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'Credit Score' से जुड़ी आपकी शिकायतों को सुलझाएगा RBI, जानें कैसे 

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने कहा कि 'सीआईसी के भीतर शिकायत निपटान व्यवस्था को मजबूत करने को लेकर अब इन कंपनियों को आंतरिक ओम्बुड्समैन (Integrated Ombudsman) के दायरे में लाने का निर्णय किया गया है.

'Credit Score' से जुड़ी आपकी शिकायतों को सुलझाएगा RBI, जानें कैसे 
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डीएनए हिंदी: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने व्यक्तियों और कंपनियों के कर्ज के बारे में सूचना देने वाली कंपनियों (CIC) में शिकायतों के समाधान की व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये उन्हें इंटीग्रेटिड ओम्बुड्समैन (Integrated Ombudsman) के दायरे में लाने का फैसला किया है. रिजर्व बैंक-इंटीग्रेटिड ओम्बुड्समैन योजना (RBI-IOS) से ग्राहक शिकायत निपटान व्यवस्था बेहतर हुई है. आरबीआई ने विकासात्मक और नियामकीय नीतियों के तहत शुक्रवार को बयान में कहा कि आरबीआई-आईओएस के तहत शिकायत निपटान में लगने वाले समय में काफी कमी आई है. 

आईओएस में हो सीआईएस की शिकायत
द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 'सीआईसी के भीतर शिकायत निपटान व्यवस्था को मजबूत करने को लेकर अब इन कंपनियों को आंतरिक ओम्बुड्समैन के दायरे में लाने का निर्णय किया गया है.'' रिजर्व बैंक एकीकृत ओम्बुड्समैन योजना (आरबी-आईओएस), 2021 के तहत फिलहाल शहरी सहकारी बैंकों समेत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और 50 करोड़ रुपये और उससे ऊपर के जमा वाले गैर-अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंक आते हैं. 

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आईओएस के दायरे में आएंगी सभी सीआईसी 
रिजर्व बैंक ने कहा कि आरबीआई-आईओएस को और अधिक व्यापक बनाने के लिये क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को इसके दायरे में लाने का निर्णय लिया गया है. यह इन कंपनियों के ग्राहकों को उसके खिलाफ शिकायतों के समाधान के लिये लागत मुक्त वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करेगा.'' केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा कि इसके अलावा आंतरिक स्तर पर शिकायतों के समाधान की व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये सीआईसी को आंतरिक ओम्बुड्समैन के दायरे में भी लाने का निर्णय किया गया है. 

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आउटसोर्सिंग को लेकर कही बड़ी बात 
आउटसोर्सिंग के बारे में केंद्रीय बैंक ने कहा कि नियमित इकाइयां (शहरी सहकारी बैंक समेत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां आदि) लागत कम करने और विशेषज्ञ सेवा लेने के लिये आउटसोर्सिंग का सहारा ले रही हैं. हालांकि, आउटसोर्सिंग स्वीकृत गतिविधि है और नियमित इकाइयों का परिचालन से जुड़ा निर्णय है. लेकिन इससे इन इकाइयों के लिये विभिन्न जोखिम भी पैदा होते हैं. बयान के अनुसार, ''आउटसोर्सिंग की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए संबंधित जोखिमों के प्रबंधन के लिये नियमित इकाइयों के ढांचे को उपयुक्त रूप से मजबूत करने की आवश्यकता है. इसीलिए मौजूदा दिशानिर्देशों को सुसंगत और समेकित करने के लिये विभिन्न संबंधित पक्षों के सुझाव के लिये वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता पर एक मसौदा निर्देश शीघ्र ही जारी किया जाएगा.''

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आरबीआई की इंटीग्रेटिड ओम्बुड्समैन स्कीम क्या है?
केंद्रीय बैंक ने नवंबर 2021 में रिजर्व बैंक - इंटीग्रेटिड ओम्बुड्समैन स्कीत, 2021 शुरू की. यह योजना आरबीआई की मौजूदा तीन लोकपाल योजनाओं को इंटीग्रेटिड करती है, अर्थात् (1) बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006, (3) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए लोकपाल योजना, 2018, और (3) डिजिटल लेनदेन के लिए लोकपाल योजना, 2019. 

योजना की कुछ मुख्य विशेषताएं हैं

  • अब शिकायतकर्ता को यह पहचानने की आवश्यकता नहीं होगी कि उसे किस योजना के तहत लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करनी चाहिए.
  • ह योजना 'सेवा में कमी' को एक शिकायत दर्ज करने के आधार के रूप में परिभाषित करती है, जिसमें बहिष्करण की एक निर्दिष्ट सूची है. इसलिए, शिकायतों को अब केवल योजना में सूचीबद्ध आधारों के अंतर्गत नहीं आने' के कारण खारिज नहीं किया जाएगा.
  • इस योजना ने प्रत्येक लोकपाल कार्यालय के अधिकार क्षेत्र को समाप्त कर दिया है.
  • किसी भी भाषा में भौतिक और ईमेल शिकायतों की प्राप्ति और प्राइमरी प्रोसेसिंग के लिए भारतीय रिजर्व बैंक, चंडीगढ़ में एक सेंट्रलाइज रसीद और प्रोसेसिंग केंद्र स्थापित किया गया है.
  • विनियमित इकाई का प्रतिनिधित्व करने और ग्राहकों द्वारा विनियमित इकाई के खिलाफ दायर शिकायतों के संबंध में जानकारी प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक या समकक्ष में महाप्रबंधक के पद पर प्रधान नोडल अधिकारी की होगी.
  • विनियमित संस्था को उन मामलों में अपील करने का अधिकार नहीं होगा जहां लोकपाल द्वारा उसके खिलाफ संतोषजनक और समय पर सूचना/दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करने के लिए एक अवॉर्ड जारी किया जाता है.

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