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B'day Spl: इस एक्ट्रेस ने ठुकरा दिया था दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, 60s के दौर में लेती थीं हीरो से ज्यादा फीस

बॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस Suchitra Sen की बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर जानें उनकी फिल्मी और पर्सनल लाइफ से जुड़ी दिलचस्प बातें.

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B'day Spl: इस एक्ट्रेस ने ठुकरा दिया था दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, 60s के दौर में लेती थीं हीरो से ज्यादा फीस

Suchitra Sen

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डीएनए हिंदी: सिनेमा की दुनिया में एक वक्त पर सबसे बड़ी एक्ट्रेस के तौर पर पहचानी जाने वाली सुचित्रा सेन (Suchitra Sen) की 06 अप्रैल को बर्थ एनिवर्सरी (Birth Anniversary) है. वो इंडस्ट्री की बेबाक एक्ट्रेसेस में गिनी जाती थीं और उनकी बेबाकी से जुड़े किस्से आज भी चर्चा में रहते हैं. सुचित्रा सेन का असली नाम रोमा दासगुप्ता था उनका जन्म 1931 को पवना में हुआ था जो अब बांग्लादेश है. सुचित्रा सेन बॉलीवुड एक्ट्रेस मुनमुनसेन की मां और रिमी और राइमा सेन की नानी थीं. सुचित्रा ने एक वक्त पर दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया था. उनके इस फैसले के पीछे की वजह भी हैरान कर देने वाली थी.

हीरो से ज्यादा फीस

सुचित्रा सेन, साल 1955 में रिलीज हुई 'देवदास' में पारो की भूमिका में नजर आई थीं और इस फिल्म के जरिए वो रातों-रात मशहूर हो गई थीं. उस दौर में कहा जाता था कि पारो के किरदार में सुचित्रा ने अपनी खूबसूरती और अभिनय से जान भर दी थी. इस फिल्म में दिलीप कुमार लीड रोल में थे. इसके अलावा सुचित्रा सेन ने 1975 में रिलीज हुई फिल्म 'आंधी' के जरिए भी जमकर तारीफें बटोरी थीं. सुचित्रा ने अपने करियर में लगभग 61 फिल्में की थीं जिनमें से 30 उत्तम कुमार के साथ थीं. वो 1960s के दौर में हीरो से ज्यादा फीस लेने के लिए चर्चित रही थीं. 1962 में आई फिल्म 'बिपाशा' के लिए उन्हें करीब 1 लाख रुपए फीस के तौर पर मिले थे और उत्तम कुमार की फीस 80 हजार रुपए थी.

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ठुकरा दिया था दादासाहेब फाल्के पुरस्कार

सुचित्रा सेन अपने स्वाभिमान और बेबाकी के लिए जानी जाती थीं. उन्हें अगर किसी भी चीज में कोई बात पसंद नहीं आती थी तो वो सीधे उसे नकार दिया करती थीं. एक बार सुचित्रा ने राज कपूर की एक फिल्म में काम करने का प्रस्ताव इसलिए ठुकरा दिया था क्योंकि राज कपूर द्वारा झुककर फूल देने का तरीका उन्हें पसंद नहीं आया था. सिर्फ यही नहीं उन्होंने किसी बात पर तुनक कर सत्यजीत रे के ऑफर को भी ठुकरा दिया था. उनके इनकार के बाद उन्होंने यह फिल्म बनाने का विचार ही त्याग दिया. वहीं, 2005 में उन्होंने दादासाहेब फाल्के पुरस्कार का प्रस्ताव महज इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि इसके लिए उन्हें कोलकाता छोड़कर दिल्ली जाना पड़ता. बता दें कि 17 जनवरी 2014 को दिल का दौरा पड़ने से 82 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गयी थी.

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