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Ajab Gajab News: एग्जाम देते-देते करोड़पति बन गया ये शख्स, पर 27 बार में भी पास नहीं कर पाया यूनिवर्सिटी एंट्रेंस

China News: चीनी बिजनेसमैन 16 साल की उम्र से यूनिवर्सिटी में प्रवेश की कोशिश कर रहा है, लेकिन आज तक सफल नहीं हो सका है.

Ajab Gajab News: एग्जाम देते-देते करोड़पति बन गया ये शख्स, पर 27 बार में भी पास नहीं कर पाया यूनिवर्सिटी एंट्रेंस

China के करोड़पति बिजनेसमैन लियांग शी ने कहा है कि वे अगली बार भी एंट्रेंस में शामिल होंगे.

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डीएनए हिंदी: Viral News- कोई भी इंसान उच्च शिक्षा इसलिए पाना चाहता है ताकि वह अच्छी नौकरी हासिल करके ज्यादा पैसे कमा सके, लेकिन एक चीनी बिजनेसमैन की कहानी बिल्कुल उल्टी है. एक चीनी बिजनेसमैन यूनिवर्सिटी में एडमिशन हासिल करने की कोशिश करते-करते फक्कड़ से करोड़पति हो गया, लेकिन उसे अब तक सफलता नहीं मिली है. यह बिजनेसमैन 27वीं बार यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम में फेल हो गया है. इस चीनी कारोबारी की कहानी वहां के अखबारों में छपने के बाद चर्चा का सबब बन गई है. हालांकि चीनी कारोबारी लियांग शी अब भी हिम्मत हारने के लिए तैयार नहीं है. उनका कहना है कि वे अगले साल भी एग्जाम में शामिल होंगे.

34 नंबर से चूक गए इस बार

बीबीसी हिंदी के मुताबिक, चीन में यूनिवर्सिटी एंट्रेस एग्जाम शुक्रवार को घोषित किया गया. चीन में इस बार 1.3 करोड़ छात्रों ने एग्जाम दिया था. इस एग्जाम में 27वीं बार शामिल हुए चीनी कारोबारी लियांग शी को 750 में से 424 नंबर मिले हैं, जबकि चीन के एजुकेशन रूल्स के मुताबिक, किसी भी यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम में न्यूनतम 458 नंबर आने अनिवार्य हैं. इस तरह लियांग 34 नंबर से इस बार भी चूक गए हैं.

16 साल की उम्र में दिया था पहली बार एग्जाम

लियांग साल 1983 से यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम दे रहे हैं. तब वे महज 16 साल के थे. उन्हें अब तक सफलता नहीं मिली है. लियांग ने 1992 तक नौकरी करते हुए एंट्रेंस एग्जाम दिया. इस दौरान वे अलग-अलग तरह की नौकरी करते रहे. उनका एंट्रेंस देने का सफर 1992 में थम गया, क्योंकि तत्कालीन नियमों के हिसाब से वे 'ओवरएज' हो चुके थे.

एंट्रेंस नहीं क्लियर हुआ, बिजनेस में सफल हो गए

लियांग ने 1990 में बिजनेस में हाथ आजमाया. यहां उन्हें जमकर सफलता मिली. अब 56 साल के हो चुके लियांग करोड़पति बिजनेसमैन बन चुके हैं. दरअसल बिजनेस भी उन्होंने मजबूरी में शुरू किया था. वे जहां नौकरी करते थे, उस फैक्ट्री के दिवालिया होने पर लियांग ने लकड़ी का होलसेल बिजनेस शुरू किया था. एक साल में ही उन्होंने 10 लाख युआन कमा लिए. इसके बाद उन्होंने कंस्ट्रक्शन मटीरियल का बिजनेस शुरू किया, जो बेहद सफल है.

2001 से दोबारा दे रहे एग्जाम

चीनी सरकार ने साल 2001 में यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम (गाओकाओ) के लिए आयुसीमा खत्म कर दी. इसके बाद लियांग का यूनिवर्सिटी में पढ़ने का सपना दोबारा जाग गया और उन्होंने फिर से एंट्रेंस देना शुरू कर दिया. हालांकि सफलता 22 साल बाद भी उनसे दूर ही रही है. लियांग का कहना है कि उन्होंने एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने और एक 'बुद्धिजीवी' बनने का सपना देखा था. 

हिम्मत नहीं हारेंगे, फिर देंगे एग्जाम

बीबीसी हिंदी ने स्थानीय मीडिया के हवाले से बताया कि लियांग इस साल का रिजल्ट देखकर बेहद निराश हैं. उन्होंने कहा है कि अब उन्हें लगने लगा है शायद ही उनका सपना सच हो पाए. सिचुआन के रहने वाले लियांग ने चीनी मीडिया तियानमू न्यूज़ को बताया, मैं मानता कि मैं ये कर सकता हूं. लेकिन अब मैं टूट गया हूं. हालांकि लियांग ने कहा है कि मैं अगले साल फिर यह प्रयास जारी रखूंगा.

चीन में यूनिवर्सिटी एंट्रेंस सबसे मुश्किल एग्जाम

बीबीसी हिंदी के मुताबिक, चीन में यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम को गाओकाओ कहा जाता है, जो वहां सबसे मुश्किल एग्जाम माना जाता है. चीन के सरकारी आंकड़ों के हिसाब से साल 2021 में महज 41.6% कैंडीडेट ही एंट्रेंस एग्जाम क्लियर कर यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में एडमिशन तक पहुंचे थे. 

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