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Navami Upay: आज महानवमी पर जरूर करें इस शक्तिशाली स्त्रोत का पाठ, प्रसन्न होंगी मां दुर्गा

Maha Navami 2023 Upay: महानवमी के दिन इस शक्तिशाली स्त्रोत का पाठ ज़रूर करें, इससे मां दुर्गा प्रसन्न होंगी और शुभ आशीर्वाद प्रदान करेंगी.

Navami Upay: आज महानवमी पर जरूर करें इस शक्तिशाली स्त्रोत का पाठ, प्रसन्न होंगी मां दुर्गा

कल महानवमी पर जरूर करें इस शक्तिशाली स्त्रोत का पाठ, प्रसन्न होंगी मां दुर्गा

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डीएनए हिंदी: साधक नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए व्रत, पूजा, हवन और कन्या भोजन का आयोजन करते हैं. साथ ही भक्त मां दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) का पाठ भी करते हैं. लेकिन, कई लोगों को मां (Shardiya Navratri Upay) दुर्गा का सप्तशती पाठ करना कठिन लगता है. ऐसे में अगर आप नवरात्रि के दौरान (Maha Navami Upay) सप्तशती का पाठ नहीं कर पाए हैं तो नवरात्रि के अंतिम दिन यानि नवमि तिथि पर सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ जरूर करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और माता रानि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. बता दें कि कुंजिका स्तोत्र (Siddha Kunjika Stotram) का पाठ बहुत ही सरल और प्रभावशाली है और इसके मंत्र सिद्ध हैं. यहां पढ़ें यह शक्तिशाली पाठ.. 

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ 

शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।

अथ मंत्र 

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।''

इति मंत्र:

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।

।इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम्।

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)

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