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संतान प्राप्ति के लिए हैं परेशान तो आज पुत्रदा एकादशी पर पूर्ण होगी कामना, जानें व्रत की विधि और महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी को विशेष महत्व दिया गया है. एकादशी व्रत करने से ही व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं. पुण्य कर्मों की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है. 

संतान प्राप्ति के लिए हैं परेशान तो आज पुत्रदा एकादशी पर पूर्ण होगी कामना, जानें व्रत की विधि और महत्व
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डीएनए हिंदी: (Putrada Ekadashi 2023 ) अगर आप संतान प्राप्ति करना चाहते हैं, लेकिन इस इच्छा के पूर्ति न होने से परेशान हैं तो सावन की पुत्रदा एकादशी पर आपकी यह इच्छा पूर्ण हो सकती है. इसके लिए सावन की पुत्रदा एकादशी पर भगवान की पूजा अर्चना करने के साथ व्रत रखें. इसके पुण्य प्रभाव से भक्तों को संतान की प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है. एकादशी सावन के समाप्त होने से ठीक एक दिन पहले 27 अगस्त दिन रविवार को मनाई जाएगी.  

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जानें श्रावण पुत्रदा एकादशी का महत्व

हिन्दू धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व है. एकादशी का व्रत करने से ही पाप नष्ट हो जाते हैं. पुण्य क्रम प्राप्त होते हैं. इसी तरह सावन की पुत्रदा एकादशी बहुत ही विशेष है. इस एकादशी पर निसंतान दंपत्ति को स्नान करने के साथ ही भगवान  विष्णु का ध्यान और व्रत रखना चाहिए. इसे संतान की प्राप्ति होती है. व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है. संतान गुणवान होती है. इस व्रत के विषय में भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था. उन्होंने यह व्रत किया. इस एकादशी पर जिन दंपत्ति के संतान हैं. वो मां यानी महिलाएं बच्चों की लंबी उम्र, उनके अच्छे स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की कामना को लेकर व्रत रखती हैं. भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें इसका सुख भी मिलता है. इस व्रत से मिलने वाला पुण्य हजारों सालों की तपस्या के बरबार होता है.

पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि

पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. साफ सुधरे कपड़े पहनकर भगवान विष्णु जी की प्रतिमा के सामने बैठकर घी का दीपक जलाएं. भगवान तुलसी, फल फूल और तिल अर्पित करें. साथ ही व्रत का संकल्प लें. भगवान की आराधना करें. इसे मनोकामना पूर्ण होती है. शाम के समय विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत ही शुभकारी होता है. व्रत में शाम की पूजा के बाद फलहार कर सकते हैं. 

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एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह  के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त की रात 12 बजकर 8 मिनट से प्रारंभ होकर 27 अगस्त की रात 9 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. इस दौरान 2 उदया तिथि रहेंगी, लेकिन व्रत 27 अगस्त को ही रखा जाएगा. इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त की सुबह 5 बजकर 56 मिनट से सुबह 7 बजकर 16 मिनट तक रहेगा. इस समय में पूजा करने के साथ ही भगवान से मनोकामना मांगने पर पूर्ण होगी. 

एकादशी पर ये काम करने पर मिलेगा पुण्य

एकादशी के दिन कुछ ऐसे काम हैं, जिन्हें करने से आपके साथ ही परिवार और आने वाली पीढ़ियों को भी शुभ लाभ मिलता है. इसके लिए एकादशी के दिन व्रत रखने के साथ ही ब्रह्मण को दान दें, गरीब को भोजन कराएं. सामर्थ अनुसार रुपया पैसा के दान करें. गाय को रोटी या हरा चारा खिलाएं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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