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Intimate Scene कैसे किए जाते हैं शूट ? हीरो-हीरोइन के अलावा सेट पर होते हैं सिर्फ ये लोग

पर्दे पर ऐसे स्टीमी सीन आखिर दिखाए कैसे जाते हैं? इन्हें कैसे फिल्माया जाता है और कितनी मेहनत लगती है ? आपने कभी सोचा ?

Intimate Scene कैसे किए जाते हैं शूट ? हीरो-हीरोइन के अलावा सेट पर होते हैं सिर्फ ये लोग
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डीएनए हिंदी: बॉलीवुड फिल्मों में इंटिमेट सीन होना कहीं कहानी की मांग होती है तो कभी फिल्म को हाईलाइट करवाने के लिए खासतौर पर बोल्ड सीन का प्रमोशन किया जाता है. ऐसे सीन्स को लेकर सिनेमा काफी रियल होने लगा है. ओटीटी हो या बड़ा पर्दा मर्डर, मेड इन हेवन, जिस्म, फोर मोर शॉट्स जैसी फिल्में ऐसे सीन को बड़ी ही सहज तरीके से दिखाती हैं. 

अब सवाल आता है कि पर्दे पर ऐसे स्टीमी सीन आखिर दिखाए कैसे जाते हैं? इन्हें कैसे फिल्माया जाता है और कितनी मेहनत लगती है ? आपने कभी सोचा अगर नहीं तो आज हम आपको बताते हैं कि पर्दे पर एक दूसरे के साथ इतने कंफर्टेबल दिखने वाले स्टार्स आखिर ऐसी केमिस्ट्री कैसे बना लेते हैं कि वो जो करते हैं असल दिखता है. 

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बता दें कि इंटिमेट या लव मेकिंग सीन्स में एक असल और असरदार इफेक्ट के लिए इंटिमेसी डायरेक्टर को काम कर रखा जाता है. हाल में दीपिका पादुकोण की फिल्म गहराइयां के लिए यूक्रेस से इंटिमेसी डायरेक्टर Dar Gai को बुलाया गया था. इंटिमेसी डायरेक्टर एक्टर्स को वर्कशॉप देते हैं और इस बात का ध्यान रखते हैं कि एक्टर्स अनकंफर्टेबल न हों.

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भारत की पहली सर्टिफाइड इंटिमेसी कोऑर्डिनेटर आस्था खन्ना कहती हैं, तीन साल पहले वेस्ट में भी इंटिमेसी कोऑर्डिनेटर का कोई रोल नहीं होता था. मीटू मूवमेंट के बाद साल 2018 में एचबीओ के पहले शो ड्यूस के लिए इंटिमेसी कंसल्टेंट की मदद ली गई थी.

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अब इंटिमेट सीन की शूटिंग से पहले फिल्म एक्टर्स के साथ वर्कशॉप की जाती है, शूटिंग के लिए कुछ नियम तैयार किए जाते हैं. कलाकारों के कंफर्ट का पता लगाया जाता है. साथ ही कपड़ों का भी खास ध्यान रखा जाता है. ऐसे सीन की कोरियोग्राफी बड़े ही ध्यान से की जाती है. ऐसा नहीं है कि सीन एक बार में शूट हो जाते हैं. वह बताती हैं कि एक्टर्स के बीच एक केमिस्ट्री बनाई जाती है और वह तभी बन पाती है जब एक्टर्स को एक दूसरे पर भरोसा हो.

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इस तरह के सीन की शूटिंग में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि सेट पर केवल जरूरी लोग मौजूद हों. इससे एक्टर्स को फोकस रहने और सीन समझने में मदद मिलती है. अगर सेट पर भीड़ हो तो यह एक्टर्स के लिए अनकंफर्टेबल हो सकता है और सीन का मूड भी बिगड़ सकता है.

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