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Sutak Kaal: सूतक और पातक काल में क्या है अंतर? जानिए सूर्यग्रहण-चंद्रग्रहण के अलावा जन्म और मृत्यु से इसका संबंध

Sutak And Patak Kaal Difference: सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण लगने के अलावा सूतक काल का संबंध जन्म और मृत्यु से है. यहां पढ़ें इसके बारे में. 

Sutak Kaal: सूतक और पातक काल में क्या है अंतर? जानिए सूर्यग्रहण-चंद्रग्रहण के अलावा जन्म और मृत्यु से इसका संबंध

सूतक और पातक काल में क्या है अंतर? जानिए क्या है जन्म और मृत्यु से इसका संबंध   

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डीएनए हिंदी : जब भी सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण (Surya Grahan 2023) लगता है, तो लोग उस समय में लगने वाले सूतक काल (Sutak Kal) का खास ख्याल रखते हैं. सूतक काल को भारत में बहुत गंभीरता से लिया जाता है. इस दौरान मंदिरों के पट बंद रहते हैं और देवी-देवताओं की पूजा नहीं की जाती है. इसके अलावा सूतक काल में कई अन्य काम भी वर्जित होते हैं. लेकिन, बहुत कम लोग ही जानते हैं की ग्रहण के अलावा जन्म और मरण से भी सूतक और पातक (Patak Kal) का संबंध होता है.

आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताने वाले हैं कि सूतक और पातक क्या है, इनमें अंतर क्या है? साथ ही जानेंगे ये कब कब लागू होते हैं.

जन्म और मृत्यु से भी है सूतक-पातक का संबंध (Sutak And Patak Kaal Janam Mrityu Relation) 

हिंदू शास्त्रों में जीवन जीने के कई सिद्धांतों और नियमों के बारे में बताया गया है. घर में किसी की मृत्यु हो जाने और घर में किसी नवजात के जन्म होने से जुड़े कुछ नियम भी बताए गए हैं. धार्मिक  मान्यताओं के अनुसार जन्म और मृत्यु के दौरान सूतक और पातक जैसे नियमों का पालन किया जाता है. 

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दरअसल शास्त्रों में किसी परिजन की मृत्यु पर शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए पूरे 13 दिनों तक पातक काल होता है. वैसे ही घर में किसी नवजात के जन्म होने पर सूतक होता है. 

सूतक क्या है? (What Is Sutak Kal)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के अलावा घर में शिशु के जन्म होने के बाद भी कुछ दिनों के लिए सूतक होता है. ऐसे में इस दौरान घर पर कोई धार्मिक कार्य जैसे पूजा-पाठ करना, मंदिर जाना या किसी धार्मिक स्थानों पर जाना आदि वर्जित माना जाता है. दरअसल शास्त्रों में घर पर नवजात के जन्म की इस अवधि को सूतक कहा गया है. 

हालांकि, अलग-अलग क्षेत्रों में बच्चे के जन्म के बाद होने वाले इस सूतक को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. जैसे महाराष्ट्र में वृद्धि, राजस्थान में सांवड़ और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार आदि उत्तरी राज्यों में इसे सूतक काल कहा जाता है. 

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पातक क्या है? (What Is Patak Kaal) 

वहीं जिस तरह शिशु के जन्म के बाद सूतक लगता है, घर पर किसी परिजन की मृत्यु होने पर पूरे 13 दिनों तक पातक लगता है. इस दौरान भी धर्म-कर्म जैसे कार्य करना वर्जित होता है. इसके अलावा इस दौरान किसी बाहरी व्यक्ति के घर आना-जाना या किसी समारोह में शामिल होना भी वर्जित होता है. शास्त्रों में इसे ही पातक कहा जाता है. इसके अलावा इस दौरान घरों में अन्य कई नियम भी किए जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार पातक काल के दौरान नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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