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Shinzo Abe: भारत में निवेश को कैसे शिंजो आबे ने दी थी रफ्तार, कैसे भारत का मजबूत पार्टनर बन गया जापान?

Shinzo Abe Dies: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को आज देश में एक रैली के दौरान एक व्यक्ति ने गोली मार दी और बाद में उनकी मौत हो गई.

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Shinzo Abe: भारत में निवेश को कैसे शिंजो आबे ने दी थी रफ्तार, कैसे भारत का मजबूत पार्टनर बन गया जापान?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे. (फाइल फोटो)

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डीएनए हिंदी: जापान (Japan) के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe Dies) की शुक्रवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई. शिंजो आबे करीब 9 साल तक अपने पद पर रहे थे. वह जापान के पहले ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिनका कार्यकाल इतना लंबा रहा है. साल 2006 से लेकर 2007 तक और 2012 से लेकर 2020 तक, शिंजो आबे जापान के प्रधानमंत्री रहे हैं. उनके कार्यकाल में भारत और जापान (Indo-Japan Relation) के बीच रिश्ते बेहद शानदार रहे हैं. सितंबर 2014 में नरेंद्र मोदी ने जापान का दौरा किया था. प्रधानमंत्री बनने के कुछ महीने बाद ही वह जापान दौरे पर गए थे. उनके कार्यकाल में भारत और जापान के बीच संबंध और प्रगाढ़ हुए थे. नए संबंधों में असैन्य परमाणु ऊर्जा से लेकर समुद्री सुरक्षा, बुलेट ट्रेन से लेकर गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे, एक्ट ईस्ट नीति से लेकर इंडो-पैसिफिक रणनीति तक कई तरह के मुद्दे शामिल हैं.

दोनों देशों ने 2016 में एक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जो अमेरिका और फ्रांसीसी परमाणु फर्मों के साथ भारत के सौदों के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ. शिंजो आबे की वजह से भारत और जापान के रिश्ते बेहतर हुए. उन्होंने गैर एनपीटी सदस्य के साथ समझौते पर दस्तखत करने के लिए जापान के भीतर विरोध का सामना करना पड़ा था.

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भारत और जापान के बीच लगातार प्रगाढ़ होते गए संबंध

भारत और जापान के बीच भी एक समझौता है जो उनकी नौसेनाओं को एक दूसरे के बंदरगाहों के इस्तेमाल की मंजूरी देता है. ऑस्ट्रेलिया के साथ दोनों देशों ने भारत-प्रशांत महासागर में सहयोग बढ़ाने का फैसला लिया है. भारत और जापान के बीच प्रगाढ़ होती दोस्ती को चीन के खिलाफ मजबूत कदम माना जाता है. शिंजो आबे के कार्यकाल में जापान और भारत और करीब आए थे.
 

किन प्रोजेक्ट पर भारत की वित्तीय मदद कर रहा है जापान?

जापान मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना का 80 प्रतिशत फंडिंग 79,000 करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन है, जिस पर 0.1 प्रतिशत ब्याज लगाया गया है. इसे लौटाने की अवधि 50 साल से ज्यादा है. इसकी स्थगन अवधि भी 15 साल है.

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दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना में जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) और जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन (JBIC) से 4.5 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित हुआ है. यह निवेश परियोजना के पहले चरण में किया गया है और इसमें जापान की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

पूर्वोत्तर के विकास में जापान का अहम है रोल

जापान ने भी भारत के पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 2 अरब डॉलर का निवेश किया है. जापान गुवाहाटी जल आपूर्ति परियोजना, गुवाहाटी सीवेज परियोजना, उत्तर-पूर्व सड़क नेटवर्क कनेक्टिविटी सुधार परियोजना, उमियम-उमट्रू चरण तीन, हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर स्टेशन (मेघालय), सतत जलग्रहण वन प्रबंधन परियोजना (मेघालय) के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण के लिए भी दोनों देशों के बीच समझौता हुआ है. मिजोरम कृषि और सिंचाई विकास पर भी भारत और जापान के बीच मजबूत डील है.

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जापान ने 2018-19 में भारत की विकास परियोजनाओं पर रिकॉर्ड 522.4 बिलियन येन (US$4.9 बिलियन) खर्च किया था जिसमें मुंबई और अहमदाबाद के बीच हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट भी शामिल है. दिल्ली-मुंबई और चेन्नई-बेंगलुरु के बीच इंडस्ट्रियल कॉरिडोर पर भी जापान ने निवेश किया है.

भविष्य में भारत पर कितना खर्च करेगा जापान?

जापान ने भारत में अगले पांच वर्षों में पांच ट्रिलियन येन का निवेश करने का लक्ष्य रखा है. निवेश के प्रमुख क्षेत्रों में विनिर्माण, जलवायु परिवर्तन और दूसरे इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल है.

अप्रैल 2000 और मार्च 2022 के बीच 36 बिलियन डॉलर के FDI प्रवाह के साथ जापान भारत में पांचवां सबसे बड़ा निवेशक है. इस अवधि में भारत के कुल FDI फ्लो में 6.28 प्रतिशत का योगदान जापान का है. भारत में करीब 1,455 जापानी कंपनियां काम कर रही हैं.

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जापान के साथ भारत का कुल व्यापार 2020-21 में बढ़कर 15.3 बिलियन डॉलर हो गया है. जापान के साथ निर्यात 4.4 बिलियन डॉलर और आयात 10.9 बिलियन डॉलर है. जापान भारत का 13वां सबसे बड़ा भागीदार है.

भारत के साथ हर दिन बेहतर हो रहे हैं जापान के रिश्ते

जापान से भारत का आयात केवल 13 वर्षों में लगभग 73 प्रतिशत तक बढ़ गया है. 2020-21 में आयात 10.9 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो 2007-08 में महज 6.3 बिलियन डॉलर था. जापान से भारत परमाणु रिएक्टर, विद्युत मशीनरी और उपकरण, तांबा, प्लास्टिक, अकार्बनिक रसायन, मेटल और कीमती धातुओं के यौगिक आयात करता है.

आयात-निर्यात ने कैसे सुधारे भारत-जापान के रिश्ते?

भारत के निर्यात ने 13 वर्षों में 14.2 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई है. साल 2007-08 में यह आंकड़ा 3.85 बिलियन डॉलर था जो 2020-21 में 4.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. जापान को किए जाने वाले प्रमुख निर्यात में खनिज ईंधन और खनिज तेल, जैविक रसायन, मछली और मोती शामिल है. 

जापान ने साल 2000 में 36.2 बिलियन डॉलर निवेश किया था. ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ESDM), चिकित्सा उपकरणों, उपभोक्ता वस्तुओं, वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण और रसायन के क्षेत्र में भी जापान ने निवेश किया है. भारत में कुछ प्रमुख जापानी फर्मों में मारुति, टोयोटा, मित्सुबिशी, होंडा, हिताची, सोनी और पैनासोनिक शामिल हैं, जो लाखों भारतीय युवाओं को रोजगार देते हैं.

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