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S. Jaishankar ने कहा- भारत ने रूस से हथियार खरीदे क्योंकि पश्चिमी देशों ने मिलिट्री तानाशाही वाले पाकिस्तान का साथ दिया

India Russia Arms Deal: रूस से हथियार खरीदने के मुद्दे पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका और पश्चिमी देशों को करारा जवाब दिया है.

S. Jaishankar ने कहा- भारत ने रूस से हथियार खरीदे क्योंकि पश्चिमी देशों ने मिलिट्री तानाशाही व��ाले पाकिस्तान का साथ दिया

एस जयशंकर ने दिया मुंहतोड़ जवाब

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डीएनए हिंदी: ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने पश्चिमी के देशों और यूरोप का करारा जवाब दिया है. एस. जयशंकर ने कहा है कि अमेरिका ने पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करना पसंद किया जिसे मिलिट्री के तानाशाह चला रहे थे. जयशंकर ने भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि भारत ने रूसी हथियारों (Russian Arms) की खरीद को तरजीह इसीलिए दी क्योंकि पश्चिम के देशों ने मिलिट्री तानाशाही को वरीयता दी. ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत को इस बात का पूरा अधिकार है कि अपनी रक्षा करने के लिए वह जिससे चाहे, उससे हथियार खरीदे.

ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों को जमकर आईना दिखाया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार ने पूछा कि क्या भारत रूसी हथियारों पर अपनी निर्भरता कम करेगा और यूक्रेन संघर्ष के कारण रूस के साथ अपने संबंधों पर फिर से विचार करेगा. इस सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, 'हमारे पास सोवियत और रूसी मूल के हथियारों की लंबी लिस्ट है और असल में इस लिस्ट के हथियारों की संख्या में कई कारणों से इजाफा हुआ है.'

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अमेरिका को भी जयशंकर ने दिखाया आईना
जयशंकर ने आगे कहा, 'इन हथियार प्रणालियों की खूबियां आप जानते हैं. यही वजह रही कि कई दशकों तक पश्चिमी देशों ने भारत को हथियारों की आपूर्ति नहीं की और हमारे पड़ोसी देश जिसे मिलिट्री के तानाशाह चला रहे थे, उसे अपना पसंदीदा साथी माना.' वह कोल्ड वॉर के उस दौर का जिक्र कर रहे थे जब अमेरिका ने पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करना पसंद किया, जो 1980 के दशक में सैन्य तानाशाहों द्वारा शासित था.

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विदेश मंत्री ने आगे कहा कि भारत और रूस के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंध हैं, जिसने निश्चित रूप से भारत के हितों की अच्छी सेवा की है. जयशंकर ने आगे कहा, 'अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हमने आपसास की चीजों के हिसाब से फैसले लेते हैं. मेरी समझ में, इस मौजूदा संघर्ष के संदर्भ में, हर सैन्य संघर्ष की तरह, इससे भी सीख मिलती है. पिछले महीने भी एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि भारत को अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने वाले हथियारों के मामले में, पूरा अधिकार है कि जो वह खरीदना चाहता है वही खरीदे.

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भारत को जमकर हथियार देता है रूस
एस. जयशंकर अपनी न्यूजीलैंड यात्रा के बाद अब ऑस्ट्रेलिया पहुंचे हैं. आपको बता दें कि रूस, बड़े स्तर पर भारत को हथियारों की सप्लाई करता है. रूस-यूक्रेन के युद्ध की वजह से अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर जमकर प्रतिबंध लगाए हैं. तमाम प्रतिबंधों के बावजूद रूस ने भारत को मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 की सप्लाई समय पर की है. यही वजह है कि यूरोपीय देश और अमेरिका भारत की आलोचना कर रहे हैं कि वह रूस का साथ दे रहा है.

रूस-यूक्रेन युद्ध के मसले पर भारत ने हर बार यह साफ किया है कि वह किसी भी हालात में युद्ध के पक्ष में नहीं है और इस समस्या का हल बातचीत से निकाला जाना चाहिए. कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने अपनी तटस्थ भूमिका स्पष्ट की है और किसी का भी पक्ष लेने से साफ इनकार किया है.

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