Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

क्या केवल गर्भ में ही सुरक्षित हैं लड़कियां?

इस सुसाइड नोट में उसने यह दर्ज किया है कि उसे यह महसूस हुआ कि माँ के गर्भ और कब्र के अतिरिक्त दुनिया में कोई और सुरक्षित जगह नहीं है.

क्या केवल गर्भ में ही सुरक्षित हैं लड़कियां?
FacebookTwitterWhatsappLinkedin

TRENDING NOW

डीएनए हिन्दी : चेन्नई के पूनामल्ली इलाक़े में बारहवीं क्लास की एक लड़की ने अपने साथ हुए छेड़छाड़ की घटना के बाद आत्म-हत्या कर ली. आत्म-हत्या के बाद पुलिस ने लड़की द्वारा लिखा हुआ एक सुसाइड नोट भी बरामद किया. अपने लिखे नोट में उसने बहुत सारी बातें लिखी हैं. इस सुसाइड नोट में उसने यह भी दर्ज किया है कि उसे यह महसूस हुआ कि माँ के गर्भ और कब्र के अतिरिक्त दुनिया में कोई और सुरक्षित जगह नहीं है.

लड़की ने अपनी जान अपनी माँ के घर से बाहर निकलने के तनिक देर बाद ली. घर लौटने पर माँ को बेटी की लाश मिली. लड़की के माँ-पिता का कहना है कि नवीं के बाद उसका स्कूल बदल दिया गया था. उसका दाख़िला प्राइवेट स्कूल से सरकारी स्कूल में करवा दिया गया था. लड़की के साथ छेड़छाड़ प्राइवट स्कूल के एक शिक्षक के बेटे ने किया.

पुलिस फिलहाल मामले को देख रही है और दिवंगत लड़की के सुसाइड नोट की पड़ताल कर रही है.

आंकड़ों में महिलाओं के ख़िलाफ़ मामले

हालिया आंकड़ों को देखा जाए तो पिछले साल भर से भारत में महिलाओं के ख़िलाफ़ मामलों में काफ़ी तेज़ी आयी है. नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो ने 2020 में हर रोज़ औसतन अस्सी हत्याएँ और 77 बलात्कार के मुआमले दर्ज किये हैं.

इस औसत के साथ केवल उत्तर प्रदेश में दिये गये साल में 29,193 मौते हुई हैं. यह पिछली साल के आंकड़े से एक प्रतिशत अधिक ही था.

क्या सच में गर्भ में सुरक्षित है लड़कियां?

लड़की के सुसाइड नोट ने एक ध्यान उस ओर भी खींचा कि सख्त कानूनों के बावजूद भारत में लिंग जांच करवाया जा रहा है और फिर कन्या भ्रूण की हत्या की जा रही है. बर्कले यूनिवर्सिटी के द्वारा किये गये एक शोध पत्र के अनुसार भारत में अब भी बड़ी तेज़ी से कन्या  भ्रूण को हटाया जा रहा है. अगर यही रफ़्तार रही तो 2030 तक 68 लाख कम लड़कियां होंगी.

इस नोट में उस पीड़ित लड़की ने माँ के गर्भ और कब्र को सुरक्षित दायर किया है, हक़ीक़त से जोड़ा जाए तो लड़कियों की सुरक्षा हेतु सख्त कानून के बाद भी न तो कन्या भ्रूण के मामले ख़त्म हुए हैं, न स्त्रियों के प्रति अन्य अपराधों के.

 

 

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement