Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Lok Sabha Election Caste Census: लोकसभा चुनाव में जाति जनगणना बनेगा बड़ा मुद्दा, कैसे निबटेंगे नीतीश की चुनौती से पीएम मोदी?  

Bihar Caste Census: बिहार में जाति जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद सियासत का दौर भी शुरू हो चुका है. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले जाति जनगणना अब सभी राज्यों में बड़ा चुनावी मुद्दा बनने वाला है. आंकड़े जारी होने के साथ बीजेपी हमलावर है. 

Lok Sabha Election Caste Census: लोकसभा चुनाव में जाति जनगणना बनेगा बड़ा मुद्दा, कैसे निबटेंगे नीतीश की चुनौती से पीएम मोदी?  

Caste Census Huge Issue In Lok Sabha Election

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: बिहार सरकार ने जातिवार जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं और इसके साथ ही ओबीसी/अति पिछड़ा वर्ग की राजनीति और प्रतिनिधित्व की बहस फिर से जिंदा हो गई है. एक बात तो तय है कि जाति जनगणना का असर लोकसभा चुनाव में सीटों के लिहाज से पड़े या न पड़े लेकिन यह चुनाव प्रचार में अहम मुद्दा जरूर बनने वाला है. कांग्रेस समेत लगभग सभी विपक्षी दल केंद्र सरकार से जाति जनगणना की मांग कर रहे. केंद्र सरकार पर भी अब दबाव बढ़ेगा और महिला आरक्षण मुद्दे पर भी कांग्रेस, आरजेडी समेत दूसरे विपक्षी दलों ने कोटा के अंदर कोटा की मांग की थी. ऐसे में जाति जनगणना एक ऐसा शब्द है जो अगले लोकसभा चुनाव तक राजनीतिक मंचों से बार-बार उछाला जाएगा. 

जाति जनगणना रिपोर्ट के जारी होने के साथ ही जाति आधारित राजनीति की हवा फिर से तेज होने वाली है. आरजेडी सुप्रीमो ने आंकड़े जारी होते ही कह दिया है कि आबादी के मुताबिक प्रतिनिधित्व लाने के लिए सही नीतियों को लागू करने का वक्त आ गया है. देशभर में विपक्षी गठबंधन की गोलबंदी के लिहाज से भी नीतीश कुमार ने लीड ले ली है. ऐसे में देखना है कि पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अब इसकी काट कैसे खोजते हैं और 2024 लोकसभा चुनाव के लिए क्या रणनीति अपनाते हैं. 

यह भी पढें: Bihar Caste Census का डेटा हुआ जारी, जानिए किस कैटगरी की कितनी है जनसंख्या

आबादी के अनुपात में आरक्षण की होगी मांग 
आबादी के अनुपात में आरक्षण की मांग ओबीसी और दलित नेता लंबे समय से कर रहे हैं. अब बिहार में जातिवार जनगणना के आंकड़े हैं और इस मांग को ठोस आधार भी मिल गया है. प्रदेश में सवर्ण आबादी महज 15 फीसदी से कुछ ज्यादा है. दूसरी ओर ओबीसी और अति पिछड़ा वर्ग की कुल आबादी 63 परसेंट है. अब ऐसे में आबादी के मुताबिक आरक्षण और आरक्षण बढ़ाने की मांग जोर पकड़ सकती है. संख्या बल के लिहाज से यही बड़ा वोट बैंक भी है और इसकी काट खोजना बीजेपी के लिए खासा मुश्किल हो सकता है. 

यह भी पढें: यूपी के देवरिया में दो गुटों के बीच हुई मारपीट और फायरिंग, 6 की मौत  

मोदी सरकार के लिए होगी मुश्किल? 
जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद बीजेपी ने नपा-तुला रिएक्शन दिया है. बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि हमने सर्वे का हमेशा समर्थन किया है लेकिन यह रिपोर्ट आधी-अधूरी है. बीजेपी ने रिपोर्ट के जरिए नीतीश कुमार पर निशाना भी साधा है. अब सवाल यह है कि बीजेपी और केंद्र सरकार 2024 चुनावों और ओबीसी के बड़े वोट बैंक को देखते हुए अपना स्टैंड क्या रखती है. जो भी हो लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष के हाथ एक बड़ा मुद्दा जरूर लग गया है. 

यह है बिहार में जातिवार आंकड़ा
जनगणना की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 27.13 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 36.01 प्रतिशत और सामान्य वर्ग की जनसंख्या 15.52 प्रतिशत है. इसके अनुसार, बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ से ज्यादा है. वोटों के गणित के मुताबिक देखें तो ब्राह्मण 3.6575%(4781280), राजपूत 3.4505% (4510733), कायस्थ 0.6011%(785771), कुर्मी 2.8785%(3762969), कुशवाहा 4.2120% (5506113), तेली 2.8131% (3677491), भूमिहार 2.8693% (3750886) हैं. मुस्लिमआबादी 17.7% और यादवों की आबादी 14% है. वोटों के गणित के हिसाब से बिहार में इसे एमवाई (मुस्लिम+यादव) समीकरण कहा जाता है जिसके दम पर लालू यादव लंबे समय तक चुनावी राजनीति में कामयाब रहे.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement