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Netflix: सरकार जल्द नेटफ्लिक्स से होने वाली आय पर लगाएगी इनकम टैक्स, यहां पढ़ें पूरी रिपोर्ट

भारत सरकार जल्द ही OTT प्लेटफार्म Netflix पर टैक्स लगाने का मन बना रही है. बता दें कि Netflix भारत एक सबसे बड़ा बाजार है.

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डीएनए हिंदी: भारत में तेजी के साथ OTT प्लेटफॉर्म्स ने जगह बना ली है. आज हर मोबाइल में Netflix से लेकर Amazon Pime और न जाने कितने OTT ऐप मौजूद हैं. अब भारत सरकार Netflix इंक पर स्ट्रीमिंग सर्विसेज से होने वाली इनकम पर टैक्स लगाने का मन बना रही है. बता दें कि यह भारत सरकार द्वारा देश में उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स सेवाएं प्रदान करने वाली विदेशी डिजिटल कंपनियों पर टैक्स लगाने का पहला कदम होगा. ऐसा कहा जाता है कि इनकम टैक्स (Income Tax) अधिकारियों ने माना है कि नेटफ्लिक्स का भारत में एक स्थायी प्रतिष्ठान (PE) है और इस प्रकार टैक्स के लिए देश में अपनी आय का आकलन करने के लिए उत्तरदायी है.

रिपोर्ट के मुताबिक, टैक्स अधिकारियों ने एक ड्राफ्ट आर्डर में आकलन वर्ष 2021-22 में नेटफ्लिक्स के भारतीय पीई को लगभग 55 करोड़ रुपये की आय का श्रेय दिया गया है. टैक्स अधिकारियों ने तर्क दिया है कि नेटफ्लिक्स के पास अपनी स्ट्रीमिंग सेवाओं का समर्थन करने के लिए भारत में मूल इकाई से कुछ बुनियादी ढांचा और कर्मचारी हैं, जिससे देश में PE और टैक्स लायबिलिटी होती है.

यह पहली बार नहीं है कि टैक्स अधिकारियों ने यह कहते हुए कि दूसरे कर्मचारियों की उपस्थिति, जिन्हें छोटी अवधि के लिए लोन दिया था. उन्होंने भारत में विदेशी कंपनी की एक परमानेंट स्थापना की है. नेटफ्लिक्स ने 2016 में भारत में अपनी स्ट्रीमिंग सर्विसेज शुरू कीं और वर्तमान में देश में इसके 6 मिलियन से ज्यादा ग्राहक हैं.

नेटफ्लिक्स एंटरटेनमेंट सर्विसेज इंडिया (Netflix Entertainment Services) के वित्तीय आंकड़ों के मुताबिक, टॉफ़लर के सोर्स के अनुसार कंपनी ने FY21 को 1,529.36 करोड़ रुपये के ग्रॉस रेवेन्यू प्राप्त किया. नेटफ्लिक्स इंडिया ने साल-दर-साल कुल देखने के घंटों में 30% की वृद्धि दर्ज की, जबकि एक साल पहले वित्त वर्ष 21-22 में रेवेन्यू 25% बढ़ा है.

EY मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ओवर-द-टॉप (OTT) सेवाओं पर खर्च किए जाने वाले समय के हिसाब से भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में ओटीटी बाजार के लिए सब्सक्रिप्शन आय 2024 तक 3 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

भारत ने 2016 में डिजिटल विज्ञापनों पर तथाकथित 'गूगल टैक्स' (Google tax) पेश किया था और 2020 में इसे व्यापक रूप से ई-कॉमर्स सप्लाइज या सर्विसेज को शामिल करने के लिए व्यापक उपयोगकर्ता के जरिए रेवेन्यू जेनरेट करने के बावजूद देश में टैक्स से बचने वाली डिजिटल कंपनियों की आय के मुद्दे को आधार बनाया है.

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्लोबल डिजिटल कंपनियों को टैक्स के नजरिए से देश में अपने कामकाज की जांच करनी होगी. एक टैक्स एक्सपर्ट ने कहा, "वैश्विक व्यवसाय जो 'डिजिटल' शुरू हुए हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है कि उनके व्यापार मॉडल के आधार पर भारत में कोई महत्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति नहीं है."

एक अन्य टैक्स एक्सपर्ट ने कहा, "ऐसे मामलों में जहां टैक्स अधिकारियों द्वारा इस तरह की उपस्थिति का दावा किया जाता है, विशिष्ट दिशानिर्देशों के अभाव में मुनाफे के आरोप का मुद्दा बेहद जटिल और यहां तक ​​कि मनमाना हो जाता है."

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