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दिवाली से पहले महंगा हो सकता है खाने का तेल,पढ़ें अहम कारण 

पिछले हफ्ते, एआईओटीएफ ने पाम तेल में 10-12 रुपये प्रति लीटर, सोयाबीन तेल की कीमतों में 14 रुपये से 16 रुपये का इजाफा किया था. 

दिवाली से पहले महंगा हो सकता है खाने का तेल,पढ़ें अहम कारण 
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डीएनए हिंदी: जैसे-जैसे रोशनी का त्योहार दिवाली नजदीक आ रही है, खाने के तेल की कीमतों में उछाल (Edible Oil Price Hike) आने की संभावना है. कीमतों में अचानक वृद्धि जियो पॉलिटिकल टेंशन, ओपेक देश द्वारा तेल उत्पादन प्रतिबंधों और इंडोनेशिया के पाम तेल के निर्यात को रोकने के फैसले से जुड़ी हुई है. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडोनेशिया के क्रूड पाल ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध (Crude Palm Oil Export Ban) के फैसले से ग्लोबल लेवल पर खाद्य तेल की सप्लाई और कीमत दोनों पर असर पड़ेगा. उपरोक्त कारणों से ग्लोबल मार्केट से हर महीने 20 लाख टन पाम तेल की सप्लाई खत्म हो जाएगी.

हाल में खाने के तेल में होगा इजाफा 
यह मंथली ग्लोबल ट्रेड वॉल्यूम के लगभग 50 प्रतिशत के बराबर है. इसलिए, इससे ग्लोबल मार्केट में ऑप्शप की डिमांड बढ़ेगी. पिछले हफ्ते, ऑल इंडिया एडिबल ऑयल ट्रेडर्स फेडरेशन ने पाम तेल में 10-12 रुपये प्रति लीटर, सोयाबीन तेल में 14 रुपये से 16 रुपये और सूरजमुखी के तेल की कीमतों में खुदरा स्टोरों में 18 रुपये से 20 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि दर्ज की. 

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कीमतों में वृद्धि ने कंज्यूमर इंफ्लेशन में इजाफा कर दिया है और पॉम ऑयल की सप्लाई आपूर्ति को संकट में डाल दिया है. रूस-यूक्रेन संघर्ष ने कच्चे सूरजमुखी तेल की उपलब्धता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. चूंकि दोनों देशों का ग्लोबल प्रोडक्शन में दो-तिहाई से अधिक का योगदान है. मार्च में तेल की कीमत बढ़कर 1,900 अमेरिकी डॉलर प्रति टन हो गई. इस बीच, दक्षिण अमेरिका सोयाबीन उत्पादन पर सूखे की छाया से जूझ रहा है.

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और हो सकता है महंगा 
भारत अपने तेल का 70 प्रतिशत आयात करता है इसलिए देश वैश्विक तेल बाजार में किसी भी बदलाव के लिए अस्थिर है. ऑल इंडिया एडिबल ऑयल ट्रेडर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ के महासचिव शंकर ठक्कर ने कहा, कि ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कमी और डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्यह्रास से खाने के तेल में इजाफा देखने को मिला है. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय मुद्रा के मूल्यह्रास के निरंतर स्तर का असर अन्य खाद्य तेलों की कीमतों पर भी पड़ेगा. इससे त्योहारी सीजन के दौरान तेल की कीमतों में कुल मिलाकर दो अंकों में वृद्धि होगी.

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