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UP Elections 2022: Amit Shah की 'सरकार बनाओ, अधिकार पाओ' रैली आज, क्या हैं सियासी मायने?

BJP और निषाद पार्टी रमाबाई अंबेडकर ग्राउंड में एक भव्य रैली आयोजित करा रही है. पहले के चुनावों में भी निषाद समुदाय की वजह से बीजेपी को लाभ मिला है.

UP Elections 2022: Amit Shah की 'सरकार बनाओ, अधिकार पाओ' रैली आज, क्या हैं सियासी मायने?

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डीएनए हिंदी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) आज लखनऊ में 'सरकार बनाओ, अधिकार पाओ' रैली को संबोधित करेंगे. भारतीय जनता पार्टी (BJP) और  निषाद पार्टी (Nishad Party) की ओर से आयोजित की जा रही रैली की शुरुआत दोपहर 1 बजे लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में होगी. निषाद समाज जन सभा (Nishad Samaj Jan Sabha) के जरिए सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश हो रही है.

सियासी रैली के अलावा अमित शाह यूपी में कोऑपरेटिव बैंक की 23 नई शाखाओं का उद्घाटन करेंगे वहीं स्टेट वेयरहाउसिंग कॉपरेशन को 29 गोदाम भी सौंपेंगे. अमित शाह की इस चुनावी रैली का फोकस यूपी में सियासी समीकरण साधने की है. अमित शाह सहकार भारती के सातवें नेशनल कन्वेंशन में हिस्सा लेंगे.  

अमित शाह का उत्तर प्रदेश दौरा कई मायनों में बेहद अहम है. निषाद जन सभा तब हो रही है जब संजय निषाद के नेतृत्व वाली निषाद पार्टी (निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल) के साथ बीजेपी ने औपचारिक गठबंधन का ऐलान किया है. विधानसभा चुनाव 2022 के लिए बीजेपी अन्य छोटे दलों को साथ लेने की लगातार कोशिश कर रही है.

निषाद वोटरों को साधने की कोशिश!

राजनतीक विशेषज्ञों का दावा है कि निषाद पार्टी का साथ जुड़ना बीजेपी को बड़ा सियासी फायदा दिला सकता है. पहले के चुनावों में भी निषाद समुदाय की वजह से बीजेपी को लाभ मिला है. निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल ने यूपी के कई जिलों में बीजेपी के साथ एक सर्वे भी अगस्त में कराया था. निषाद पार्टी वहीं निषाद कैंडीडेट उतारेगी जहां उनकी आबादी ज्यादा है. सर्वे की रिपोर्ट बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी सौंपी जाएगी. सीट फॉर्मूले पर मुहर जेपी नड्डा ही लगाएंगे. पूर्वी और केंद्रीय यूपी की 160 विधानसभा सीटों पर निषाद वोटरों की संख्या अच्छी है. यूपी के 18 जिले ऐसे हैं जहां निषाद समुदाय की आबादी ज्यादा है. 

किन जिलों में निषाद वोटरों की संख्या है ज्यादा?

प्रयागराज, फिरोजाबाद, बलिया, संत कबीर नगर, बांदा, अयोध्या, सुल्तानपुर, गोरखपुर, महाराजगंज, औरैया, लखनऊ, उन्नाव, मेरठ, मिर्जापुर, संत रविदास नगर, मुजफ्फरनगर, वाराणसी और जौनपुर में निषाद वोटरों की संख्या निर्णायक स्थिति में है. बीजेपी 60 विधानसभा सीटों और 20 लोकसभा सीटों पर यहां बेहद मजबूत स्थिति में रहती है.  

तय नहीं है सीट शेयरिंग फॉर्मूला

बीजेपी और निषाद पार्टी के बीच सीट शेयरिंग पर फॉर्मूला तय नहीं हुआ है. साल 2017 में बीजेपी ने कुल19 सीटें अपने सहयोगी दलों को दी थीं. अपना दल (एस), सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के साथ भी बेजेपी का गठबंधन था. निषाद पार्टी 100 सीटों पर अलग से चुनाव लड़ी थी लेकिन जीत 1 सीट पर मिली थी. 

सपा भी कर रही है निषाद वोटरों को लुभाने की कोशिश

निषाद वोटरों को लुभाने के लिए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने मूला देवी से नवंबर में मुलाकात की थी. मूला देवी बागी से राजनेता बनीं फूलन देवी की मां हैं. सितंबर से नवंबर के बीच सपा ने अपनी सहयोगी पार्टियों के साथ कई यात्रिओं की शुरुआत की थी. ज्यादातर सहोयगी पार्टियां ऐसी हैं जिनकी यादवों में पैठ नहीं है. सभी जातियों को साधने की कोशिश में अखिलेश यादव को अब बड़ी चुनौती मिल सकती है. पूर्व मंत्री राम किशोर बिंद ने भी बिंद, निषाद, केवट और मल्लाह समुदाय से जुड़े लोगों के साथ बैठकें की थीं. अमित शाह की इस रैली से नया संदेश विपक्षी पार्टियों को जा सकता है.

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