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CrPC अमेंडमेंट बिल क्या है? संसद से पास होने के बाद अपराधियों का बचना ऐसे होगा नामुमकिन?

बिल के लागू होने के बाद गंभीर अपराधों में शामिल अपराधियों का बचना अब आसान नहीं होगा. पुलिस को इनके खिलाफ साइंटिफिक एविडेंस जमा करने की इजाजत दी गई है.

CrPC अमेंडमेंट बिल क्या है? संसद से पास होने के बाद अपराधियों का बचना ऐसे होगा नामुमकिन?
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डीएनए हिंदीः सीआरपीसी अमेंडमेंट बिल (Criminal Procedure Identification Bill) संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है. इस बिल को अपराधियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा बिल माना जा रहा है. अब गंभीर अपराधों में शामिल आरोपियों के बायोमेट्रिक इंप्रेशन लेने का अधिकार पुलिस को दिया गया है. इसे एक अहम बदलाव माना जा रहा है. गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने संसद में कहा कि देश में आधे से ज्यादा गंभीर अपराध में शामिल अपराधी सिर्फ इसलिए छूट जाते हैं क्योंकि सबूतों की कमी रह जाती है. इस बिल के बाद पुलिस के पास भी फिंगर प्रिंट जैसे साक्ष्य जमा करने का अधिकार होगा जो उन्हें जांच में काफी मदद करेगा. 

बिल में क्या प्रावधान
इस बिल का सबसे बड़ा उद्देश्य साइंटिफिक एविडेंस को और मजबूत करना है. किसी भी घटना के बाद अब पुलिस मौके से जरूरी साइंटिफिक एविडेंस जमा करेगी. उसका पूरा डाटा एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) को भेजा जाएगा. इससे पुलिस को उस व्यक्ति के बारे में जानकारी मिल जाएगी कि क्या अपराधी पहले से किसी अपराध में शामिल रहा है या उसने पहली बार अपराध किया है. इस बिल में गिरफ्तार किए गए किसी व्यक्ति के निजी बायोलॉजिकल डाटा इकट्ठा करने की छूट दे दी गई है. पुलिस उस अपराधी की अंगुलियों, पैरों, हथेलियों के निशान, रेटिना स्कैन, भौतिक, जैविक नमूने और उनके विश्लेषण, हस्ताक्षर, लिखावट या अन्य तरह का डाटा एकत्र कर सकती है.  

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मान लीजिए मर्डर के किसी केस में पुलिस ने मौके से फिंगर प्रिंट लिए. उसका डाटा एनसीआरबी पर फीड किया जाएगा. अगर अपराधी पहले किसी और मामले में शामिल रहा है तो उसका पूरा रिकॉर्ड पता चल जाएगा. अगर उसने पहली बार भी अपराध किया है तो उसका डाटा एनसीआरबी के सर्वर पर भविष्य के लिए सुरक्षित रहेगा. गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ऐसा करने से पुलिस का काम काफी आसान हो जाएगा और किसी की निजता का हनन भी नहीं होगा.

क्या सैंपल देने से अपराधी कर पाएंगे मना?
बिल में काफी सख्त प्रावधान किए गए हैं. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध का मामलों को छोड़कर जिन मामलों में सात साल से कम की सजा है उनके आरोपी अपने बायलोजिकल सैंपल देने से मना कर सकते हैं.   

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75 साल तक सुरक्षित रखा जाएगा डाटा
बिल में प्रावधान किया गया है कि ये डाटा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के पास 75 साल तक सुरक्षित रखा जाएगा. किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की पुलिस इस डाटा को इकट्ठा करने का काम करेगी. NCRB के पास ही इस डाटा को जमा करने उसे संरक्षित करने और उसे नष्ट करने की शक्ति होगी.  

स्मार्ट पुलिसिंग  में मिलेगी मदद
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह एक क्रांतिकारी बदलाव है. ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्मार्ट पुलिसिंग के सपने को साकार करने की तरह आगे बढ़ने वाले कदम हैं. अमित शाह ने बताया कि इस बिल का कोई भी प्रावधान नार्कोएनालिसिस और ब्रेन मैपिंग की इजाजत नहीं देता. उन्होंने यह भी कहा कि बिल केवल गंभीर अपराध के मामलों में काम करेगा. राजनीतिक मामलों में यह बिल काम नहीं करेगा जब तक कि उसमें कोई गंभीर अपराध शामिल ना हो.  

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