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विधानसभा चुनाव से पहले Congress को बगावत का डर, पंजाब-UK में हो रही डैमेज कंट्रोल की कोशिश

कांग्रेस का मानना है कि अगर नेताओं की नाराजगी और गुटबाजी को जल्द खत्म ना किया गया तो पार्टी के सामने मुश्किल आ सकती है.

विधानसभा चुनाव से पहले Congress को बगावत का डर, पंजाब-UK में हो रही डैमेज कंट्रोल की कोशिश

fear of rebellion haunting congress trying to persuade angry leaders in punjab uttarakhand 

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डीएनए हिंदीः उत्तराखंड और पंजाब में विधानसभा (Assembly Election) चुनाव से पहले टिकट बंटवारे को लेकर नेताओं की नाराजगी ने कांग्रेस (Congress) की चिंता बढ़ा दी है. पार्टी को अब इस बात का डर सताने लगा है कि अगर जल्द इस असंतोष को दूर नहीं किया गया तो दोनों ही राज्यों में पार्टी की चुनौती बढ़ सकती है. पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को डैमेज कंट्रोल के लिए मैदान में उतार दिया है. स्थानीय नेताओं की भी मदद ली जा रही है. 

उत्तराखंड में सबसे ज्यादा चिंता
कांग्रेस को सबसे ज्यादा चिंता उत्तराखंड को लेकर ही है. दरअसल यहां गुटबाजी की खबरें कई दिनों से सामने आ रही थी. टिकट बंटवारे को लेकर नेताओं की नाराजगी दूर नहीं हो सकी है. टिकट बंटवारे का मामला खुद पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी तक पहुंचा था. इतना ही नहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के टिकट को लेकर भी स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. हरीश रावत को पहले नैनीताल जिले की रामनगर विधान सभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था. अब वह नैनीताल जिले की ही लाल कुआं सीट से चुनाव लड़ेंगे.

यह भी पढ़ेंः Uttarakhand Election: कांग्रेस ने बदली हरीश रावत की सीट, जानिए अब कहां से लड़ेंगे चुनाव 

दरअसल उत्तराखंड में कांग्रेस की बीजेपी के साथ सीधी टक्कर है. पार्टी का मानना है कि अगर नेताओं की नाराजगी और गुटबाजी को जल्द खत्म ना किया गया तो पार्टी के मुश्किल सामने आ सकती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच करीब 13 फीसदी वोट का अंतर था जबकि 2012 में दोनों पार्टियां लगभग बराबर थी. अगर पार्टी को 13 फीसदी वोटों के अंतर को पार करना है तो पार्टी का एकजुट रहना जरूरी है.  

पंजाब में भी सामने आने लगी नाराजगी
कांग्रेस के लिए पंजाब में भी परेशानी कम नहीं है. पहले कांग्रेस ने साफ कर दिया था कि पार्टी एक परिवार एक टिकट के फॉर्मूले पर ही काम करेगी. इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भाई डॉ मनोहर को टिकट नहीं दिया, हालांकि प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के भांजे को अमरगढ़ से प्रत्याशी बनाया है. इतना ही नहीं कांग्रेस ने पार्टी ने वरिष्ठ नेता राजिंदर कौर भट्ठल के साथ उनके दामाद विक्रम बाजवा को साहनेवाल से चुनाव मैदान में उतारा है. इसी के बाद से विरोध के सुर उठने लगे हैं. कई विधायक जिन्हें इस बार पार्टी ने टिकट हीं दिया वह भी चुनाव मैदान में उतरने की बात कर रहे हैं. ऐसे में अब पार्टी ने सुखजिंदर सिंह रंधावा, राजकुमार वेरका और अमरिंदर सिंह राजा वडिग जैसे नेताओं को इन्हें मनाने की जिम्मेदारी सौंपी है.  

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