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AGNIPATH SCHEME: सेना में वेतन नहीं वतन पर मरने वाले लोग चाहिए- रिटायर्ड कैप्टन धर्मवीर सिंह

All queries on Agnipath Scheme in Hindi: देश में अग्निपथ योजना को लेकर उठ रहे तमाम सवालों के बीच सेना से रिटायर्ड कैप्टन धर्मवीर सिंह ने बताया कि इस योजना से युवाओं को फायदा होगा.

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AGNIPATH SCHEME: सेना में वेतन नहीं वतन पर मरने वाले लोग चाहिए- रिटायर्ड कैप्टन धर्मवीर सिंह

रिटायर्ड कैप्टन धर्मवीर सिंह

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डीएनए हिंदी: भारतीय सेना (Indian Army) में काम करना बड़े ही गर्व की बात होती है पर हर किसी को सेना में काम करने का अवसर नहीं मिल पाता. देश से प्यार करने वालों को सेना में अधिक से अधिक काम करने के अवसर देने के लिए ही अग्रिपथ योजना का ऐलान हुआ था. जहां एक ओर सेना को मजबूत और मॉर्डन बनाने की कवायद शुर हुई वहीं इस योजना का विरोध भी जोरो-शोरो से हुआ. अभी भी अग्निपथ योजना को लेकर देशभर के युवाओं में आक्रोश की स्थिति बनी हुई है. देश के युवा 4 साल की योजना की वजह से सेना में अपने भविष्य को लेकर परेशान है इसलिए डीएनए हिंदी ने देशभर के युवाओं से मिले सवालों को लेकर सेना से रिटायर्ड कैप्टन धर्मवीर सिंह से खास बातचीत की. 

Is India planning to shrink its army? - BBC News

4 साल के लिए नहीं बुला रही है फौज
पहले फौज के अंदर एक साल में लगभग 50 हजार भर्तियां हुआ करती थी. रक्षा मंत्रालय (ministry of Defence) का कहना है कि टूर ऑफ ड्यूटी के तहत हम एक से सवा लाख तक भर्तियां करेंगे. अब इस गणित को अगर आप समझे तो पहले 50,000 के करीब भर्तियां होती थी. अब सवा लाख होगी. आप खुद ही फर्क कर सकते हैं कि करीब 75 हजार और अधिक लोगों को सेना में सेवा करने का मौका मिलेगा और 4 साल बाद भी उसमें से 25 फीसदी लोग सेना में काम करते रहेंगे. 

लोगों को सबसे पहले समझना पड़ेगा कि सेना आपको 4 साल के लिए नहीं बुला रही है. सेना आज भी कह रही है कि आप आइए और देश की रक्षा और प्रतिष्ठा के लिए हमारे साथ पूरे टाइम काम करिए. आप 4 साल नहीं पूरे 35 से 40 साल तक पूरी शान और देशभक्ति के भावना के साथ काम करिए.

Military says Agnipath scheme here to stay; recruitment begins in August |  Business Standard News

रक्षा का निर्णय रक्षकों के पास ही रहने दो

पहली बात जो सबको समझनी पड़ेगी वो ये कि दुनिया का कोई भी देश क्यों न हो उस देश में रहने वाला हर निवासी यही चाहेगा कि राष्ट्र और की सेना मजबूत बने. नेशनल सिक्योरिटी में किसी भी तरह की कोई कमी न रहे. अब जो लोग भारत में रहते हुए इस योजना का विरोध या तारीफ कर रहे हैं और अगर मान लो कि कल ग्राउंड लेवल पर कोई ऑपरेशन फेल होता है, कुछ गलत होता है तो विरोध करने या तारीफ करने वालों की जवाबदेही शून्य (zero accountability) होगी. दूसरी बात जिन लोगों ने इस योजना को बनाया है इसे लागू करवाया है उनकी जवाबदेही 100% होगी.  

 

Subedar Major Yogendra Singh Yadav, who won the Param Vir Chakra for exemplary bravery in Kargil. Image Credit:Indian Defence Education

2 साल की नौकरी में मिला है परमवीर चक्र
 

अग्रिनपथ को लेकर मैंने 2-4 ऐसे इंटरव्यू भी सुने हैं जहां सेना के कुछ अफसरों ने 4 साल की सर्विस को लेकर जवानों का ऐसा  मजाक उड़ाया कि जैसे वो सेना में जाते हैं तो उन्हें पता भी नहीं होता कि लेफ्ट जाना है या राइट. शायद वो ये बात भूल गए कि सेना में बहुत से ऐसे लोग है जिन्हें 2 साल की सर्विस में ही परमवीर चक्र तक से सम्मानित किया गया है. 

