Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Ram Mandir Kuber Tila: क्या है कुबेर टीले की कहानी, जहां राम मंदिर से निकलकर गए पीएम मोदी

Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीधे कुबेर टीला पहुंचे हैं, जहां पूजा करे बिना अयोध्या की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती. क्या है यहां की कहानी, चलिए हम बताते हैं.

Latest News
Ram Mandir Kuber Tila: क्या है कुबेर टीले की कहानी, ज��हां राम मंदिर से निकलकर गए पीएम मोदी

Ram Mandir Pran Pratishtha के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या के Kuber Tila पहुंचकर पूजन किया है.

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: Ram Mandir Kuber Tila Ayodhya- अयोध्या में 550 साल बाद रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन हुआ है, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाव-विह्वल नजर आए हैं. राम मंदिर में रामलला को साष्टांग प्रणाम करने के तत्काल बाद पीएम मोदी बाहर निकलकर सीधा कुबेर टीला पहुंचे हैं. कुबेर टीला पहुंचकर उन्होंने भगवान शिव का जलाभिषेक किया है. माना जाता है कि ऐसा नहीं करने पर अयोध्या की यात्रा पूरी नहीं होती है. इसका जुड़ाव पौरोणिक कथाओं से है. आइए आपको बताते हैं कुबेर टीले की अहमियत क्या है.

भगवान कुबेर ने की थी स्थापना

राम मंदिर के करीब स्थित कुबेर टीला में भगवान भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं. पौरोणिक कथाओं के मुताबिक, इस शिवलिंग की स्थापना देवलोक के खजांची यानी धन के देवता कुबेर ने सदियों पहले की थी. शिवलिंग के साथ ही यहां रामलला की भी मूर्ति है. साथ ही पूरे शिव परिवार यानी माता पार्वती, भगवान गणेष भगवान कार्तिकेय, भगवान नंदी और खुद भगवान कुबेर की भी मूर्ति है. इसके अलावा कुबेर टीला पर नवदेवियों की भी मूर्ति स्थापित हैं, जिनके कारण कुबेर टीले को 'नौ रत्न' भी कहा जाता है. मान्यता है कि कुबेर टीले पर आकर भगवान शिव का अभिषेक किए बिना श्रीराम की नगरी अयोध्या की यात्रा और राम जन्मभूमि के दर्शन पूरे नहीं होते हैं. 

ASI के संरक्षित स्थानों में भी शामिल

कुबेर टीला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा अयोध्या में संरक्षित 8 स्थानों में भी शामिल है. ASI के हिसाब से इस टीले में पुरातत्व के लिहाज से बीती हुई सदियों के बहुत सारे सबूत मौजूद हैं. ब्रिटिश राज में भी साल 1902 में राम नगरी के 84 कोसी परिक्रमा क्षेत्र में पुरातत्व महत्व वाले जो 148 स्थान चिह्नित हुए थे, उनमें भी कुबेर टीला शामिल था.

स्वतंत्रता संग्राम में भी खास भूमिका

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों में भी कुबेर टीले की खास अहमियत रही थी. यहां से स्वतंत्रता सेनानी अपनी गतिविधियां संचालित करते थे. ब्रिटिश सरकार ने यहीं पर बाबा रामशरण दास और अमीर अली को एकसाथ फांसी दी थी, जिसके बाद यह हिंदू-मुस्लिम एकता का भी प्रतीक माना जाने लगा था. स्थानीय लोगों के मुताबिक, अयोध्या में आतंकी हमले से पहले तक इस टीले से भगवान शिव की बारात भी निकलती थी. राम मंदिर का निर्माण शुरू करने से पहले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने यहां पूजन कर भगवान शिव से इजाजत ली थी. राम मंदिर के साथ ही कुबेर टीला का भी जीर्णोद्धार किया गया है. कुबेर टीला में भगवान राम और माता सीता के परम भक्त जटायु की प्रतिमा भी स्थापित की गई है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement