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DNA एक्सप्लेनर: क्यों पश्चिमी देश Ukraine के भविष्य पर चिंतित हैं, क्या चाहता है Russia?

अगर रूस की मांग मानी जाती है तो नाटो देशों को पोलैंड, एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया से अपनी-अपनी फाइटर यूनिट्स को हटाना होगा.

DNA एक्सप्लेनर: क्यों पश्चिमी देश Ukraine के भविष्य पर चिंतित हैं, क्या चाहता है Russia?

Russian Army.

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डीएनए हिंदी: रूस यूक्रेन सीमा (Ukrainian border) पर सैन्य गतिविधि लगातार बढ़ा रहा है. सेना के बढ़ते जत्थे पर अमेरिका चिंतित है. अमेरिका (USA) ने रूस (Russia) को कड़े प्रतिबंधों की चेतावनी दी है. अमेरिका का कहना है कि अगर रूसी सैनिक उक्रेन की सीमा पर डटे रहे तो तेज, गंभीर और संयुक्त प्रतिक्रिया दी जाएगी.

पश्चिमी इंटेलिजेंस एजेंसियों का दावा है कि रूस ने पूराने सोवियत रिपब्लिक के पूर्वी हिस्से में 1,00,000 सैनिकों को तैनात कर दिया है. किसी भी देश को डराने के लिए यह संख्या काफी है. रूस पीछे हटने को तैयार नहीं है. पश्चिमी देशों को डर है कि कहीं क्रीमिया (Crimea) की तर्ज पर साल 2014 की तरह रूस एक और आक्रमण न कर दे.

पश्चिमी देशों और रूस के बीच कई स्तर की बातचीत हो चकी है. रूस अपने रुख पर कायम है और सेना को पीछे हटाने के लिए तैयार नहीं है. रूस ने कहा है कि पश्चिमी देशों की आशंकाएं निराधार हैं और वह युद्ध शुरू करने की योजना नहीं बना रहा है. दुनियाभर की नजर इस बात पर है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) का अगला कदम क्या होगा.

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किस वजह से बढ़ रहा यूक्रेन संकट?

यूक्रेन, रूस और यूरोपीय संघ (EU) देशों के साथ अपनी सीमा साझा करता है. रूस के साथ उक्रेन के गहरे सांस्कृतिक संबंध हैं. वहां रूसी भाषा व्यापक रूप से बोली जाती है. रूस ने यूक्रेन के यूरोपीय संघ से बढ़ती नजदीकियों पर नाराजगी जाहिर की है. रूस चाहता है कि उक्रेन नाटो (NATO) में शामिल न हो. पश्चिमी गठबंधन ने रूस की इस मांग को खारिज कर दिया है. गठबंधन में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ के देश और नाटो सहयोगी शामिल हैं.

Russian Army

जब विक्टर यानूकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति बने तब उन्होंने रूस के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ाईं. उन्होंने यूरोपीय संघ में शामिल होने के समझौते को रद्द कर दिया. भारी विरोध प्रदर्शन की वजह से 2014 में उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. आरोप है कि रूस ने यूक्रेन के अलगाववादियों की मदद की और जिसके बाद यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा हो गया. करीब 8 साल तक चली इस लड़ाई में 14,000 से ज्यादा लोग मारे गए.

क्या सच में हो सकता है युद्ध?

पश्चिमी देशों का मानना है कि रूस के अड़ियल रवैये की वजह से युद्ध हो सकता है. रूसी अधिकारियों के साथ कई दौर की बातचीत पश्चिमी देशों ने की है. राष्ट्रपति पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच भी बातचीत हुई है. दोनों नेताओं के बीच बयानबाजी भी हुई है. रूसी सेना, यूक्रेन की सीमा पर अडिग खड़ी है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक अमेरिका में अधिकारियों ने कहा है कि रूस ने इस बात का कोई सबूत नहीं दिया है कि वह आक्रमण नहीं करेगा. जिनेवा में अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ हालिया बातचीत के बाद रूसी विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव (Sergei Ryabkov) ने आश्वासन दिया था कि यूक्रेन पर हमला करने का कोई इरादा नहीं है.

क्यों चिंता में हैं पश्चिमी देश?

