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DNA TV Show: चंदामामा के बाद सूरज चाचू से मिलने की बारी, जहां उतर नहीं सकते, वहां क्यों भेज रहे Aditya L-1 मिशन

Aditya L-1 Mission: चंदामामा पर भारतीय परचम लहराकर इतिहास रचा जा चुका है. अब सूर्यदेव से मुलाकात के लिए ISRO ने Aditya L-1 Mission की लॉन्चिंग डेट तय कर ली है. इस मिशन का मकसद क्या है और क्या आदित्य सूरज पर लैंडिंग करेगा? इन सब बातों को डीएनए करती रिपोर्ट.

DNA TV Show: चंद��ामामा के बाद सूरज चाचू से मिलने की बारी, जहां उतर नहीं सकते, वहां क्यों भेज रहे Aditya L-1 मिशन

DNA TV Show 

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डीएनए हिंदी: ISRO Sun Mission- चांद के दक्षिणी ध्रुव पर हमने अपना लैंडर उतारकर इतिहास रच दिया है. अब Indian Space Research Organization यानी ISRO सूरज की तरफ अपने आदित्य L-1 स्पेसक्राफ्ट को रवाना करेगा. यह मिशन 2 सितंबर को लॉन्च किया जाएगा. करोड़ों आग के गोलों से भी ज्यादा दहकने वाले सूरज पर हम लैंड नहीं कर सकते, ये बात बच्चा-बच्चा जानता है. सूरज के करीब भी नहीं जा सकते. ये बात भी तकरीबन सभी लोग जानते हैं. इसके बावजूद सूरज तक मिशन भेजा जा रहा है. ऐसे में इसे लेकर लोगों के मन में तमाम सवाल हैं. लोग इसमें उलझे हुए हैं. जो थोड़ी वैज्ञानिक जानकारी रखते हैं, उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है. ऐसे में आज DNA में हम सूरज के लिए भेजे जा रहे मिशन आदित्य L-1 के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं.

क्या सूरज पर उतरेगा आदित्य?

जब हम ये कहते हैं कि सूर्य के लिए ISRO, मिशन आदित्य L-1 Launch करने जा रहा है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि ये मिशन चंद्रयान-3 की तरह होगा, जिसमें अंतरिक्ष यान चांद पर Land कर गया था. जहां तक सूर्य पर यान भेजने की बात है, तो फिलहाल ये नामुमकिन है. वजह ये है कि सूर्य का तापमान बहुत ज्यादा होता है. फिर आदित्य L-1 मिशन क्या है? इस सवाल के जवाब के लिए पहले हमें सूरज के बारे में स्कूल की किताबों में पढ़ी कुछ बातें फिर याद करनी होंगी.

  • सबसे पहले तो हम आपको ये बता दें कि हमारे SOLAR SYSTEM में सूर्य ही ऊर्जा का एकमात्र स्रोत है.
  • विज्ञान कहता है कि हमारे Solar System के सारे ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं.
  • जहां तक सूर्य की बात है तो आप उसे जलता हुआ गैस का एक गोला मान सकते हैं.
  • पृथ्वी, चंद्रमा या मंगल की तरह सूर्य की कोई ठोस सतह या ठोस केंद्र नहीं है.
  • सूर्य में 70% तक Hydrogen गैस, 28% Helium गैस, जबकि Carbon, Nitrogen और Oxygen लगभग 1.5% है.
  • सरल भाषा में बताएं तो सूर्य में एक साथ कई Hydrogen बमों के धमाके जैसा माहौल रहता है.
  • सूरज पर 2 Hydrogen अणु मिलकर Nuclear Fusion की प्रक्रिया करते हैं, जिससे Helium गैस व ऊर्जा बनती है. 
  • इस प्रक्रिया के कारण निकलने वाली गैस और ऊर्जा की वजह से ही सूर्य से गर्मी और प्रकाश निकलता रहता है.

सूरज किस तरह का आग का गोला है?

सूर्य का तापमान 5 हजार 500 डिग्री सेल्सियस से लेकर डेढ़ करोड़ डिग्री सेल्सियस तक होता है. हम जो तापमान आपको बता रहे हैं. वो सूर्य के बाहरी हिस्से से लेकर, उसके केंद्र तक का तापमान है. सूर्य को केंद्र से उसके बाहरी हिस्से तक, वैज्ञानिक 6 हिस्सों में बांटते हैं.

  • सबसे केंद्र में जो हिस्सा है उसे Core कहते हैं, यहां का तापमान डेढ़ करोड़ डिग्री सेल्सियस है.
  • दूसरा हिस्सा है Radiative Zone, यहां का तापमान 20 लाख से लेकर 70 लाख डिग्री सेल्सियस तक होता है..
  • तीसरा हिस्सा है Convection Zone, यहां का तापमान 20 लाख डिग्री सेल्सियस होता है.
  • चौथा हिस्सा कहलाता है Photo-Sphere, यहां का तापमान 5 हजार 500 डिग्री सेल्सियस होता है. 
  • Photo-Sphere सूर्य के केंद्र से 400 किमी दूर है. हमें पृथ्वी से सूरज का यही हिस्सा दिखता है.
  • पांचवे हिस्से को कहते हैं Chromo-Sphere, यहां का तापमान 4 से 6 हजार डिग्री सेल्सियस होता है.
  • Chromo-Sphere की सूर्य के Core से दूरी 400 से 2 हजार 100 किलोमीटर तक होती है.
  • इसके बाद छठे हिस्से को कहते हैं Corona, यहां का तापमान होता है 10 से 20 लाख डिग्री सेल्सियस.
  • Corona, सूर्य का वो हिस्सा है, जो पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय 'वलय' यानी 'Ring' की तरह नजर आता है.


