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Economic Growth Rate: विश्व बैंक ने दूसरी बार घटाई विकास दर, कोविड-यूक्रेन युद्ध का असर

India Economic Growth: विश्व बैंक ने भारत की विकास दर का अनुमान घटाया है. वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की विकास दर 7.5 फीसदी रह सकती है.

Economic Growth Rate: विश्व बैंक ने दूसरी बार घटाई विकास दर, कोविड-यूक्रेन युद्ध का असर
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डीएनए हिंदी: विश्व बैंक ( World Bank) ने 2022-23 में भारत के आर्थिक विकास दर ( Economic Growth Rate) के अनुमान को घटा दिया है. विश्व बैंक के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर 7.5% रह सकता है. वर्ल्ड बैंक ने पहले 8.7%  ग्रोथ रेट रहने का अनुमान जताया था. विश्व बैंक ने अपने अनुमान में 1.2 फीसदी की कटौती की है. 7 जून को जारी किए गए ताजा ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉसपेक्ट रिपोर्ट में नई दर सामने आई है. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जरूरी कदम उठाए जाएं तो भारतीय अर्थव्यवस्था की दर फिर से रफ्तार पकड़ सकती है.  

World Bank ने वैश्विक स्तर पर विकास दर में गिरावट की बात कही 
वर्ल्ड बैंक ने बढ़ती महंगाई , सप्लाई चेन में रूकावट और वैश्विक तनाव  के चलते आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटाया है. हालांकि, इस रिपोर्ट में विश्व बैंक ने माना है कि आर्थिक विकास दर में गिरावट सिर्फ भारत नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर है.

विश्व बैंक का मानना है कि 2023-24 में भारत का आर्थिक विकास दर 7.1% तक रह सकता है.  2024-25 के लिए वर्ल्ड बैंक ने 6.5% विकास दर रहने की भविष्यवाणी की है. इससे पहले मूडी ने भी विकास दर कम रहने का अनुमान जताया था.

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RBI ने 7.2% जीडीपी का अनुमान जताया है
मौजूदा वित्त वर्ष के लिए वर्ल्ड बैंक ने जहां 7.5 फीसदी आर्थिक विकास दर रहने का अनुमान जताया है जबकि आरबीआई ने 7.2 फीसदी जीडीपी का अनुमान जताया है. हालांकि माना जा रहा है कि आरबीआई बुधवार 8 जून को मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में इन अनुमानों में बदलाव भी कर सकता है.

विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने रिपोर्ट की भूमिका में लिखा है कि कई संकट के बाद दीर्घकालीन समृद्धि तीव्र आर्थिक वृद्धि के वापस आने और अधिक स्थिर तथा नियम आधारित नीति परिवेश पर निर्भर करेगी.

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महंगाई और यूक्रेन युद्ध का असर रहा 
विश्वबैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2022 की पहली छमाही में वृद्धि दर के धीमा होने का कारण कोविड-19 के मामलों का बढ़ना रहा है. इसके कारण आवाजाही पर पाबंदियां लगायी गईं। इसके अलावा यूक्रेन युद्ध का भी असर हुआ है. रिकवरी के रास्ते में बढ़ती महंगाई प्रमुख चुनौती है.

इसमें कहा गया है कि वृद्धि को निजी और सरकारी निवेश से समर्थन मिलेगा. सरकार ने व्यापार परिवेश में सुधार के लिये प्रोत्साहन और सुधारों की घोषणा की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सुधार के कदम उठाने का असर अर्थव्यवस्था पर दिखेगा.

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