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Tourism : ग्वालियर के पास है वह मंदिर जिसे भूतों ने बनाया था

मध्य प्रदेश के ग्वालियर के पास घूमने की कई जगहें हैं. ककनमठ मंदिर उनमें से एक है जिसके बारे में कई कहानियां हैं.

Tourism : ग्वालियर के पास है वह मंदिर जिसे भूतों ने बनाया था
kakanmath

 

हमारे ग्वालियर के पास है मुरैना और मुरैना में मितावली ,पड़ावली, बटेसर और इनके अलावा ककनमठ है. पुरातत्व के ख़ज़ाने हैं ये . ग्वालियर से नज़दीक इस जगह में ग्यारहवीं शताब्दी के आसपास गुर्जर ,प्रतिहारों वंश के राजाओं का राज था.

उस वक्त इन इलाक़ों में बहुत से भव्य मंदिर गढ़े गये जिनके भग्नावशेष आज भी मौजूद हैं और उस वक्त के कलाप्रिय शासकों और बेहतरीन शिल्पियों की कथा कहते हैं.

आज ककनमठ(Kakanmath) की कहानी सुनिये. मुरैना के सिहोनिया गांव में मौजूद यह जगह दरअसल ये एक शिव मंदिर है . हज़ार साल पहले यहां के राजा थे कीर्ति राज . यह विशाल मंदिर उन्होंने अपनी शिव भक्त रानी ककनवती के आग्रह पर बनवाया था .

एक बड़े से चबूतरे पर बने क़रीब सौ फ़ीट ऊंचे इस मंदिर के बाबत हैरान कर देने वाली बात यह है कि इसको बनाने में जो पत्थर इस्तेमाल हुए वो इस इलाक़े में पाये ही नहीं जाते.

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बिना गारे का है यह मंदिर

इन पत्थरों को जोड़ने में मिट्टी ,चूना गोंद या और किसी भी चीज का इस्तेमाल नहीं हुआ. न ही इनमें दरवाज़े हैं और ना खिड़कियां हैं. बस पत्थर पर पत्थर रख कर बनाया गया है यह मंदिर. पत्थर एक के उपर एक रखें भर हैं, जैसे लटके हुए हों हवा में . हज़ार साल हो चुके हैं इस मंदिर को बने हुए. पता नहीं कैसा-कैसा वक्त देखा होगा इस मंदिर ने. कितने आंधी,तूफ़ान और भूकंप आये होंगे . कितनी लड़ाइयां हुई होगी इस इलाक़े में और इसे नुक़सान पहुंचाने की कोशिशें भी हुई ही होगी पर यह ‘अब गिरा-तब गिरा’ प्रतीत होने वाला मंदिर आज भी अपनी जगह पर मौजूद है.

क्या भूतों ने बनाया था इसे

 इस मंदिर के बारे में एक दिलचस्प लोक कथा भी है . लोग मानते हैं,भोलेनाथ भूतनाथ भी हैं. भूतों ने अपने आराध्य की पूजा के लिये एक रात में बनाया था यह मंदिर. बनाते-बनाते सुबह हो गई . मंदिर तक तक पूरा बना नहीं था इसलिये वे उसे अधूरा ही छोड़ गये . गर्भगृह में शिवलिंग आज भी हैं . लोग मानते हैं कि अब भी रात को शिव की पूजा करने भूत प्रेत यहां आते हैं.  इस वजह से शाम के बाद ज़िंदा लोग इस मंदिर के प्रांगण में रूकते नहीं हैं.

मंदिर के आसपास बिखरे पड़े भग्नावशेष बताते हैं कि इसके आसपास कभी कुछ और छोटे मंदिर भी रहे होंगे. मंदिर बेहद सुंदर और कलात्मक है . मंदिर के आसपास और इसकी दीवारों पर हमारे समृद्ध अतीत की गवाह टूटी-फूटी,सुंदर दर्शनीय मूर्तियां मौजूद हैं. वास्तव में देखने ,हैरान होने और सराहने लायक़ है यह मंदिर. कभी ग्वालियर आएं तो रहस्यमयी ककनमठ(Kakanmath) देखने के लिये ज़रुर वक्त निकालें. आपको अच्छा लगेगा .

मुकेश नेमा सरकारी पदाधिकारी हैं. उनके व्यंग्य के लोग काफ़ी मुरीद हैं. व्यंग्य की उनकी एक किताब साहबनामा भी प्रकाशित हो चुकी है.

 (यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)

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