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आपको इस बात को मानना होगा कि 4 साल तक जिस जज़्बे के साथ जवान काम करेगा उसको महत्व देते हुए ही 4 साल के बाद आपको इतना कुछ मिल रहा है. तमाम सरकारी नौकरियों में अग्निवीरों को सेना में शामिल होने से पहले ही आरक्षण दे दिया गया है.

कई इंडस्ट्री भी आपको नौकरी देने के लिए आगे आ रही हैं वरना एक बार आप मार्किट में जाकर देखिए 10वीं और 12वीं पास वालों को कोई पूछता तक नहीं है. आपके मन में देश के प्रति जो सेवा भाव है उसकी रिस्पेक्ट इस हद तक की जा रही है कि अगर आप 25% में नहीं भी आते तो भी आपको बहुत कुछ दिया जा रहा है. इतना ही नहीं साल 2007 में जब मैं सेना से रिटायर हुआ तो मेरी सैलरी बतौर अफसर 18,665 रुपये महीने में हुआ करती थी साथ ही रिटायरमेंट के बाद हमें न किसी नौकरी में आरक्षण मिला न ही किसी तरह का कोई फंड जो अग्रिवीरों को दिया जा रहा है.

 AGNIPATH PROTEST


इतने फायदों के बाद भी विरोध क्यों ?
 
ये अच्छा सवाल है कि लोग इस योजना का विरोध क्यों कर रहे हैं? देखिए जिन लोगों ने तोड़फोड़ की उन्होंने एक बात तो साफ कर दी है कि इन लोगों को वतन की नहीं वेतन की चिंता थी. अभी ये योजना फेल नहीं हुई है लेकिन लोगों ने इसे फेल कर दिया है ये बात साफ है लोग देशभक्ति की नहीं बल्कि इस योजना में अपना व्यक्तिगत फायदा तलाश रहे थे. जिन लोगों में देशभक्ति की भावना थी वो लोग अभी भी अग्निवीर बनने के लिए आवेदन कर रहें हैं. एक और बात लोग सेना को नौकरी का जरिया मान रहे थे पर मैं आपको बता दूं सेना में काम करना कोई नौकरी नहीं है बल्कि सच्चे मन से की जाने वाली सेवा है. इसलिए सेना में वही लोग आए जो नौकरी नहीं  सेवा करना चाहते है. 

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सेना प्रयोग की चीज नहीं है

अग्निपथ को लाना सेना में कोई एक्सपेरिमेंट करना नहीं है बल्कि सेना को बेहतर बनाने की कोशिश है. देखिए अभी ये योजना फेल नहीं हुई है अगर ये फेल होती है तो जो बदलाव इसमें होने चाहिए उन पर दौबारा बात होगी. अगर आप देखें तो पहले शॉर्ट सर्विस कमीशन 5 साल की हुआ करती थी बाद में उसे 10 साल किया गया. साथ ही जो लोग 10 साल के बाद भी काम करना चाहते हैं उनको और 5 साल का एक्सटेंशन पीरियड दिया जा रहा है तो किसी भी योजना में बदलाव तब होता है जब उसका गुड या बैड फैक्टर सामने आ जाता है. पहले इस योजना को आप एक-दो साल देख लीजिए अगर जो चीजें बदलनी होंगी उस पर सेना काम करेगी पर अभी से कोई नकारात्मक सोच बना लेना सही नहीं है.

RETIRED CAPTAIN DHARMVEER SINGH

 

अग्रिनपथ में महिलाओं को मौका क्यों नहीं दिया ?

अग्रिनपथ योजना अभी आई है और इसमें बदलावों की गुंजाइश भी है लेकिन इस बात को समझना होगा कि एक ही दिन में देश नहीं बदल जाता, चीजों को ठीक होने में टाइम लगता है. पहले लड़कियों को NDA के लिए आवेदन करने की अनुमति नहीं थी लेकिन समय के साथ-साथ आज उन्हें वो दे दी गई है. तो समय के साथ सब ठीक हो जाएगा पहले योजना तो सही से लागू होने तो दीजिए.

RETIRED CAPTAIN DHARMVEER SINGH

कौन हैं कैप्टन धर्मवीर सिंह ?


कैप्टन धर्मवीर सिंह भारतीय सेना से रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर हैं जिन्होंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई गोरखपुर और प्रयागराज के हिंदी मीडियम स्कूल से की और दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से जैपनीज ऑनर्स में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की.  सेना से रिटायर्ड होने से बाद इन्होंने D3 Commando force,जोर का झटका, फियर फैक्टर आदि तमाम रिएल्टी शोज में काम किया. बहुत ही कम लोगों को पता है कि कैप्टन धर्मवीर सिंह नेशनल लेवल के क्रिकेट प्लेयर भी रह चुके हैं.
 

 

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