Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Long Covid से डरने की जरूरत है या नहीं, समझिए नई स्टडी कैसे दे रही है गुड न्यूज

Long Covid Impact: लॉन्ग कोविड के तमाम खतरों की चर्चा के बीच एक स्टडी ने कहा है कि इसे बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है.

Long Covid से डरने की जरूरत है या नहीं, समझिए नई स्टडी कैसे दे रही है गुड न्यूज

Long Covid Impact

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: साल 2022 में शुरू हुए कोरोना वायरस (Coronavirus) ने दुनियाभर में जमकर तबाही मचाई. एक बार फिर से कोरोना ने चीन समेत कई देशों में हाहाकार मचा दिया है. इस बीच लॉन्ग कोविड के खतरों (Long Covid Risk) को लेकर भी खूब चर्चा है. लोग जानना चाहते हैं कि लॉन्ग कोविड इंसान के शरीर को गंभीर तौर पर नुकसान पहुंचा सकता है या नहीं. इस बीच एक ऐसी स्टडी आई है जिसने लोगों को खुशखबरी दी है. यह स्टडी यूके के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स ने की है. इससे पहले भी इस संस्था ने दो स्टडी की हैं. इन तीनों की स्टडी यह बताती है कि लॉन्ग कोविड से ज्यादा डरने की ज़रूरत नहीं है.

इन तीनों रिपोर्ट के आधार पर वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने लॉन्ग कोविड को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताया है. जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. मार्टी मैकरी के लिखे कॉलम में बताया गया है, "कई बार ऐसा होता है कि हम हल्की थकान और कमजोरी महसूस करते हैं. बीमार होने के बाद या अच्छे से खाना ना खाने पर यह कई हफ्तों  तक होता है. यह बिल्कुल सामान्य है. इन बातों को लॉन्ग कोविड कहना ठीक नहीं है."

यह भी पढ़ें- कोरोना की BF.7 के रूप में वापसी, ठंड में तबाही की आशंका, इन लक्षणों पर रखें नजर

संक्रमित हुए लोगों को नहीं हुईं ज्यादा समस्याएं
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के एक जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में 1,000 से ज्यादा लोगों को हुए सांस से जुड़े इन्फेक्शन का जिक्र किया गया है. सर्वे के मुताबिक, तीन महीने के बाद जब कोविड संक्रमित लोगों का चेकअप किया गया तो उसमें से 39.6 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिन्हें सांस से जुड़ी समस्याएं थीं. हालांकि, ऐसे लोग जिन्हें कभी कोविड नहीं हुआ था उसमें से 53.5 प्रतिशत ऐसे लोग थे जिन्हें सांस से संबंधी दिक्कत हुई.

यह भी पढ़ें- ओमिक्रॉन BF.7 बढ़ने के साथ दिख रहे ये 10 लक्षण, क्यों हैं ये संकेत ज्यादा डरावने

1,000 लोगों में से 722 लोग ऐसे थे जिन्हें कोरोना हुआ था और 272 लोगों को सांस से जुड़ी अन्य समस्याएं थीं. वहीं, 41 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनकी उम्र 18 से 34 साल थी. इसमें, 66 प्रतिशत महिलाएं थीं. कुल मिलाकर यह स्टडी बताती है कि कोरोना संक्रमित हुए लोगों को कोरोना से संक्रमित न हुए लोगों की तुलना में कम समस्याएं हुईं. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement