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Unacademy ने अपने टीचर को नौकरी से निकाला, क्यों बरपा हंगामा?

एजुकेशन प्लेटफॉर्म Unacademy ने छात्रों से पढ़े-लिखे नेताओं को वोट देने की अपील करने वाले एक शिक्षक को बर्खास्त कर दिया है. सोशल मीडिया पर इस बर्खास्तगी को लेकर हंगामा बरपा है.

Unacademy ने अपने टीचर को नौकरी से निकाला, क्यों बरपा हंगामा?

Unacademy Ex educator Karan Sangwan.

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डीएनए हिंदी: ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म अनएकेडमी (Unacademy) ने अपने एक टीचर करण सांगवान को नौकरी से निकाल दिया है. उन्होंने एक क्लास के दौरान छात्रों से अपील की थी कि हमेशा पढ़े-लिखे उम्मीदवारों को ही वोट दें, न कि ऐसे लोगों को जो केवल नाम बदलना जानते हैं. उनकी बर्खास्तगी के बाद जमकर हंगामा बरपा. लोग अनएकेडमी ऐप को अनइंस्टाल करने की मुहिम चलाने लगे. Unacademy के सह-संस्थापक रोमन सैनी ने कहा कि करण सांगवान 'कोड ऑफ कंडक्ट' का उल्लंघन कर रहे थे और इसलिए कंपनी को उनसे अलग होना पड़ा.

रोमन सैनी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर कहा, 'Unacademy एक शिक्षा मंच है जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है. हमने अपने सभी शिक्षकों के लिए एक सख्त आचार संहिता बनाई है, जिसका उद्देश्य यह तय करना है कि हमारे शिक्षार्थियों को निष्पक्ष ज्ञान मिले. हम जो कुछ भी करते हैं उसके केंद्र में हमारे शिक्षार्थी होते हैं. क्लास, व्यक्तिगत राय और विचार साझा करने की जगह नहीं है क्योंकि वे छात्रों को गलत तरीके से प्रभावित कर सकते हैं. हमें करण सांगवान से अलग होने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि वह आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे थे.'

करण सांगवान ने कहा है कि वह 19 अगस्त को बताएंगे कि क्यों उन्हें अनएकेडमी से इस्तीफा देना पड़ा और उनके साथ विवाद की शुरुआत कैसे हुई. उनकी बर्खास्तगी पर देशव्यापी हंगामा बरपा है. विपक्ष केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और योगी आदित्यनाथ सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है.

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करण सांगवान ने कहा, 'पिछले कुछ दिनों से एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसके कारण मैं विवादों में हूं. उस विवाद की वजह से मेरे कई छात्र जो परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें भी परेशान होना पड़ रहा है.'

क्या है Unacademy का पूरा विवाद?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें करण सांगवान छात्रों से अपील कर रहे हैं कि पढ़े लिखे नेताओं को वोट करें. वह ब्रिटिश कालीन आईपीसी, CrPC और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए हालिया बिल पर चर्चा कर रहे थे.

उन्होंने केंद्र की ओर से लाए गए बदलावों पर अफसोस जताते हुए कहा था, 'मुझे नहीं पता कि मैं हंसू या रोऊं, मेरे पास भी बहुत से बेयर एक्ट, केस लोड्स और नोट्स हैं जो मैंने तैयार किए थे. यह हर किसी के लिए कठिन काम है. आपका भी काम बढ़ गया है. लेकिन एक बात का ध्यान रखें. अगली बार किसी ऐसे व्यक्ति को वोट दें जो पढ़ा-लिखा हो ताकि आपको दोबारा इससे न गुजरना पड़े. ठीक है? किसी ऐसे व्यक्ति को चुनें जो शिक्षित हो, जो चीजों को समझता हो. किसी ऐसे व्यक्ति को न चुनें जो केवल नाम बदलना जानता हो. अपना निर्णय ठीक से लें.'

करण सांगवान ने कोई नाम नहीं लिया था पर उन पर आरोप लगा कि वे केंद्र सरकार की आलोचना कर रहे हैं. अनएकेडमी ने इसे कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन मानकर उन्हें नौकरी से निकाल दिया. सोशल मीडिया पर लोग चर्चा कर रहे हैं कि उनका बयान राजनीतिक था. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है. 

AAP, कांग्रेस की प्रतिक्रिया
करण सांगवान की बर्खास्तगी की खबरों पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आश्चर्य जताया कि क्या लोगों से एक शिक्षित व्यक्ति के लिए वोट मांगना अपराध है. सीएम केजरीवाल ने X किया, 'अगर कोई अशिक्षित है तो मैं व्यक्तिगत रूप से उनका सम्मान करता हूं लेकिन जन प्रतिनिधि अनपढ़ नहीं हो सकते. यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का युग है. अनपढ़ जन प्रतिनिधि कभी भी 21वीं सदी के आधुनिक भारत का निर्माण नहीं कर सकते.'

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने अनएकेडमी पर निशाना साधा और रोमन सैनी के पुराने ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट पोस्ट किए, जिसमें नोटबंदी को भ्रष्ट लोगों पर सर्जिकल स्ट्राइक बताया गया था. उन्होंने इस ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अनएकेडमी के संस्थापक गौरव मुंजाल की एक सेल्फी भी पोस्ट की थी.

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, 'जो लोग दबाव में झुक जाते हैं और धमकाया जाता है, वे कभी भी उन नागरिकों का पोषण करने में मदद नहीं कर सकते हैं जो इस दुनिया में सभी बाधाओं के खिलाफ खड़े होते हैं. ऐसे रीढ़हीन और कमजोर लोगों को एक शिक्षा मंच चलाते हुए देखकर दुख होता है.'

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