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Budget 2022-23: केजरीवाल, राहुल, चिदंबरम जैसे विपक्षी नेताओं ने क्या कहा, जानें

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश कर चुकी हैं और विपक्षी दलों ने इस पर प्रतिक्रिया भी दी है. ज्यादातर विपक्षियों ने बजट की आलोचना की है.

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  • Feb 01, 2022, 09:50 PM IST

मोदी सरकार के नए बजट पर कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों ने प्रतिक्रिया दी है. अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस के बड़े नेताओं का कहना है कि इस बजट से जितनी भी उम्मीदें थीं वो पूरी नहीं हुई हैं. कोरोना महामारी के बाद जिस राहत की उम्मीद की जा रही थी, वह भी बजट से पूरी नहीं हुई है. जानें किस नेता ने बजट पर क्या कहा है.

1.'बजट से बहुत उम्मीदें थी लेकिन कुछ नहीं मिला'

'बजट से बहुत उम्मीदें थी लेकिन कुछ नहीं मिला'
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस बजट पर निराशा जताई है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लोगों को बजट से काफी उम्मीदें थी लेकिन सरकार से कोई आश्वासन नहीं मिला है. आम जनता को मायूस किया गया है. महंगाई को कम करने के लिए कोई उपाय नहीं किया गया है.



2.पूर्व वित्त मंत्री ने बजट को बताया पूंजीवादी

पूर्व वित्त मंत्री ने बजट को बताया पूंजीवादी
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पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि यह अब तक का सबसे पूंजीवादी बजट है. उन्होंने यह भी कहा कि पूरे बजट में वित्त मंत्री ने सिर्फ 2 बार गरीब शब्द का जिक्र किया है. बजट में आम आदमी और मिडिल क्लास को राहत देने के लिए कुछ भी नहीं है. 



3.राहुल गांधी ने बजट को बताया 0 बजट

राहुल गांधी ने बजट को बताया 0 बजट
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राहुल गांधी ने बजट पर निशाना साधते हुए कहा कि यह मोदी सरकार का जीरो बजट है. इसमें सैलरीड क्लास, मिडिल क्साल, गरीबों और वंचितों, युवाओं, किसानों और एमएसएमई सेक्टर के लिए कुछ नहीं दिया गया है.



4.शशि थरूर ने बजट को बताया छलावा

शशि थरूर ने बजट को बताया छलावा
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कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि इस बजट में किसी के लिए कोई खास उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि अच्छे दिन के छलावे की ही तरह यह बजट भी छलावा है. किसानों और मिडिल क्लास को राहत के लिए कुछ नहीं दिया गया है, यह बहुत चिंता की बात है. 



5.झारखंड के CM ने बजट को काल्पनिक साहित्य बताया

झारखंड के CM ने बजट को काल्पनिक साहित्य बताया
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झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने बजट को निराशाजनक बताया है. उन्होंने कहा, 'बजट काल्पनिक साहित्य जैसा है. पहले 2 करोड़ नौकरियों की बात थी, अब 60 लाख की बात की गई है. हकीकत है कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों की वजह से 2020 में 6.4 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी की हालत में पहुंच गए हैं.



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