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10 घंटे लंबे Power Cut से लेकर दवाई की घोर किल्लत, इतने बिगड़ गए हैं  Sri Lanka के हालात 

विदेशी मुद्रा की घोर कमी ने श्रीलंका की हालत बदतर कर दी है. देश कई महत्वपूर्ण आयात कर पाने में अक्षम है. इस वजह से कई ज़रूरी चीज़ों की कमी हो गई है.

10 घंटे लंबे Power Cut से लेकर दवाई की घोर किल्लत, इतने बिगड़ गए हैं  Sri Lanka के हालात 
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डीएनए हिंदी : श्रीलंका(Sri Lanka) में पेट्रोल की लम्बी पंक्तियों के बाद अब हालात यह हो गए हैं कि रातें मोमबत्तियों की रौशनी में गुज़र रही हैं. देश अब तक के सबसे ख़राब आर्थिक हालात से गुज़र रहा है. विदेशी मुद्रा की घोर कमी ने श्रीलंका(Sri Lanka) की हालत बदतर कर दी है. देश कई महत्वपूर्ण आयात कर पाने में अक्षम है. इसकी वजह से कई ज़रूरी चीज़ों की कमी हो गई है. गौरतलब है कि श्रीलंका कई ज़रूरी जीवनदायी दवाइयों का आयात करता है. 

सरकारी अव्यवस्था पर बेहद नाराज़ हैं लोग 
पेट्रोलियम उत्पादों(Petroleum Product) के लिए लगी लम्बी लाइनों की वजह से पहले से नाराज़ लोग अब  खाने पीने की चीज़ों के दामों के आसमान छूने की वजह से और नाराज़ नज़र आ रहे हैं. हालात इतने बिगड़ गए हैं कि लोग केरोसिन तेल की ख़ातिर पांच घंटे और अधिक लम्बी क़तारो में लग रहे हैं. केरोसिन का महत्व इसलिए भी अधिक है कि यह खाना पकाने के लिए बहुतायत रूप से इस्तेमाल होता है. इन क़तारों में लोग बेहोश होकर गिर रहे हैं. तेल की कमी ने ट्रांसपोर्ट उद्योग को भी प्रभावित किया है और अंदरुनी इलाक़े से मुख्य इलाके तक ज़रूरी खाद्यान्नों के पहुंचने में मुश्किल हो रही है. 


पिछले साठ साल में नहीं हुए थे ऐसे हालात, नेताओं पर उतर रहा है गुस्सा 
लोगों का कहना है कि उनकी याद में यह पहला मौक़ा है जब देश के हालात इतने बिगड़े हुए हैं. साठ वर्षीय एक नागरिक के अनुसार उन्होंने अपने जीवन काल में कभी कोलम्बो को इस दशा में नहीं देखा.  उनका कहना है कि आम जनता के पास न कुछ खाने को है न पीने को पर नेता लोग आराम में हैं. 


रोज़ हो रहा है 10 घंटे का पॉवर कट 
एकदम बदहाल हुए इस द्वीपीय देश में इस वक़्त हर रोज़ लगभग दस घंटे का पॉवर कट हो रहा है. सेलॉन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के मुताबिक़ इस पॉवर कट की असल वजह मांग के अनुरूप बिजली उपलब्धता को मैनेज करना है, और इस वक़्त ईंधन की कमी के साथ-साथ जेनरेटर की कमी की वजह से कम बिजली उत्पादित हो रही है. 
अंदेशा है कि देश के हालात और बिगड़ सकते हैं. 1948 के बाद देश में पहली बार लोग इस हाल में पहुंच गए हैं. 

 

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