Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Rahu Ketu Story: राहु और केतु का कैसे हुआ जन्म, पढ़ें जीवन में भूचाल लाने वाले दो ग्रहों की कहानी

Rahu-Ketu Mythological Story: राहु और केतु, इन दोनों ग्रहों का संबंध शक्तिशाली दानव स्वरभानु से माना जाता है. समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया था, जिससे इन दो ग्रहों का जन्म हुआ...

Rahu Ketu Story: राहु और केतु का कैसे हुआ जन्म, पढ़ें जीवन में भूचाल लाने वाले दो ग्रहों की कहानी

राहु और केतु का कैसे हुआ जन्म, पढ़ें जीवन में भूचाल लाने वाले दो ग्रहों की कहानी

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदीः ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को में छाया ग्रह माना गया है, ये दोनों ही ग्रह एक ही राक्षस के शरीर से जन्मे हैं. ऐसे में राहु-केतु का नाम नाम सुनते ही अक्सर लोग घबरा जाते हैं. क्योंकि जब इनका अशुभ प्रभाव किसी जातक के कुंडली पर पड़ता है तो इंसान को काफी सारी परेशानियों का सामना (Rahu-Ketu Mythological Story) करना पड़ता है. इतना ही नहीं, कुंडली में अगर राहू और केतु गलत स्थान पर हों तो ये इंसान के जीवन में भूचाल ला देते हैं. ये दोनों ग्रह इतने प्रभावशाली हैं कि सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण भी (Rahu Ketu Story) इनके कारण ही लगता है. बता दें कि इन दोनों ग्रहों का संबंध शक्तिशाली दानव स्वरभानु से माना जाता है. आइए जातने हैं, कैसे हुआ राहू और केतु का जन्म...

समुद्र मंथन से जुड़ा है राहू और केतु का जन्म

पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से निकले अमृत को पाने को लेकर देव और दानवों के बीच लड़ाई होने लगी और शक्तिशाली असुरों ने अमृत को छीन लिया था और वह उसे पीकर अमर हो जाना चाहते थे. ऐसे में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर उस अमृत कलश को प्राप्त कर लिया और फिर वह देवताओं को अमृत और असुरों को मदिरा पिलाने लगे. लेकिन स्वरभानु नाम के असुर को यह बात समझ में आ गई और वह देवता का रूप धारण कर देवताओं की पंक्ति में बैठ गया. 

देवी दुर्गा को किसने दिया थे 10 तरह के हथियार, जानें इन दिव्य अस्त्र-शस्त्र का रहस्य

ऐसे में जब वह अमृत पीने लगा तो चंद्र देव और सूर्य देव कुछ संदेह हुआ और उन्होंने यह बात भगवान विष्णु को जाकर बताई. यह सुनकर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन अमृत के प्रभाव से वह मरा नहीं और उसका सिर और धड़ जीवित रहा. ऐसी मान्यता है कि तभी से वह सूर्य और चंद्र देव से बेर रखने लगा और इसी कारण सूर्य और चंद्र ग्रहण भी लगता है.

इस मंदिर में बढ़ता जा रहा बजरंगबली की प्रतिमा का आकार, छत्तीसगढ़ के इस टेंपल की जानें खासियत

केतु का सिर नहीं है और राहु का धड़ नहीं

इस घटना के बाद स्वरभानु राक्षस के सिर वाला भाग राहु कहलाया और धड़ वाला भाग केतु. कुछ ज्योतिष इन्हें रहस्यवादी और पापी ग्रह मानते हैं. स्कंद पुराण के अवन्ति खंड के अनुसार, सूर्य और चन्द्रमा को ग्रहण का दंश देने वाले ये दोनों ही छाया ग्रह उज्जैन में जन्मे थे. बता दें कि राहु एवं केतु सर्प ही है. राहु का अधिदेवता काल और प्रति अधिदेवता सर्प है और केतु का अधिदेवता चित्रगुप्त एवं प्रति के अधिदेवता ब्रह्माजी है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर

Advertisement

Live tv

Advertisement
Advertisement