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Pakistan के F-16 फाइटर जेट्स को अपडेट करेगा USA, कहीं ये भारत के रूस से दूर नहीं रहने का रिजल्ट तो नहीं

अमेरिका ने पिछले दिनों भारत को रूस के साथ व्यापार नहीं करने के लिए कहा था, लेकिन भारत ने इसे अपने लिए नुकसानदेह बताया था.

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डीएनए हिंदी: अमेरिका (America) ने पाकिस्तान (Pakistan) के F-16 फाइटर जेट्स की विशाल फ्लीट को मॉडिफाई करने के लिए 450 मिलियन डॉलर का आर्थिक पैकेज देने की घोषणा की है. इन विमानों को लेटेस्ट टेक्नोलॉजिकल एडवांस से अपडेट किया जाएगा, जिससे और ज्यादा घातक और मारक सिद्ध हो जाएंगे. 

इस घोषणा के बाद तमाम तरह के सवाल उठने शुरू हो गए हैं. माना जा रहा है कि अमेरिका ने इसके जरिए भारत सरकार को संदेश देने की कोशिश की है, जिसने पिछले दिनों अमेरिका के ऐतराज के बावजूद रूस (Russia) की तरफ झुकाव दिखाया है. हालांकि अमेरिका की घोषणा के एक दिन बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)  की सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

भारत-अमेरिका की टॉप ऑफिशियल्स मीटिंग से ठीक पहले घोषणा

अमेरिका की घोषणा की टाइमिंग के कारण भी आश्चर्य जताया जा रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने यह घोषणा बुधवार को भारत और अमेरिका के टॉप लेवल अधिकारियों की इंटरसेशनल बातचीत से ठीक पहले की. इस बातचीत में अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री (साउथ व सेंट्रल एशियन अफेयर्स) डोनाल्ड ल्यू (Donald Lu) भी शामिल थे.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि ल्यू और उनकी टीम ने भारतीय अधिकारियों को बाइडेन प्रशासन (Biden administration) के इस फैसले की जाकारी दी थी या नहीं, जो भारत के लिए पश्चिम और उत्तर पश्चिम फ्रंट पर बड़ी चुनौती साबित होने वाली पाकिस्तानी एयरफोर्स (Pakistan Air Force) की मारक क्षमता को और ज्यादा घातक बना देंगी. 

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आखिरी भिड़ंत में भारतीय मिग भारी पड़ा था F-16 पर

पाकिस्तान की F-16 फ्लीट आखिरी बार भारत के खिलाफ तब एक्शन में देखी गई थी, जब पुलवामा आतंकी हमले (Pulwama Terror Attack) का बदला लेने के लिए फरवरी, 2019 में भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट (Balakote) में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के ठिकानों पर हमला किया था. इसके बाद अगले दिन पाकिस्तानी F-16 विमानों ने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में भारतीय सेना के ठिकानों पर हमला किया था, लेकिन वापसी में भारतीय मिग-21 बाइसन (Mig-21 Bison) विमान ने एक F-16 विमान को मार गिराया था.

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भारत की आपत्ति के बावजूद मिले थे पाकिस्तान को ये विमान

साल 1980 में पाकिस्तान को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन (Ronald Reagan) ने पहली बार F-16 Fighter Jets दिए थे. हालांकि भारत ने इन विमानों का यूज अपने खिलाफ होने की बात कहते हुए बेहद आपत्ति जताई थी. साथ ही अमेरिकी संसद के कई सदस्यों और अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA की तरफ से भी आपत्ति जताई गई. इसके बावजूद राष्ट्रपति रीगन ने अपने अधिकारों की बदौलत इस डील को फाइनल कर दिया. 

हालांकि शीतयुद्ध के उस दौर में भारत को रूस के खेमे वाला देश माना जाता था, लेकिन मौजूदा दौर में भारत और अमेरिका बेहद करीब माने जाते हैं. इसके बावजूद अमेरिका का भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती बनने वाले विमानों को एडवांस तकनीक से अपडेट करना आश्चर्यजनक माना जा रहा है. अमेरिका ने इन विमानों के इंप्रूव करने के लिए पाकिस्तान के काउंटर टैररिज्म ऑपरेशंस में सपोर्ट करने की क्षमता बढ़ाने की दलील दी है.

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साल 1990 में अमेरिका ने कैंसिल कर दी थी पाकिस्तान की डील

साल 1990 में अमेरिका ने पाकिस्तान को करीब 30 F-16 विमान देने की डील कैंसिल कर दी थी. यह डील अमेरिकी कानून में प्रेसलर संशोधन (Pressler Amendment) के प्रभाव में आने के बाद कैंसिल की गई थी. इसके बाद साल 1998 में भारत और पाकिस्तान ने परमाणु टेस्ट किए, तब भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम F-16 लड़ाकू विमान होने को लेकर चिंता जाहिर की थी.

इसके बाद से अमेरिका F-16 विमानों को पाकिस्तान के साथ रिश्तों में कूटनीतिक टूल की तरह यूज करता रहा है. साल 2001 में न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (World Trade Center Attack) पर अलकायदा (al Qaeda) के हमले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान की मदद ली थी. इसके लिए अमेरिका ने पाकिस्तान के पुराने F-16 विमानों को अपडेट करने और नए विमानों की सप्लाई देने के लिए 3 अरब डॉलर का एक पैकेज दिया था.

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इसके बाद साल 2015 में भी तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barak Obama) ने भी अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं को निकालने के लिए तालिबान (Taliban) से डील कराने के बदले में पाकिस्तान को इन विमानों की सप्लाई देने की घोषणा की थी. इसे लेकर भारत ने जबरदस्त ऐतराज जताया था.

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शीतयुद्ध के दौर जैसे हालात की आहट

अमेरिका की तरफ से तमाम आपत्तियों के बावजूद भारत ने पिछले दिनों कई अन्य उत्पादों का आयात-निर्यात कर रूस की मदद की थी. बदले में भारत को सस्ता क्रूड ऑयल हासिल हुआ था. इसके बाद अब अमेरिका ने पाकिस्तान की फिर से मदद शुरू कर दी है. एक्सपर्ट इसे शीतयुद्ध के दौर जैसे हालात की वापसी की आहट मान रहे हैं. तब भी भारत और सोवियत संघ एक छोर पर, जबकि अमेरिका और पाकिस्तान दूसरे छोर पर दिखाई देते थे.

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