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न कमाई, न खर्च न मोबाइल रिचार्ज की टेंशन, 15 साल से बिना पैसों के जिंदगी जी रहा ये शख्स

मार्क बोएल ने साल 2008 से ही पैसे का इस्तेमाल नहीं किया है. अगर वे नौकरी करें तो उन्हें लाखों का पैकेज मिल सकता है पर उन्होंने सब छोड़ दिया है. वजह दिलचस्प है.

न कमाई, न खर्च न मोबाइल रिचार्ज की टेंशन, 15 साल से बिना पैसों के जिंदगी जी रहा ये शख्स

Mark Boyle, The Moneyless Man.

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डीएनए हिंदी: जिंदगी में पैसा ही सबकुछ नहीं होता. कुछ लोग होते हैं जिनके लिए पैसे ज्यादा सुकून अहमियत रखती है. हर किसी में ऐसा साहस नहीं होता लेकिन कुछ लोग जरा हटके होते हैं. मार्क बोएल नाम के एक शख्स ऐसा ही है. उसने साल 2008 से ही एक पैसा भी नहीं कमाया है. न उसने कपड़े खरीदे, न ही किसी लक्जरी पर खर्च किया. ऐसा नहीं है कि वह अनपढ़ और गैर-पेशेवर है कि उसे काम न मिले. वह आज भी लाखों का पैकेज उठा सकता है पर वह कमाई से ऊब चुका है और अपने तरीके से जिंदगी जीने का आदी है.

मार्क बोएल, युनाइटेड किंगडम के नागरिक हैं. साल 2008 से ही वह पैसे का इस्तेमाल नहीं करते हैं. बिना पैसों के जीने की कल्पना भले ही आज बेमानी लगती हो लेकिन यह सच है. मार्क बोएल न तो किसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं, न ही किसी लक्जरी का. उन्हें सिर्फ नेचुरल जिंदगी जीनी पसंद है. उनके पास कुछ कपड़े हैं, जिन्हें उन्होंने डेढ़ दशक पहले खरीदा था. वह आदिम जिंदगी जीने की कोशिश कर रहे हैं.

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पढ़ाई पैसे की पर चुना संन्यास
मार्क बोएल वैसे को इकोनॉमिक्स और बिजनेस में कई डिग्री हासिल कर चुके हैं लेकिन उन्होंने रास्ता जंगल का चुना है. वह ब्रिस्टल की एक फूड कंपनी में लाखों का पैकेज उठा रहे थे. जिंदगी में उन्हें सबकुछ हासिल हो रहा था जिसके लिए वह कोशिश कर रहे थे. साल 2007, उनकी जिंदगी में मील का पत्थर साबित हुआ. वह सोने जा रहे थे, तभी उन्हें ख्याल आया कि यह भागदौड़ किस लिए. हर मुश्किल के मूल में सिर्फ पैसा है. इसलिए उन्होंने पैसों से ही दूरी बना ली. उन्होंने रिजाइन किया और पैसे न कमाने के लिए संकल्पबद्ध हो गए.

हाउसबोट बेची और शुरू कर दी आदिम जिंदगी
मार्क के पास एक महंगी हाउबोट थी. उसे उन्होंने बेच दी. वह एक पुरानी कारवां गाड़ी में जिंदगी गुजर-बसर करने लगे. शुरुआत में बिना पैसे के जीने में मुश्किलें आईं लेकिन उन्होंने हर उस चीज से तौबा कर लिया, जिसमें पैसे लगते हैं. वह न तो चाय पीते हैं न ही कॉफी. सिर्फ प्रकृति से मिली चीजों का इस्तेमाल करते हैं.

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मार्क साल 2008 से लेकर अब तक न तो बीमार पड़े हैं, न ही किसी भी तरह की चिंता उन्हें सताती हैं. उनके कई दोस्त हैं पर न तो मोबाइल से वे बात करते हैं, न ही उनके पास लैपटॉप है. साल 2017 से उन्होंने हर इलेक्ट्रॉनिक चीज से दूरी बना ली है. उन्हें अपनी पुरानी जिंदगी से कोई वास्ता रखना पसंद नहीं है. वह हमेशा कल की सोचते हैं.

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