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'Joe Biden की सरकार जबरन हटवा रही कंटेंट' जानें Facebook के CEO Mark Zuckerberg का ये आरोप भारत के लिए क्यों है संकेत

Facebook के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने अमेरिकी संसद को लिखे पत्र में राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. राष्ट्रपति पद के चुनावों के समय सामने आए इन आरोपों में Covid-19 से जुड़ा कंटेंट भी हटाने का आरोप है.

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US President Elections 2024: अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनावों के समय फेसबुक (Facebook) की पेरेंटल कंपनी मेटा (Meta) के सीईओ मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) के एक खुलासे ने हंगामा मचा दिया है. जुकरबर्ग ने अमेरिकी संसद के निचले सदन यूएस हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स (US House of Representatives) को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) की सरकार पर कुछ खास तरह के कंटेंट को उनके प्लेटफॉर्म्स से हटाने के लिए लगातार दबाव बनाने का आरोप लगाया है. पत्र में जुकरबर्ग ने यह भी कहा है कि अब आगे मेटा अपने कंटेंट स्टैंडर्ड में किसी भी सरकार के दबाव में कोई बदलाव नहीं करेगी. जुकरबर्ग की इस लाइन को भारत के लिए भी संकेत माना जा रहा है, जहां पिछले कुछ साल में सोशल मीडिया कंपनियों और सरकार के बीच कंटेंट कंट्रोल के मुद्दे पर विवाद की स्थिति रही है. हाल ही में लोकसभा में पेश किए गए डिजिटल एक्ट (Digital Act) को भी इसी दिशा में उठाया गया कदम माना गया था, जो बाद में सदन में पारित करने के बजाय स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था.

कोविड-19 से जुड़ा कंटेंट भी सेंसर किया बाइडेन की सरकार ने

जुकरबर्ग ने पत्र में लिखा,'साल 2021 में बाइडेन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने कोविड-19 से जुड़ा कंटेंट सेंसर करने के लिए महीनों तक हमारी टीम पर लगातार दबाव बनाता था. इनमें अफवाह और कयासबाजी से जुड़ी पोस्ट्स भी शामिल थीं. और जब हम सहमत नहीं हुए तो उन्होंने हमारी टीमों के प्रति काफी निराशा जताई थी. आखिरकार यह हमारा निर्णय है कि हम किसी कंटेंट को डाउन करते हैं या नहीं और हमने हमारे निर्णय लिए. इनमें कोविड-19 से जुड़े वे परिवर्तन भी शामिल हैं, जो हमने इस दबाव के मद्देनजर अपने कामकाज में किए हैं.' उन्होंने लिखा,' मुझे यकीन है कि सरकारी दबाव गलत था और मुझे खेद है कि मैं इसकी आलोचना करने में ज्यादा मुखर नहीं रहा.'

'कंटेंट स्टैंडर्ड से समझौता नहीं करना चाहिए'

जुकरबर्ग ने आगे लिखा,'मैं महसूस करता हूं कि मेटा को किसी भी प्रशासन के दबाव में आकर अपने कंटेंट स्टैंडर्ड से समझौता नहीं करना चाहिए. हम यदि ऐसा आगे फिर होता है तो हम पलटवार के लिए तैयार हैं.' इस लाइन को भारत के लिए भी कड़ा संकेत माना जा रहा है, क्योंकि पिछले कुछ साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों के बीच कंटेंट डाउन करने के दबाव को लेकर बेहद कटु विवाद चला है, जिसमें ट्विटर (अब एक्स) का मुद्दा तो कोर्ट में भी पहुंचा है.

बाइडेन परिवार के खिलाफ झूठी सूचना से जुड़े आरोप पर भी दिया जवाब

मेटा सीईओ ने पत्र में FBI की उस चेतावनी पर भी बात की, जिसमें साल 2020 के राष्ट्रपति पद के चुनाव से पहले बाइडेन परिवार और बरसीमा के बारे में रूस के संभावित दुष्प्रचार अभियान की बात की गई थी. जुकरबर्ग ने कहा,'उस साल विंटर सीजन में जब हमने न्यूयॉर्क पोस्ट में तत्कालीन डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन के परिवार से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों की रिपोर्ट देखी, तो हमने उस स्टोरी को फैक्ट चेकर्स के पास समीक्षा के लिए भेजा और जवाब की प्रतीक्षा करते हुए उसे अस्थायी रूप से हटा दिया था.' उन्होंने आगे लिखा,' बाद में यह रिपोर्टिंग रूसी दुष्प्रचार नहीं निकली थी. पलटकर देखें तो हमें इस स्टोरी को डाउन नहीं करना चाहिए था. हमने अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं में बदलाव किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसा दोबारा न हो. उदाहरण के लिए, हम अब फैक्ट-चेकर्स का जवाब आने का इंतजार करते हुए अमेरिका में कंटेंट को अस्थायी रूप से डाउन नहीं करते हैं.' 

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