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 'हलाल सर्टिफाइड चाय' का पुराना Video हुआ Viral, इस जरूरी बात को कहकर IRCTC ने बंद किया चैप्टर 

सोशल मीडिया पर कब क्या शेयर कर दिया जाए कोई नहीं जानता. इसी क्रम में 'हलाल सर्टिफाइड चाय' का एक पुराना वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुआ है, वीडियो पर कुछ विवाद होता, उससे पहले ही इसपर अपना पक्ष रखकर IRCTC ने तमाम तरह की बहस को विराम दे दिया है.

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 'हलाल सर्टिफाइड चाय' का पुराना Video हुआ Viral, इस जरूरी बात को कहकर IRCTC ने बंद किया चैप्टर 

सोशल मीडिया पर एक पुराने वीडियो ने बवाल खड़ा किया है जिसपर IRCTC ने अपनी सफाई दी है 

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दौर जब सोशल मीडिया का हो तो इन्फ्युएंसर्स समेत तमाम लोगों का एजेंडा बस 'शेयर' करना रहता है. उन्हें इससे कोई मतलब नहीं होता कि, जिस चीज को उनके द्वारा अन्य लोगों से साझा किया जा रहा है वो नई है या पुरानी. चूंकि सब कुछ बस लाइक, कमेंट और शेयर के उद्देश्य से होता है. इसलिए लोग संभावित खतरों को नजरअंदाज कर देते हैं. मगर ऐसी घटनाएं क्या असर डालती हैं? इसे एक पुराने वायरल वीडियो से समझ सकते हैं. 

दरअसल सोशल मीडिया पर एक पुराना वीडियो वायरल हुआ है. वायरल वीडियो में  एक यात्री की ओर से ट्रेन में मिलने वाले चाय के पैकेट पर लगे हलाल सर्टिफिकेशन टैग को लेकर बवाल किया जा रहा है. वीडियो में यात्री का कहना है कि सावन के महीने में ऐसा करना हमारी धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है.

वहीं, ट्रेन के कर्मचारी यात्री को समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि ये नॉनवेज नहीं बल्कि वेज है और चाय वेज ही होती है. इस वीडियों में ट्रेन स्टाफ और यात्री के बीच जमकर हंगामा देखने को मिल रही है. वीडियो भले ही पुराना मगर अब जबकि लोगों द्वारा इसे खूब जमकर शेयर किया जा रहा है तो इसपर IRCTCने अपना पक्ष रखा है. 

वायरल वीडियो पर आईआरसीटीसी ने तर्क दिया है कि, 'ये भ्रामक वीडियो है. कृपया इस पर विश्वास न करें और इसे आगे न बढ़ाएं. आईआरसीटीसी को अपने खानपानी की चीजों को लिए सिर्फ Fssai की पालना करने की जरुरत होती है.' ध्यान रहे पूर्व में जब यही वीडियो वायरल हुआ था IRCTC ने कहा था कि इन ब्रांड मे  FSSAI सर्टिफिकेशन होना जरूरी है. ग्रीन डॉट के साथ ये एकदम वेज है.'  

बहरहाल यहां मुद्दा चाय को हलाल सर्टिफिकेट दिया जाना है. इसलिए ये बता देना भी जरूरी हो जाता है कि चाय पर लगे हलाल सर्टिफिकेशन पर आईआरसीटीसी ने बताया है कि चाय बनाने वाली कंपनी इस प्रोडक्ट को विदेश में भी एक्सपोर्ट करती है, जिस वजह से उन्हें अपने प्रोडक्ट पर लिखना होता है.

वहीं IRCTC की तरफ से यही भी कहा गया है कि  ये भारत नहीं, बल्कि दूसरे देशों के हिसाब से होता है. लेकिन, हलाल सर्टिफिकेशन का मतलब ये नॉनवेज नहीं है. ये पूरी तरह वेज है, जिसका वेजेटेरियन भी सेवन कर सकता है.

बताते चलें कि भारत में हलाल सर्टिफिकेशन का आरंभ 1974 में  हुआ और 1993 तक ये सर्टिफिकेशन सिर्फ मांस का ही होता था. इसके बाद दवाइयों समेत खाने पीने के अन्य आइटम्स भी इस सर्टिफिकेशन के अंतर्गत आ गए. अंत में हमारे लिए ये बता देना भी बहुत जरूरी है कि भारत में खाने पीने के सामान के लिए हलाल सर्टिफिकेट नहीं बल्कि कंपनियों को FSSAI सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है.

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