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सजा पूरी होने से पहले ही कैसे रिहा हो जाते हैं कैदी, सिद्धू की रिहाई से आ जाएगी बात समझ

Navjot Singh Sidhu News: साल 1988 के रोड रेज के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई थी.

सजा पूरी होने से पहले ही कैसे रिहा हो जाते हैं कैदी, सिद्धू की रिहाई से आ जाएगी बात समझ

Navjot Singh Sidhu

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डीएनए हिंदी: कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू पटियाला जेल से 1 अप्रैल को रिहा हो जाएंगे. सिद्धू के वकील एचपीएस वर्मा ने उनकी रिहाई की पुष्टि की है. साल 1988 के रोड रेज के मामले में 59 वर्षीय सिद्धू एक साल जेल की सजा काट रहे हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक साल की सजा सुनाई थी. सिद्धू ने पटियाला की एक अदालत में आत्मसर्मण किया था जिसके बाद उन्हें पिछले साल 20 मई को जेल भेज दिया गया. अब सवाल ये उठ रहा है कि कोर्ट ने अगर उन्हें एक साल की सजा सुनाई थी तो सिद्धू डेढ़ महीने पहले ही कैसे जेल से रिहा हो रहे हैं?

दरअसल, सजा खत्म होने से पहले रिहाई मिलना कैदी के बर्ताव पर निर्भर करता है. सिद्धू के वकील वर्मा ने बताया कि पंजाब प्रिजन रूल्स के अनुसार कैदी का बर्ताव अच्छा होता है तो हर महीने उसकी सजा से 5 से 7 दिन कम होते जाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सिद्धू का बर्ताव भी पिछले साढ़े दस महीने में अच्छा रहा है, यही वजह है कि उन्हें 45 दिन पहले जेल प्रशासन ने रिहा करने का फैसला किया है. 

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यही नहीं नवजोत सिंह सिद्धू ने पिछले साल 20 मई 2022 को जेल जाने के बाद से एक भी छुट्टी नहीं ली. उन्होंने सरकारी छुट्टियों के साथ ही जेल में मिलने वाली एक दिन की साप्ताहिक छुट्टी भी नहीं ली. इन छुट्टियों को उनकी सजा के दिनों में एडजस्ट करने पर उनकी रिहाई 1 अप्रैल को हो रही है.

पैरोल और फरलो पर भी कैदी होते हैं रिहा
लंबे समय के लिए सजा काट रहे कैदियों को पैरोल या फरलो जैसी रियायत देने का प्रावधान भारत में है. पैरोल और फरलो दोनों के नियम अलग-अलग होते हैं. फरलो का मतलब जेल से मिलने वाली छुट्टी होती है. पारिवारिक, व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए कैदी को दी जाती है. एक साल में किसी कैदी को अधिकतन तीन बार फरलो मिल सकती है. फरलो सजायाफ्ता कैदियों के मानसिक संतुलन को बनाए रखने के लिए और समाज से संबंध जोड़ने के लिए दिया जाता है. 

जबकि विचाराधीन या सजायाफ्ता कैदियों को पैरोल या फरलो की रियायत मिल सकती है. कैदी को पैरोल तभी दी जाती है जब उसकी सजा का एक साल पूरा हो जाता है. पैरोल मिलने के लिए अनिवार्य शर्त होती है कि कैदी का आचरण जेल के भीतर अच्छा होना चाहिए. पैरोल की कई श्रेणी बनाई गई हैं. जैसे कि खेती के लिए 6 सप्ताह की पैरोल का नियम है. यह साल में एक बार ही मिल सकती है. बच्चों के स्कूल में दाखिले के लिए 4 सप्ताह की पैरोल साल में एक बार दी जा सकती है. मकान बनाने या उसकी मरम्मत के लिए 3 साल में एक बार पैरोल का नियम है. यह अधिकतम 3 सप्ताह की हो सकती है. इसके अलावा परिवार में किसी की शादी पर भी कैदी को पैरोल मिलती है.

सिद्धू किस मामले में गए जेल
कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने साल 1988 के रोडरेज केस में एक साल की सजा सुनाई थी. दरअसल सिद्धू पर आरोप था कि 27 दिसंबर, 1988 को वे अपने एक दोस्त रुपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले मार्केट में मौजूद थे. उस समय सिद्धू भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेल रहे थे और इस कारण बेहद चर्चित थे. शेरावाला मार्केट पटियाला में सिद्धू के घर से महज 1.5 किलोमीटर दूर थी. मार्केट में पार्किंग के मुद्धे पर सिद्धू और उनके दोस्त की बहस 65 साल के गुरनाम सिंह से हो गई. यह बहस मारपीट में बदल गई और सिद्धू ने गुरनाम को घुटना मारकर गिरा दिया. इससे गुरनाम सिंह जख्मी हो गए और बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई. 

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इस मामले में सिद्धू के खिलाफ पटियाला पुलिस ने हत्या की FIR दर्ज की थी. बाद में 22 सितंबर, 1999 को ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू और रुपिंदर को इस केस में बरी कर दिया था. साल 2002 में यह मामला पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट पहुंचा, जहां साल 2006 में दोनों को हाईकोर्ट ने गैर इरादन हत्या का दोषी माना और 3-3 साल की सजा व 1-1 लाख रुपये जुर्माना लगाया. साल 2007 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया और सर्वोच्च अदालत ने 19 मई 2022 को सिद्दू एक साल की सजा सुनाई.

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