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Packaging Pollution: दुनिया में 43% कचरा फैला रही है पैकेजिंग इंडस्ट्री, बड़े खतरे को दे रहे न्योता

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के एक अनुमान के मुताबिक भारत में रोजाना करीब 26,000 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है.

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Packaging Pollution: दुनिया में 43% कचरा फैला रही है पैकेजिंग इंडस्ट्री, बड़े खतरे को दे रहे न्योता
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डीएनए हिंदीः किसी भी प्रोडक्ट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उसकी पैकेजिंग होती है. प्रोडक्ट की पैकेजिंग जितनी अच्छी होगी वह उतना अच्छा रिजल्ट देता है. हालांकि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण अब यही इंडस्ट्री होती जा रही है. फैशन और कपड़ा उद्योग में पैकेजिंग के चलते बहुत बड़े पैमाने पर प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हो रहा रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के एक अनुमान के मुताबिक भारत में रोजाना करीब 26,000 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है. The Energy and Resources Institute (Teri) द्वारा 2018 में जारी प्लास्टिक कचरे पर एक फैक्ट-शीट के अनुसार, देश में लगभग 43% निर्मित प्लास्टिक का उपयोग पैकेजिंग उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जिनमें से अधिकांश सिंगल यूज प्लास्टिक है. 

गारमेंट्स इंडस्ट्री में सिंगल यूज़्ड प्लास्टिक का होता है इस्तेमाल
फैशन इंडस्ट्री में पैकेजिंग चाहे ऑफलाइन हो या ऑनलाइन हमेशा से एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है. फिर चाहे खुदरा कपड़ों की सुरक्षा हो या मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग की, सभी जगह पैकेजिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह कहा जाता है कि किसी भी प्रोडक्ट को बेचने के लिए पैकेजिंग उस प्रोडक्ट की क्वालिटी से भी ज्यादा हिस्सा होता है. क्या आप जानते हैं कि पैकेजिंग की प्रक्रियाओं से हम किस हद तक अपने जीवन में प्रदूषण बढ़ा रहे हैं? कपड़ों की पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले ज़्यादातर प्रोडक्ट्स में अधिकांश एचडीपीई, एलडीपीई, पॉली प्रोपलीन, पीवीसी और पॉलीस्टाइनिन जैसी औद्योगिक सामग्री शामिल हैं जो सिंगल यूज़्ड प्लास्टिक के कंटेंट होते हैं. ये सिंगल यूज़्ड प्लास्टिक न तो आसानी से पृथ्वी के प्राकृतिक चक्र में घुलते है और न ही इन्हें कभी भी पूरी तरह से नष्ट किया जा सकता है. ये सेहत के लिए बहुत से भी ज़्यादा हानिकारक है.

packaging industry

E-Commerce के चलते पैकेजिंग इंडस्ट्री का ग्रोथ 200% हुआ
भारत दुनिया के वस्त्र और परिधान के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. भारत में घरेलू परिधान और कपड़ा उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5% और मूल्य के संदर्भ में उद्योग के उत्पादन का 7% और देश की निर्यात आय का 12% योगदान देता है. भारत दुनिया में कपड़ा और परिधान का छठा सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है. आकड़ों के मुताबिक भारतीय तकनीकी टेक्सटाइल सेगमेंट लगभग $16 बिलियन है, जो वैश्विक बाजार का लगभग 6% है. भारत वस्त्र मंत्रालय द्वारा जारी एक आकड़े के अनुसार भारत में इ-कॉमर्स बिज़नेस के विस्तार के बाद है फैशन इंडस्ट्री के साथ पिछले दशक से लेकर अब तक पैकेजिंग  इंडस्ट्री में भी 200% तक की बढ़त दर्ज़ हुई है. वही आंकड़ें ये भी कहते है कि भारत में प्रति व्यक्ति  सालाना किसी न किसी तरह से 4.3 kg  पैकेजिंग की खपत देखी गयी है.

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फैशन इंडस्ट्री के लिए पैकैजिंग क्यों ज़रूरी है?
फैशन इंडस्ट्री के अनुसार यदि आप किसी बाज़ार में अपना प्रोडक्ट बेच रहे हैं तो उसमे अलग क्या होगा जो कंज्यूमर्स को अट्रैक्ट करेगा? यही वजह है कि प्रोडक्ट से ज़्यादा पैकेजिंग पर ध्यान दिया जाता है. ऑनलाइन शॉपिंग क्रांति के साथ उत्पाद ब्रांडिंग और मार्केटिंग ने नए आयाम प्राप्त किए हैं. उपभोक्‍तावाद इस समय सबसे उच्‍चतम स्‍तर पर है, जिसमें खरीदार पूर्ण संतुष्टि की इच्छा रखते हैं. 

दुनिया में पैकेजिंग पर $150 बिलियन से अधिक खर्च 
पैकैजिंग इंडस्ट्री के आकड़ों के मुताबिक ग्लोबली फैशन इंडस्ट्री में निर्माता सिर्फ पैकेजिंग पर $150 बिलियन से अधिक खर्च कर रहे हैं. छोटे और मध्यम आकार के खुदरा विक्रेताओं के हर नुक्कड़ और कोने से बढ़ने के साथ पैकेजिंग की परिभाषा में काफी बदलाव आया है. आज के समय में परिधान खुदरा विक्रेताओं के लिए उत्पादों की पैकेजिंग उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि उत्पाद. ग्राहकों की संतुष्टि एक ब्रांड बनाने की कुंजी है और 'फील गुड फैक्टर' पैदा करने   उत्पादों की पैकैजिंग अत्यंत महत्वपूर्ण है.

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पैकेजिंग प्रोडक्ट के सेल और परचेज को प्रभावित करता है
फैशन इंडस्ट्री के एक ग्लोबल सर्वे के अनुसार 52% उपभोक्ता प्रोडक्ट की प्रीमियम पैकेजिंग की वजह से प्रोडक्ट को बार बार खरीदते है. पैकेजिंग के डिजाइन की वजह से उपभोक्ताओं की संख्या में 30% की वृद्धि हुई है. 74 प्रतिशत उपभोक्ता जो 18-25 आयु वर्ग में आते हैं, सोशल मीडिया पर उत्पाद पैकेजिंग तस्वीरें साझा करते हैं. ये आंकड़े इस बात प्रमाण हैं कि प्रोडक्ट पैकेजिंग समय की आवश्यकता है और खुदरा विक्रेता अच्छी उत्पाद पैकेजिंग की तात्कालिकता से बेखबर नहीं रह सकते हैं.

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फैशन से पैदा होने वाले प्रदूषण में कैसे आएगी कमी?
फैशन इंडस्ट्री में पैकैजिंग की वजह से हो रहे प्रदूषण को कम करने को लेकर दुनिया के साथ भारत ने विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है. खाद्य पैकेजिंग, एफएमसीजी, पीईटी बोतलों आदि से प्लास्टिक का रिसाइकिलिंग किया जा रहा है. एबीएफआरएल (ABFRL) और सीएआईएफ (CFIAF) ने इंडस्ट्रीज के साथ सह-निर्माण करने और Ecosystem में नए निर्माताओं और स्टार्ट-अप के साथ मिलकर इस मुद्दे को हल करने के लिए #BetterThanPlastic चैलेंज लॉन्च किया गया. चुनौती का उद्देश्य नई सामग्रियों, प्रणालियों और व्यावसायिक मॉडलों को खोजना है जो प्लास्टिक पैकेजिंग के नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव को रोकने की क्षमता को कम कर सके और आने वाले वर्षों में व्यवसायों में एकीकृत होते हैं.

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भारत में भी आ रहे हैं बदलाव
भारत सरकार “वोकल फॉर लोकल” के माध्यम से सस्टनैबल पैकैजिंग को भी तेज़ी से बढ़ावा दे रही है. वही कई प्रीमियम फैशन ब्रांड्स ने तो प्रोडक्ट पैकैजिंग पर खर्च कम करते हुए आर्गेनिक और सस्टनैबल पैकैजिंग की तरफ रुख कर लिया है.

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