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Modi Govt को नहीं मिला सरकारी कंपनी का खरीदार, विनिवेश नीति को लगा बड़ा झटका

Modi Govt ने बीपीसीएल को बेचने के लिए काफी प्लानिंग की थी लेकिन अब वो सारी प्लानिंग बर्बाद हो गई है क्योंकि कंपनी को कोई भी खरीदना नहीं चाहता है.

Modi Govt को नहीं मिला सरकारी कंपनी का खरीदार, विनिवेश नीति को लगा बड़ा झटका
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डीएनए हिंदी: एयर इंडिया (Air India) की सफल बिक्री के बाद मोदी सरकार को LIC IPO और लिस्टिंग में बड़ा झटका लगा था और नया झटका अब BPCL की बिक्री के मुद्दे पर लगा है. कंपनी को कोई भी खरीदार नहीं मिला है जिसका नतीजा यह है कि अब मोदी सरकार (Modi Govt) ने इसकी बिक्री प्रक्रिया ही रद्द कर दी है. निजीकरण को प्रोत्साहन देने की बात करने वाली  इस मुहिम को अब जोर का झटका लगता नजर आ रहा है. 

विभाग ने जारी कर दिया है नोटिफिकेशन

दरअसल, केंद्र सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) के बिक्री की बोली रद्द कर दी है. निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने एक अधिसूचना जारी कर जानकारी दी है. दीपम के मुताबिक अधिकांश योग्य इच्छुक पार्टियों (क्यूआईपी) ने वैश्विक ऊर्जा बाजार में मौजूदा परिस्थितियों के कारण बोली प्रक्रिया को जारी रखने में असमर्थता व्यक्त की है.दीपम ने बताया कि स्थिति की समीक्षा के आधार पर बीपीसीएल के विनिवेश को लेकर फैसला लिया जाएगा. 

गौरतलब है कि बीपीसीएल में सरकार अपनी समूची 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है.  यही वजह है कि मार्च, 2020 में बोलीदाताओं से रुचि पत्र मांगे गए थे. इसके बाद कोरोना की वजह से रुचि पत्र जमा कराने की डेडलाइन कई बार बढ़ाई गई है. 

सरकार को मिली थी केवल तीन बोलियां

Modi Govt की कोशिशों के बावजूद नवंबर, 2020 तक तीन बोलियां- वेदांता समूह, अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट इंक और आई स्क्वेयर्ड कैपिटल एडवाइजर्स की आईं थी. वेदांता के अरबपति संस्थापक अनिल अग्रवाल बीपीसीएल के अधिग्रहण के लिए करीब 12 अरब डॉलर खर्च करने को तैयार थे, वहीं अन्य ने तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और स्थानीय ईंधन मूल्य निर्धारण पर अनिश्चितता के बीच दूरी बना ली थी. ऐसे में लगातार कम हो रही रुचि के चलते अब सरकार को इसकी बिक्री रद्द करनी पड़ी थी.

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लगातार हो रहा है घाटा

गौरतलब है कि मार्च तिमाही में बीपीसीएल का मुनाफा 82 प्रतिशत घटकर 2,130.53 करोड़ रुपये रह गया है. पूरे वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान बीपीसीएल का शुद्ध लाभ 9,076.50 करोड़ रुपये रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 19,110.06 करोड़ रुपये था. वहीं कंपनी का घाटा लगातार घट रहा है जिसका सीधा खर्च सरकार के हिस्से आ रहा है.

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