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Mulayam Singh Yadav Dies: कुश्ती के दम पर ही चमका था राजनीति का सितारा, दोस्त तोताराम ने सुनाए किस्से

मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है. कुछ समय पहले ही ज़ी मीडिया ने 'नेताजी के दोस्त तोताराम यादव से बात की थी. जिसमें उन्होंने उनके खास किस्से बताए थे.

Mulayam Singh Yadav Dies: कुश्ती के दम पर ही चमका था राजनीति का सितारा, दोस्त तोताराम ने सुनाए किस्से

Mulayam Singh Yadav 

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डीएनए हिंदी: समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव अब हमारे बीच नहीं हैं. उनका आज सुबह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. वह काफी समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन पर यूपी सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है. कुछ दिनों पहले ही ज़ी मीडिया ने मुलायम सिंह यादव के बचपन के दोस्त रहे पूर्व मंत्री तोताराम यादव से बातचीत की थी. इस बातचीत में तोताराम यादव ने ज़ी मीडिया को मुलायम सिंह यादव के जुड़े कई खास किस्से शेयर किए थे.

पहलवानी शुरू की तो बड़े-बड़ों को कर दिया चित्त
एक किस्सा याद करते हुए तोताराम यादव ने बताया था- मुलायम और मेरी उम्र में 5 महीने का अंतर है. मैं जून में पैदा हुआ और मुलायम नवंबर में. हम उम्र थे इसलिए दोस्ती भी अच्छी रही. ग्रेजुएशन के बाद मुलायम का ब्याह हो गया और ब्याह के बाद उसने पहलवानी की दुनिया में कदम रखा. तब उनकी कुश्ती देखकर नत्थू सिंह कहा करते थे कि मुलायम किसी को भी चित्त कर सकता है. बस वो यूं ही एक दिन मुलायम को कुश्ती करवाने ले आए और यहां मुलायम ने एक बड़े पहलवान को सच में ही चित्त कर दिया. नत्थू सिंह मुलायम पर बहुत भरोसा करते थे. 

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मुलायम सिंह ऐसे बने पहली बार विधायक
तोताराम यादव ने बताया था कि नत्थू सिंह मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु थे. वह ही मुलायम को राजनीति में लेकर आए थे. नत्थू सिंह उन दिनों जसवंत नगर के विधायक हुआ करते थे. मुलायम सिंह की कुश्ती से वह इतने प्रभावित थे कि अगले चुनावों में जसवंत नगर सीट पर मुलायम को ही टिकट दे दी. 1967 में मुलायम चुनाव जीत कर जसवंत नगर सीट से विधायक बन गए. आगे की राह आसान नहीं थी मगर वह डटे रहे और मिसाल बनाते रहे.

जब बेटे अजीत सिंह की बजाय चरण सिंह ने मुलायम को बनाया वारिस
चरण सिंह के बेहद करीबियों में शामिल थे नत्थू सिंह. नत्थू सिंह के जरिए चरण सिंह को मुलायम के बारे में पता चला और वह भी उनसे काफी प्रभावित हुए. यह इस हद तक था कि जब चरण सिंह को अपना उत्तराधिकारी चुनना था तो उन्होंने अपने बेटे अजीत सिंह की बजाय मुलायम सिंह यादव को चुना. तोताराम यादव बताते हैं, ' ये मेरे सामने की ही बात है जब चरण सिंह ने कहा था कि अजीत मेरा बेटा है और मुलायम किसान का बेटा है और वही मेरी विरासत का सही हकदार है.'

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जब मुख्यमंत्री बने थे मुलायम सिंह यादव
सन् 1989 में जनता दल सरकार में मुलायम सिंह यादव पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री बने. तोताराम यादव उस माहौल को याद करते हुए बताया, " जब मुख्यमंत्री बनने के बाद मुलायम पहली बार सैफई आए तो हर आदमी ने उन्हें फूलों का हार पहनाकर उनकी पूजा की थी. ऐसा माहौल था कि हर आंख खुशी से भीगी हुई थी और वो सफलता मुलायम की नहीं पूरे गांव और प्रदेश की हो गई थी."
 

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