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History of POK: क्या है POK बनने की कहानी, कैसे हमेशा के लिए नासूर बन गई यह सुंदर घाटी

POK History in Hindi: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को लेकर अब दावे किए जा रहे हैं कि इसे भी भारत वापस लेगा और एक बार फिर से POK चर्चा में आ गया है.

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History of POK: क्या है POK बनने की कहानी, कैसे हमेशा के लिए नासूर बन गई यह सुंदर घाटी

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डीएनए हिंदी: किसी जगह को अगर 'धरती का स्वर्ग' कहा जाएगा तो वहां जो कुछ भी होना चाहिए वह सबकुछ कश्मीर में था.

 शायद इसीलिए कश्मीर के बारे में कहा गया:

गर फ़िरदौस बर-रू-ए-ज़मीं अस्त,

हमीं अस्त ओ हमीं अस्त ओ हमीं अस्त. 

भारत का विभाजन हुआ तो इस क्षेत्र को भी नजर लग गई. देश के निर्माताओं ने रियासतों को यह अधिकार दिया था कि वे या तो भारत में शामिल हों या पाकिस्तान में शामिल हों या फिर स्वतंत्र रहें. जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह को कश्मीर की वादियां अपने फायदे के मुफीद लगीं, शायद इसीलिए उन्होंने फैसला लिया कि कश्मीर आजाद रहेगा. उनका यह ख्वाब कभी पूरा होता उससे पहले ही पाकिस्तान ने इसे छीनने की साजिश रच डाली थी.

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आजादी के बाद महाराजा हरि सिंह ने अपनी मर्जी से शासन चलाना शुरू किया था और किसानों पर भारी टैक्स लगा दिया था. पाकिस्तान को इसी में मौका मिला और उसने किसानों के विद्रोह की आड़ लेकर हमला कर दिया. नॉर्थ वेस्ट फ्रंटीयर प्रोविंस के कबायलियों को आगे किया गया. अक्टूबर 1947 में पाकिस्तानी सेना इन कबायलियों का साथ पर्दे के पीछे से दे रही थी और मकसद था कि जम्मू-कश्मीर को महाराजा हरि सिंह के शासन से मुक्त कराया जाए.

फंसने पर महाराजा हरि सिंह ने मांगी मदद
कबायलियों का हमला इतना जबरदस्त था कि जल्द ही बारामुला और मुजफ्फराबाद कबायलियों के कब्जे में चला गया. हालात बिगड़ते देखकर महाराजा हरि सिंह ने 24 अक्टूबर 1947 को भारत से मदद मांगी. भारत ने महाराजा के सामने 'विलय का प्रस्ताव' रख दिया. मजबूरी में महाराजा ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. यहीं से जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा हो गया. भारत ने अपने क्षेत्र की रक्षा करने के लिए अपनी सेना को श्रीनगर में उतार दिया.

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तब जाकर 26 अक्टूबर 1947 से भारतीय सेना ने कबायलियों को पीछे धकेलना शुरू किया. भारतीय सेना ने कुछ क्षेत्र से पाकिस्तानी सेना और कबायली आतंकियों को पीछे खदेड़ दिया था. तब तक मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया था और संयुक्त राष्ट्र में भी इसको लेकर बहस जारी थी. इसी बीच 1948 के अगस्त महीने में यहां सीजफायर लागू कर दिया गया. इसी को लेकर कहा जाता है कि अगर कुछ दिन का समय और मिल जाता तो भारत की सेना इन आतंकियों को खदेड़ देती और पूरा कश्मीर भारत के कब्जे में होता लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बाद में जो हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में बचा वह POK कहलाया. 

अब कैसा है POK?
मौजूदा समय में POK के दो हिस्से हैं- एक को पाकिस्तान आजाद कश्मीर कहता है और दूसरे को गिलगिट-बाल्टिस्तान. 2020 में इस पूरे क्षेत्र की जनसंख्या लगभग 52 लाख थी. आजाद कश्मीर कहे जाने वाले क्षेत्र कीर राजधानी मुजफ्फराबाद है और वहां 10 जिले और कुल 33 तहसीलें हैं. 1993 के डिक्लेरेशन के आधार पर पाकिस्तान का दावा है कि जिन 5 राज्यों में पाकिस्तान का शासन काबिज होना था उसमें जम्मू-कश्मीर भी है. हालांकि, भारत ने पाकिस्तान के इस दावे को कभी स्वीकार नहीं किया.

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1962 में चीन और भारत के युद्ध में चीन ने अक्साई चिन के क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था. पाकिस्तान ने 1963 में चीन को कुछ हिस्सा दे दिया था जो कि सक्जम घाटी का इलाका है. बता दें कि 1947 में भारत के साथ आए जम्मू-कश्मीर का क्षेत्रफल 2,22,236 वर्ग किलोमीटर था. इसमें से अब भारत के पास 1,06,556 वर्ग किलोमीटर बचा था. वहीं,  POK का क्षेत्रफल 72,935 वर्ग किलोमीटर है. चीन के कब्जे में 37,555 वर्ग किलोमीटर (अक्साई चिन) और 5180 वर्ग किलोमीटर (सक्जम घाटी) यानी कुल 42,736 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल है.

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