कूटनीतिक स्तर पर दी गईं धमकियां गंभीर खतरा पैदा करती हैं. दरअसल दुनिया के लिए खतरा तब बढ़ गया जब पुतिन ने अपने हालिया बयानों में कहा कि पश्चिमी देशों के आक्रामक दृष्टिकोण के खिलाफ उपयुक्त जवाबी सैन्य कार्रवाई की जाएगी. अमेरिकी और सहयोगी देशों के दूसरे अधिकारी चिंता में आ गए कि कहीं रूस आक्रमक रवैया न अख्तियार कर ले.

Russian Army

बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो बाइडेन ने कहा है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन मामले पर निश्चित तौर पर आगे बढ़ेंगे, लेकिन वह शायद युद्ध नहीं चाहते हैं. ऐसी खबरें हैं सामने आ रही हैं कि रूस ने यूक्रेन में विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में 500,000 लोगों को पासपोर्ट बांटे हैं. कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है, क्रेमलिन (Kremlin) द्वारा अपनी मांगों को पूरा नहीं करने पर अपने नागरिकों की रक्षा के लिए अपनाई गई एक रणनीति का हिस्सा है.

रूस अपने सैनिकों को तैयार करने के लिए यूक्रेन के करीब वॉर गेम आयोजित करा रहा है. मंगलवार को एक रिपोर्ट सामने आई कि रूस फरवरी में प्रमुख वॉर गेम्स के लिए बेलारूस में बड़ी संख्या में सैनिकों को भेज रहा है. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने बेलारूस में रूसी सेना के कदम को बेहद खतरनाक स्थिति के तौर पर बताया है.

क्या है रूस की मांग?

रूस ने अपने पड़ोसी पर हमला करने के इरादे से इनकार किया है. रूस पश्चिमी देशों से यह गारंटी चाहता है कि नाटो यूक्रेन या अन्य पूर्व सोवियत देशों में विस्तार नहीं करेगा या अपने सैनिकों और हथियारों को वहां नहीं रखेगा. रूस ने पश्चिमी देशों को आक्रामक दृष्टिकोण नहीं अपनाने और पूर्वी यूरोप में सैन्य गतिविधियों को छोड़ने के लिए भी कहा है.

क्या होगा अगर रूस की मांग मानें पश्चिमी देश?

अगर ऐसा होता है तो नाटो देशों को पोलैंड, एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया से अपनी-अपनी फाइटर यूनिट्स को हटाना होगा. वाशिंगटन और उसके नाटो सहयोगियों ने रूस की मांगों को खारिज कर दिया है. रूस का आरोप है कि नाटो देशों ने यूक्रेन को हथियारों से भर दिया है. रूस का यह भी आरोप है कि अमेरिका उक्रेन में तनाव पैदा कर रहा है. पिछले महीने सैन्य अधिकारियों से व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि रूस के पास पीछे हटने के लिए कुछ नहीं है. क्या पश्चिमी देशों को लगता है कि हम मूढ़ता से देखते रहेंगे.

Putin Biden

क्या है रूस के रुख पर पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया?

बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी यह तय करने के लिए एकजुट हैं कि अगर व्लादिमीर पुतिन उक्रेन पर हमला करते हैं तो रूस को गंभीर आर्थिक परिणाम का सामना करना पड़ेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी माना कि यूक्रेन पर किसी भी हमले की प्रतिक्रिया पर नाटो को एकजुट रखना मुश्किल होगा.

क्या है रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों की तैयारियां?

ब्रिटेन ने कहा कि रूस से आत्मरक्षा के लिए यूक्रेन को कम दूरी की टैंक रोधी मिसाइलों खेप भेजी जारही है. रूस के हमले के डर से, स्वीडन ने हाल ही में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण गोटलैंड आइलैंड पर सैकड़ों सैनिकों को भेजा है. डेनमार्क ने भी कुछ दिनों पहले इसी तरह का रवैया अपनाया था, जिससे इस क्षेत्र में उनकी मौजूदगी बढ़ी थी.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी बुधवार को कहा कि रूस यूक्रेन पर बहुत कम वक्त में एक हमला कर सकता है लेकिन वाशिंगटन जब तक हो सके कूटनीतिक तौर पर काम करेगा. नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि यह यूक्रेन को तय करना है कि वह गठबंधन में शामिल होने के लिए कब तैयार है.

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