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क्या है जनसंख्या नियंत्रण बिल, क्यों Ravi Kishan हो गए इसके बारे में बोलने पर ट्रोल, जानें पूरा मामला

Population Control Bill: गोरखपुर से बीजेपी सांसद रवि किशन ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा था कि वह जनसंख्या नियंत्रण पर एक प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश करेंगे. इसी के बाद से इस बिल की चर्चा है और रवि किशन ट्रोलर्स के निशाने पर हैं.

क्या है जनसं�ख्या नियंत्रण बिल, क्यों Ravi Kishan हो गए इसके बारे में बोलने पर ट्रोल, जानें पूरा मामला

ravi kishan on population control bill

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डीएनए हिंदी: संसद का मानसून सत्र चल रहा है. इस दौरान कई बिल पेश होने हैं. इन्हीं में से एक है जनसंख्या नियंत्रण बिल. इस बिल को लेकर बीजेपी सांसद रवि किशन (Ravi Kishan) ने जब से अपनी राय जाहिर की है, वह ट्रोलर्स के निशाने पर आ गए हैं. दरअसल मानसून सेशन के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए रवि किशन ने कह दिया कि वह जनसंख्या नियंत्रण पर प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश करेंगे. बस उनके इसी बयान के बाद वह सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगे. जानिए क्यों ट्रोलर्स का शिकार बने रवि किशन और क्या है जनसंख्या नियंत्रण बिल-

रवि किशन क्यों आ गए ट्रोलर्स के निशाने पर
पत्रकारों से बातचीत में रवि किशन ने कहा कि हम विश्व गुरु तभी बन सकते हैं जब जनसंख्या नियंत्रण पर कानून आए.जनसंख्या को नियंत्रित करना  बेहद जरूरी है. उनके इस बयान पर सोशल मीडिया के लोग तरह-तरह के कमेंट कर उन्हें ट्रोल करने लगे. इसकी वजह यह है कि रवि किशन खुद चार बच्चों के पिता हैं. उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है. यही वजह है कि उन्हें ट्रोल किया जा रहा है. 

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क्या कहता है जनसंख्या नियंत्रण बिल (Population Control Bill)
प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण बिल के अनुसार कोई भी दंपति दो से ज्यादा बच्चों को जन्म नहीं दे सकता है. यदि किसी दंपति के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो उन्हें सरकारी नौकरी,सरकारी योजनाओं और सरकारी छूट इत्यादि का लाभ नहीं दिया जाएगा. यह भी जानने वाली बात है कि टू-चाइल्ड पॉलिसी को संसद में 35 बार पेश किया जा चुका है. मगर इसे कभी भी ग्रीन सिग्नल नहीं मिल सका है.

क्या कहता है संविधान
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पेश सामाजिक प्रगति और विकास प्रस्ताव 1969 के अनुच्छेद 22 में यह कहा गया है कि किसी भी दंपति को यह निर्णय लेने की आजादी है कि उनके कितने बच्चे होंगे. साथ ही बच्चों की संख्या को नियंत्रित करना अनुच्छेद 16 यानी पब्लिक रोजगार में भागीदारी और अनुच्छेद 21 यानी जीवन की सुरक्षा और स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.

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