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Padrauna Election: बीजेपी में RPN Singh के आने से टेंशन में स्वामी प्रसाद मौर्य? क्या होगा परिणाम

UP Elections: सियासत की शतरंज पर किस दल की चाल सबसे सटीक बैठी यह तो चुनाव परिणाम ही बता पाएंगे.

Padrauna Election: बीजेपी में RPN Singh के आने से टेंशन में स्वामी प्रसाद मौर्य? क्या होगा परिणाम

Image Credit- DNA

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डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश में हर सियासी दल का इस वक्त सिर्फ एक ही मकसद है, राज्य में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को जीतना. चुनाव जीतने के लिए हर दिन एक नई चाल चली जा रही है. कभी कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार रहे RPN सिंह भाजपा में शामिल हो गए हैं.

RPN सिंह के भाजपा में शामिल होने से भले ही कांग्रेस को झटका लगा हो लेकिन चिंता निश्चित ही कांग्रेस से ज्यादा स्वामी प्रसाद मौर्य की बढ़ गई होंगी, जो हर जगह खुद को मौसम वैज्ञानिक और किंग मेकर साबित करने में जुटे हुए हैं.

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कौन हैं RPN Singh?
आरपीएन सिंह उर्फ रतनजीत प्रताप नारायण कांग्रेस के लिए बेहद अहम भूमिका निभा चुके हैं. पडरौना (Padrauna Vidhan Sabha Seat) उनका घर है. उनके पिता सीपीएन सिंह भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. आरपीएन सिंह पडरौना सीट से तीन बार 1996, 2002 और 2007 में विधायक रह चुके हैं. 2011 में उन्हें केंद्रीय मंत्री का पद मिला था. आरपीएन4 के लोकसभा चुनाव कुशीनगर से हार गए थे.    सिंह 201

कितनी बढ़ीं स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें?
चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के तुरंत बाद भाजपा छोड़ सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य भले ही खुद को पडरौना का किंग बता रहे हों लेकिन RPN Singh के भाजपा में आने के बाद उनकी मुश्किलें निश्चित ही बढ़ गई हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) 1996 और 2002 में डलमऊ सीट से चुनाव जीते लेकिन 2007 में हार गए.

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उसके बाद ही 2009 में RPN Singh के सांसद बनने के बाद वो पडरौना सीट से उपचुनाव जीतने में सफल रहे. वो इसके बाद अगले दो चुनाव भी इसी सीट से जीते लेकिन ऐसा पहली बार होगा कि पडरौना में स्वामी प्रसाद मौर्य के सामने आरपीएन सिंह हो सकते हैं, वो भी भाजपा के टिकट पर. निश्चित ही ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए पडरौना में राहें आसान न होंगी.

क्या कहते हैं जातीय समीकरण?
पडरौना विधानसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या करीब साढ़े तीन लाख है. इनमें 84 हजार मुस्लिम मतदाता हैं. इसके अलावा इस सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर की संख्या करीब 76 हजार है. ब्राह्मण 52 हजार हैं, यादव वोटर 48 हजार है, सैंथवार वोट 46 हजार है जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य की जाति के वोटरों की संख्या 44 हजार है.

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