Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

DNA एक्सप्लेनर : क्या उर्दू ख़त्म हो रही है अपने Home Ground में

जिस तरह उर्दू भाषा को लेकर इन दिनों विवाद छिड़ रहे हैं, क्या यह भाषा के अपनी जन्मभूमि में खत्म होने के संकेत हैं?

DNA एक्सप्लेनर : क्या उर्दू ख़त्म हो रही है अपने Home Ground में
FacebookTwitterWhatsappLinkedin

TRENDING NOW

डीएनए हिंदी : 2017 में यह ख़बर सामने आई थी कि बसपा के एक कॉर्पोरेटर पर उर्दू में शपथ लेने की वजह से  धार्मिक सद्भाव भड़काने का आरोप लगाया गया था. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने उर्दू को उत्तर प्रदेश की आधिकारिक दूसरी भाषा की मान्यता दी थी. 1989 में उत्तर प्रदेश ने उर्दू को अपनी दूसरी भाषा के तौर पर अपनाया था. इसके ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन ने अपील की थी. इस अपील को इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने 1996 में ख़ारिज कर दिया था फिर मामला हाईकोर्ट पहुंचा था. गौरतलब है कि बीते दिनों में उर्दू को लेकर कई तरह के विवाद सामने आए हैं. सबसे ताज़ा मसला फैब इंडिया के विज्ञापन 'जश्न ए रिवाज़' से जुड़ा हुआ है. कई भाजपा नेता और समर्थक उर्दू के इस विज्ञापन के विरोध में खुलकर बोलते नज़र आए. उनका कहना था कि उर्दू शब्द के इस्तेमाल से हिन्दू त्यौहार की गरिमा ख़त्म हो रही है.

देश में उर्दू भाषा

उर्दू भाषा का जन्म भारत में दिल्ली (Delhi) और उसके आस-पास के इलाक़ों में हुआ है.  2011 की जनगणना के अनुसार वर्तमान में देश में छः करोड़ से अधिक उर्दूभाषी हैं. सिर्फ उत्तरप्रदेश में एक करोड़ से अधिक लोग उर्दू बोलते हैं. हिंदी और उर्दू को लगभग एक जैसी भाषा मानी जाती है. दोनों का ही जन्म खरी बोली से हुआ माना जाता है. उर्दू भाषा और हिंदी भाषा में वास्तविक फ़र्क़ लिपि का है. अठारहवीं सदी में अरेबिक, पर्शियन, पाली, प्राकृत और कई अन्य भारतीय भाषाओं को मिला कर हिंदवी का विकास हुआ. कालांतर में इसी हिंदवी से हिंदी और उर्दू का विकास हुआ. आज़ादी से पहले तक उर्दू साहित्य और बात-चीत की मुख्य भाषा थी. हिंदी के महान लेखक प्रेमचंद ने सबसे पहले उर्दू में ही लिखना शुरू किया था.

प्रदेश में भाषा

उर्दू भाषा को लेकर छिड़े विवाद के बीच ज़रूरी है कि उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार की भाषाओं को लेकर नीति पर एक नज़र डाली जाए. सरकार उत्तरप्रदेश में संस्कृत भाषा को प्रसारित करने के लिए ज़ोर शोर से क़दम उठा रही है. सरकार निरंतर संस्कृत भाषी विद्यालयों को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है. राज्य के सभी संस्कृत विद्यालयों में कंप्यूटर इंस्टॉल करवाया गया है. साथ ही, संस्कृत मुफ्त सिखाने के लिए भी विज्ञापन दिए जा रहे हैं. गौरतलब है कि प्रदेश में संस्कृत भाषियों की कुल संख्या 3000 या आस-पास है.

यहां 2018 की एक ख़बर पर गौर करना ज़रुरी है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से उर्दू के विषय में पूछा था. राज्य में साल की शुरुआत में 65,500 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा ली गई थी जिसमें उर्दू भाषा को छांट दिया गया था.  

आप हमसे हमारे फेसबुक पेज और ट्विटर प्रोफाइल के ज़रिये भी जुड़ सकते हैं.  

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement