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उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री, जिसने संविधान निर्माण में भी निभाई थी अहम भूमिका

वह बंगाली परिवार से थीं. हरियाणा में जन्म हुआ. दिल्ली उनकी राजनीतिक जमीन बनी मगर वह मुख्यमंत्री बनीं उत्तर प्रदेश की. वह भी पहली मुख्यमंत्री.

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उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री, जिसने संविधान निर्माण में भी निभाई थी अहम भूमिका

सुचेता कृपलानी ( फोटो साभार- इंडियन हिस्ट्री)

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वह बंगाली परिवार से थीं. हरियाणा में उनका जन्म हुआ था. दिल्ली से उन्होंने राजनीति की शुरुआत की. मगर वह मुख्यमंत्री बनीं उत्तर प्रदेश की. वो भी पहली महिला मुख्यमंत्री. वह देश की पहली महिला थीं, जो किसी प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं. उत्तर प्रदेश चुनाव नजदीक हैं. ऐसे में बीते दिनों के ऐतिहासिक फैसलों और अहम किरदारों पर नजर डालना जरूरी हो जाता है. ऐसी ही एक अहम किरदार थीं सुचेता कृपलानी.

बंगाली परिवार में हुआ था जन्म
25 जून 1908 को सुचेता कृपलानी का जन्म एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में अंबाला में हुआ था. उनके पिता ब्रिटिश सरकार के अधीन एक डॉक्टर थे. मगर वह एक राष्ट्रवादी भी थे. सुचेता बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार थीं. उन्होंने नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ और सेंट स्टीफन कॉलेज से पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वह बनारस हिंदु विश्वविद्यालय में पढ़ाने लगीं.

उम्र में 21 साल बड़े जेबी कृपलानी से की शादी
28 साल की उम्र में उन्हें प्यार हुआ और उन्होंने सोशलिस्ट लीडर आचार्य जेबी कृपलानी से शादी कर ली. वह उम्र में सुचेता से 21 साल बड़े थे. दोनों के ही परिवार की तरफ से इस शादी का विरोध हुआ था.महात्मा गांधी भी शुरुआत में इस शादी के खिलाफ थे. उनका कहना था कि इस शादी के बाद वह अपने एक अहम व्यक्ति और स्वतंत्रता सेनानी जेबी कृपलानी को खो देंगे. लेकिन सुचेता ने इस पर उन्हें विश्वास दिलाया कि इस शादी के बाद उन्हें दो स्वतंत्रता सेनानी मिलेंगे. समय के साथ सुचेता ने अपनी ये बात सच भी साबित की. सुचेता कृपलानी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी.  

सुचेता कृपलानी

संविधान निर्माण में निभाई भूमिका
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने के बाद सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सुचेता कृपलानी ने अहम भूमिका निभाई. वह कांग्रेस पार्टी के महिला विभाग की पहली प्रमुख भी रही थीं. सन् 1958 से 1960 तक वह कांग्रेस की महासचिव भी रहीं.सन् 1946 में उन्हें संविधान सभा के सदस्य के रूप में चुना गया था. उनकी उत्कृष्ट क्षमता के कारण, उन्हें उस उपसमिति में शामिल किया गया जिसे भारत के संविधान के चार्टर को निर्धारित करने का कार्य सौंपा गया था. 

बनी पहली महिला मुख्यमंत्री
सन् 1962 में वह कानपुर से उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य चुनी गईं. सन् 1963 में वह उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. सन् 1967 तक वह मुख्यमंत्री पद पर रहीं. यह भारत की किसी भी महिला के लिए पहली बार था. इस लिहाज से वह मुख्यमंत्री बनने वाली पहली भारतीय महिला थी. सन् 1971 में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था. 

 

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