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लेखक-कवि आशुतोष का कोलकाता में निधन, 5 दिन पहले हुई थी बेटे की मौत, 9 नवंबर को लगी थी घर में आग

बिहार में जन्मे आशुतोष रोजी-रोजगार के लिए कोलकाता में जा बसे थे. वहां वे प्रोफेसर थे. 9 नवंबर को कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस रोड स्थित सोहम अपार्टमेंट के उनके फ्लैट में रसोई गैस सिलिंडर से गैस लीक होने की वजह से आग लगी. इस हादसे में उसी दिन बेटे की मौत हो गई थी और आज प्रो. आशुतोष की.

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लेखक-कवि आशुतोष का कोलकाता में निधन, 5 दिन पहले हुई थी बेटे की मौत, 9 नवंबर को लगी थी घर में आग

वरिष्ठ लेखक-कवि आशुतोष (बाएं) का निधन आज हो गया. महज 5 दिन पहले बेटे गौरव की मौत हुई थी.

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डीएनए हिंदी : वरिष्ठ लेखक और कवि आशुतोष का निधन आज कोलकाता में हो गया. बीते 9 नवंबर बुधवार के रोज घर में लगी आग में वे और उनका बेटा निरुपम (पुकारू नाम गौरव) बुरी तरह झुलस गए थे. इस हादसे दिन ही बेटे गौरव की मौत हो गई थी. आशुतोष 65 वर्ष के थे.
बिहार में जन्मे आशुतोष रोजी-रोजगार के लिए कोलकाता में जा बसे थे. वहां वे प्रोफेसर थे. 9 नवंबर को कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस रोड स्थित सोहम अपार्टमेंट के उनके फ्लैट में रसोई गैस सिलिंडर से गैस लीक हो रही थी. उसी बीच प्रो. आशुतोष के बेटे गौरव ने अनजाने में गैस चूल्हा जलाया जिससे रसोई में आग भड़क गई. बेटे को आग के बीच घिरा देख प्रो. आशुतोष उन्हें बचाने गए और वे भी बुरी तरह झुलस गए. हादसे के अगले दिन ही बेटे गौरव की मौत हो गई.

शोक का माहौल
कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर आशुतोष के हमपेशा रहे हिंदी के प्रोफेसर अमरनाथ ने इस हादसे की विस्तृत सूचना साझा की है. उन्होंने बताया कि इस हादसे में बुरी तरह झुलसे उनके बेटे गौरव की मौत गुरुवार को हो गई थी. बेटे की मौत का आभास प्रोफेसर आशुतोष को शायद हो गया था. वे खुद भी गंभीर स्थिति में थे, उस पर जवान बेटे की हुई मौत की पीड़ा से उबर नहीं सके. आज सुबह वरिष्ठ लेखक व कवि आशुतोष ने अंतिम सांस ली. आशुतोष के निधन से रचनाकारों के बीच शोक का माहौल है.

अस्पताल में साथियों और साहित्यप्रेमी उमड़े
प्रो. आशुतोष का निधन चूंकि एक हादसे की वजह से हुआ. इसलिए उनके निधन के बाद लाश का पोस्टमॉर्टम कराया गया. अस्पताल की औपचारिका पूरी करवाने के लिए उनके सहकर्मी और कई साहित्यप्रेमी अस्पताल परिसर में मौजूद रहे. यतीश कुमार, प्रियंकर पालिवाल, रितेश जी समेत उनके साथ कई योजनाओं पर काम कर रहे शोकग्रस्त साथी कानूनी औपचारिकता पूरी करवाने में जुटे रहे. खबर लिखे जाने तक यह तय नहीं हो पाया था कि उनका दाह संस्कार आज ही होगा या कल कराया जाएगा. 

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विद्यार्थियों के प्रति हमदर्द
बता दें कि डॉ. आशुतोष का पूरा नाम आशुतोष प्रसाद सिंह था. प्रोफेसर अमरनाथ के मुताबिक, वे बंगाल के गिने चुने बेहद लोकप्रिय, छात्र-वत्सल, ईमानदार और सुलझे हुए अध्यापकों में से थे. यद्यपि वे विद्यासागर कॉलेज में हिंदी के शिक्षक थे, लेकिन प्रेसीडेंसी कॉलेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय में भी अंशकालिक शिक्षक के रूप में उन्होंने वर्षों तक पढ़ाया था. वे कलकत्ता विश्वविद्यालय में शोध-निदेशक भी रहे. उनके कुशल निर्देशन में कई शोधार्थियों ने शोध कार्य भी पूरा किया है. यूजी बोर्ड ऑफ स्टडीज के सदस्य के रूप में, पेपर सेटर- मॉडरेटर- एग्जामिनर के रूप में वे बेहद ईमानदार, निष्ठावान और विद्यार्थियों के प्रति हमदर्द रहे. 

भागलपुर से खास संबंध 
प्रोफेसर अमरनाथ के मुताबिक, 1997 में ‘अपनी भाषा’ के गठन के समय से ही वे संस्था से जुड़ गए थे और इन दिनों भी वे संस्था के उपाध्यक्ष थे. आशुतोष जी के मित्र दूर-दूर तक फैले हुए हैं. भागलपुर से उनका खास संबंध था. वहीं से उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई थी. अपने छात्र-जीवन से ही उनका झुकाव प्रगतिशील विचारों की ओर था. उनके शिक्षकों में रविभूषण जैसे लोग थे जिनके प्रति उनके मन में अपार आदर और श्रद्धा का भाव  था. वे अपने मैत्री-संबंधों का बहुत ख्याल रखते थे. कोलकाता शहर की अड्डेबाजी वाली संस्कृति को बनाए रखने में हिन्दी भाषियों में आशुतोष जी अन्यतम थे.

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