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इस बार सर्दियों में मिल सकते हैं सस्ते कपड़े, जानिए इसकी वजह 

हाल के दिनों में देश के कुछ कपास उत्पादक राज्यों (Cotton producing states) में हुई भारी बारिश से कपास की फसल (Cotton Crop) को नुकसान की आशंका जताई जाने लगी थी. अब जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय में हुई भारी बारिश के बावजूद कपास के रकबे में ज्यादा गिरावट नहीं होगी क्योंकि किसानों के पास अभी भी कपास की दोबारा बुआई करने का मौका है.

इस बार सर्दियों में मिल सकते हैं सस्ते कपड़े, जानिए इसकी वजह 
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डीएनए हिंदी: आने वाले सर्दियों के दिनों में आम लोगों को कपड़ों की कीमतों (Clothes Price in Winter) से राहत मिलती हुई दिखाई दे सकती हैै। इसका कारण है कॉटन का प्रोडक्शन (Cotton Propuction Hike) बढऩा। वास्तव में हाल के दिनों में देश के कुछ कपास उत्पादक राज्यों (Cotton Producing States) में हुई भारी बारिश से कपास की फसल (Cotton Crops) को नुकसान की आशंका जताई जाने लगी थी. अब जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय में हुई भारी बारिश के बावजूद कपास के रकबे में ज्यादा गिरावट नहीं होगी क्योंकि किसानों के पास अभी भी कपास की दोबारा बुआई करने का मौका है. एक अनुमान के मुताबिक महाराष्ट्र में अत्यधिक बारिश की वजह से कुल खरीफ फसल का करीब 8.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र क्षतिग्रस्त हो गया है. हालांकि वास्तविक रिपोर्ट का आना अभी बाकी है. बता दें कि महाराष्ट्र में ज्वार, तुअर और अन्य के साथ कपास और सोयाबीन खरीफ की बड़ी फसल है. 

ज्यादा चिंता की बात नहीं 
ओरिगो कमोडिटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट राजीव यादव के मुताबिक महाराष्ट्र में खरीफ के तहत 157 लाख हेक्टेयर में खेती की जाती है और अगर इसके मुकाबले राज्य में कपास की कुल बुआई 42.81 लाख हेक्टेयर को लें तो भारी बारिश की वजह से करीब 2.3 लाख हेक्टेयर में कपास की फसल को नुकसान हो सकता है. उनका कहना है कि कपास की फसल को हुआ नुकसान इस साल के लिए हमारे द्वारा लगाए गए बुआई के अनुमान 125-126 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल की तुलना में नगण्य है.

दोबारा हो सकती है बुआई 
राजीव यादव कहते हैं कि कपास का क्षेत्रफल अभी भी पिछले साल की तुलना में ज्यादा रहेगा. उनका कहना है कि जुलाई में कम या भारी बारिश की वजह से अगर फसल खराब भी हो जाती है, तो भी किसानों द्वारा हमेशा दोबारा बुआई की गुंजाइश बनी रहती है और ताजा मामले में ऐसा ही हो रहा है. हालांकि अगर महीना सितंबर या अक्टूबर होता तो स्थिति कुछ और होती. उनका कहना है कि मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक कपास उत्पादक क्षेत्रों में अगले 5 दिनों में छिटपुट से लेकर कम बारिश होने का अनुमान है, जो कि फसल की प्रगति के लिए अच्छा रहेगा. इसलिए फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है.

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ग्लोबल प्रोडक्शन में आ सकती है गिरावट 
कॉटलुक ने अपने नवीनतम अपडेट में अमेरिका और ब्राजील में कम उत्पादन की वजह से 2022-23 के लिए वैश्विक कॉटन उत्पादन के अनुमान को 6,24,000 टन घटाकर 25.7 मिलियन मीट्रिक टन कर दिया है. सूखे की वजह से अमेरिका में उत्पादन थोड़ा कम रहने की आशंका है. खासकर अमेरिका के सबसे बड़े कॉटन उत्पादक राज्य टेक्सास में उत्पादन पर नकारात्मक असर पडऩे की आशंका है, जिसकी वजह से उपज पर असर पड़ेगा. अमेरिका में कॉटन का उत्पादन 3.1 मिलियन मीट्रिक टन रहने का अनुमान है जो कि पूर्व के अनुमान 3.5 मिलियन मीट्रिक टन से कम है. भारत और चीन में कॉटन का उत्पादन क्रमश: 6 मिलियन मीट्रिक टन और 5.8 मिलियन मीट्रिक टन पर स्थिर रहने का अनुमान है. वहीं वियतनाम से मांग में कमी की वजह से 2022-23 में वैश्विक खपत के अनुमान को 1,50,000 टन घटाकर 25 मिलियन मीट्रिक टन कर दिया गया है.

कपास की बुआई में मामूली इजाफा
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक 29 जुलाई 2022 तक देशभर में कपास की बुआई 117.65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो कि पिछले साल की समान अवधि की 111.2 लाख हेक्टेयर की तुलना में 5 फीसदी ज्यादा है. राजीव यादव के मुताबिक चालू खरीफ सीजन में देश में कपास का रकबा 4 से 6 फीसदी बढ़कर 125-126 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है. उनका कहना है कि चूंकि पिछले दो साल से किसानों को कपास में अच्छा पैसा मिला है और सोयाबीन की कीमतों में आई हालिया तेज गिरावट किसानों को कपास की बुआई करने के विकल्प का चुनाव करने के लिए प्रोत्साहित करने का काम करेगी.

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कपास की आवक बेहद कमजोर 
देशभर के प्रमुख हाजिर बाजारों में कपास की आवक शुक्रवार को घटकर 1,700 गांठ (1 गांठ = 170 किग्रा) दर्ज की गई थी, जबकि गुरुवार को आवक 2,100 गांठ थी. कुल मिलाकर गुजरात में करीब 700 गांठ और महाराष्ट्र में लगभग 1,000 गांठ आवक हुई थी. हरियाणा, पंजाब, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कोई आवक दर्ज नहीं की गई थी. राजीव यादव का कहना है कि 2022 के अंत तक कॉटन का भाव 30,000 रुपये प्रति गांठ तक लुढ़क जाएगा और आईसीई दिसंबर वायदा का भाव नीचे में 80 सेंट प्रति पाउंड के स्तर तक पहुंच जाएगा. फसल नुकसान की खबर की वजह से पिछले हफ्ते 1.7 फीसदी की रिकवरी के बावजूद शॉर्ट टर्म में हाजिर बाजार में कॉटन के भाव में 40,000 रुपये प्रति गांठ से 43,800 रुपये प्रति गांठ के दायरे में कारोबार होगा.

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