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Ratna Shastra: ओपल रत्न धारण करने से दांपत्य जीवन की समस्याओं से मिलेगा छुटकारा, जानें धारण करने की सही विधि और लाभ

Ratna Shastra: ओपल रत्न का संबंध शुक्र ग्रह का रत्न माना जाता है. शुक्र ग्रह को दांपत्य जीवन, प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण और भौतिक सुखों का कारक ग्रह माना जाता है.

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Ratna Shastra: ओपल रत्न धारण करने से दांपत्य जीवन की समस्याओं से मिलेगा छुटकारा, जानें धारण करने �की सही विधि और लाभ

प्रतीकात्मक तस्वीर

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डीएनए हिंदीः रत्न शास्त्र (Ratna Shastra) में सभी रत्नों का संबंध ग्रहों से बताया गया है. राशि जातकों को रत्न (Ratna Shastra) का लाभ पाने के लिए राशि और ग्रह के स्वामी के अनुसार, रत्न धारण (Ratna Shastra) करने की सलाह दी जाती हैं. रत्न धारण करने से जातकों को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं. रत्न धारण करने से कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है. आज हम आपको ओपल रत्न (Opal Ratna) के बारे में बताने वाले हैं. ओपल रत्न (Opal Ratna) का संबंध शुक्र ग्रह का रत्न माना जाता है. शुक्र ग्रह को दांपत्य जीवन, प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण और भौतिक सुखों का कारक ग्रह माना जाता है. ऐसे में ओपल रत्न (Opal Ratna) धारण करने से कई लाभ मिलते हैं. तो चलिए आपको ओपल रत्न (Opal Ratna) धारण करने की सही विधि और लाभ के बारे में बताते हैं.

ओपल रत्न के लाभ (Opal Ratna Benefits)
- ओपल रत्न धारण करने से दांपत्य जीवन में चल रही समस्याएं खत्म हो जाती हैं. इसके प्रभाव से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं.
- फिल्म और आईटी क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के लिए भी ओपल धारण करना लाभकारी होता है. ओपल रत्न धारण करने से भाग्य का साथ मिलता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है.
- थिएटर, सिनेमा, क्षेत्र में कार्यरत लोग भी ओपल धारण कर सकते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन लोगों के लिए यह रत्न बहुत ही शुभ होता है.

यह भी पढ़ें - शुक्र की महादशा में जातक को मिलती हैं राजाओं जैसी जिंदगी, 20 साल तक चलती हैं महादशा

ओपल रत्न धारण करने की विधि (Opal Ratna Dharan Vidhi)
- ओपल रत्न धारण करने के लिए किसी माह के शुक्ल पक्ष शुक्रवार को शुभ माना जाता है. आप इस दिन रत्न धारण कर सकते हैं.
- ओपल रत्न को अंगूठी में जड़वाकर धारण करना चाहिए. ओपल की अंगूठी को सीधे हाथ की अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए.
- अंगूठी को धारण करने से पहले गाय के कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए. अंगूठी को शुद्ध करके ही धारण करना चाहिए.
- रत्न धारण करने के बाद शुक्र के "ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:" इस मंत्र की माला का जाप करना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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