मतलब ये है कि सूर्य के जितने पास जाने की कोशिश की जाएगी, गर्मी उतनी ज्यादा बढ़ती जाएगी, और जो भी अंतरिक्ष यान उसके पास जाएगा, वो जल जाएगा. अभी तक ऐसा कोई यान नहीं बनाया गया है, ना ही ऐसे कोई यंत्र बनाए गए हैं, जो डेढ़ करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान झेल सकें.

फिर सूर्य के लिए मिशन का क्या है मतलब?

आने वाली 2 सितंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर, श्रीहरिकोटा से PSLV रॉकेट की मदद से, Aditya L-1 Misson लॉन्च किया जाएगा. जब ISRO कह रहा है कि सूर्य के लिए मिशन आदित्य L-1 Launch किया जाएगा, तो इसका मतलब ये है कि सूर्य के पास जाने की कोशिश की जाएगी. इस मिशन से भारतीय वैज्ञानिकों को सूर्य के रहस्य सुलझाने में मदद मिलेगी. दरअसल पृथ्वी पर जीवन पनपने की एक बड़ी वजह सूर्य ही है. अगर हम अंतरिक्ष की बात करें, तो वहां का तापमान माइनस में 270 डिग्री सेल्सियस तक होता है यानी जीवन पनपने के लायक गर्मी वहां नहीं होती. सूर्य की रोशनी और पृथ्वी की सूर्य से दूरी, इतने सटीक तालमेल में हैं कि यहां पर जीवन पनपने की संभावना बन पाई है. 

इसे इस तरह समझ सकते हैं. हमारे solar system में सूर्य के सबसे पास Mercury यानी बुध ग्रह है, जहां का तापमान दिन में 430 डिग्री सेल्सियस तक होता है और रात में माइनस 180 डिग्री सेल्सियस रहता है. सूर्य और बुध ग्रह की दूरी है 5 करोड़ 79 लाख किलोमीटर. आप सोचिए कि इतनी दूरी के बावजूद बुध ग्रह पर जीवन नहीं पनप सकता, क्योंकि गर्मी बहुत ज्यादा है.

इसके उलट पृथ्वी से सूर्य की दूरी है 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर, जिसकी वजह से पृथ्वी की सतह पर औसतन तापमान 15 डिग्री सेल्सियस रहता है. ये जीवन पनपने के लिए आदर्श स्थिति है. यहां ये समझना जरूरी है कि हम पृथ्वी से सूर्य की ओर जितनी पास जाएंगे, गर्मी उतनी बढ़ती जाएगी. इस हिसाब से फिलहाल कुछ भी हो जाए, सूर्य पर अंतरिक्ष यान उतारना मुमकिन नहीं है. ऐसे में अब सवाल ये है कि आदित्य L-1 कहां तक जाएगा और क्या करने जा रहा है?

यह है आदित्य L-1 का मिशन

हमने आपको अभी ये समझाया, कि सूर्य के लिए ISRO का मिशन, सूर्य पर उतरने का नहीं उसके करीब जाने का मिशन है. इसको लेकर अब आप कोई Confusion मत रखिएगा. अब बात करते हैं, isro के मिशन आदित्य L-1 की. आप सोच रहे होंगे कि जब सूर्य पर Soft Landing नहीं की जा सकती है, तो मिशन आदित्य-L-1 क्यों भेजा जा रहा है. इसका जवाब ये है कि सूर्य, हमारे सौरमंडल का इकलौता ऐसा तारा है, जो हमारे सबसे पास है. अंतरिक्ष के अन्य तारों को समझने के लिए, इसके बारे में Study करना जरूरी है. सूर्य काफी एक्टिव रहने वाला तारा है. उसमें निरंतर सौर तूफान उठते रहते हैं, इसीलिए उसके बारे में जानकारी इकट्ठा करना, मानव जाति के भविष्य के लिए जरूरी है. आदित्य L-1, सूर्य की ओर भेजे जाने वाला भारत का पहला मिशन है. जिसका मकसद है सूर्य की जानकारी जुटाना. आपको यह भी बता दें कि हिंदू संस्कृति में आदित्य, सूर्य का ही एक पर्यायवाची यानी दूसरा नाम है.

क्या काम करेगा आदित्य L-1?

आदित्य L-1 में L-1 का मतलब है 'Lagrange Point 1', ये जगह पृथ्वी और सूर्य के बीच है और L-1 Point कहलाती है. ये Point पृथ्वी की सतह से सूर्य की ओर 15 लाख किलोमीटर दूर है. ये वो जगह है, जहां सूर्य और पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति लगभग बराबर हो जाती है. यहां से सूर्य की स्टडी करना आसाना है.

  • आदित्य L-1 एक ऐसा अंतरिक्ष यान है, जो एक Space Observatory भी है. यह सूर्य में होने वाले निरंतर बदलाव की स्टडी करेगा. आदित्य L-1 जो देखेगा, वो DATA इसरो सेंटर को भेजेगा.
  • आदित्य L-1 में 7 payloads यानी ऐसे उपकरण लगे हैं, जो सूर्य का अध्ययन करेंगे. ये उपकरण सूर्य के Photosphere, Chromosphere और Corona का अध्ययन करेंगे.
  • आदित्य L-1, सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा और Solar Flares यानी सौर तूफान का भी अध्ययन करेगा.

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