादशी तिथि शुरू हो चुकी है. जिसका समापन आज 17 जुलाई को रात 9ः02 पर होगा. एकादशी व्रत पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहे हैं. पहला मुहूर्त सुबह 5ः33 से 7ः17 तक है. दूसरा मुहूर्त 7ः17 से सुबह 9 बजे तक है. इसके बाद सुबह 10ः43 से लेकर 12ः26 तक पूजा मुहूर्त रहेगा. शाम के समय भी शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहा है आप शाम 5ः36 से 7ः19 के बीच पूजा कर सकते हैं.


आज है देवशयनी एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शुभ संयोग


भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जरूर करें जाप

- तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी,
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्,
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया

- वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी,
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी

एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम,
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत

- जीवश्चाङ्गिर-गोत्रतोत्तरमुखो दीर्घोत्तरा संस्थित: पीतोश्वत्थ-समिद्ध-सिन्धुजनिश्चापो थ मीनाधिप:,
सूर्येन्दु-क्षितिज-प्रियो बुध-सितौ शत्रूसमाश्चापरे सप्ताङ्कद्विभव: शुभ: सुरुगुरु: कुर्यात् सदा मङ्गलम्

- दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्,
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे

शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम,
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम

लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म,
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम

ॐ नमोः नारायणाय नमः,
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः

- कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा,
बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात्

करोमि यद्यत्सकलं परस्मै,
नारायणयेति समर्पयामि

कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा,
बुद्ध्यात्मना वानुसृतस्वभावात्

करोति यद्यत्सकलं परस्मै,
नारायणयेति समर्पयेत्तत्

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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