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QR Code in Medicine: खरीदने के बाद 10 सेकेंड में पता करें दवा असली है या नकली

कई बार दुकानदार लोगों को नकली दवा देकर उनसे पैसे ऐंठ लेते हैं लेकिन अब आप आसानी से दवा की सत्यता चेक कर सकते हैं.

QR Code in Medicine: खरीदने के बाद 10 सेकेंड में पता करें दवा असली है या नकली
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डीएनए हिंदी: मेडिकल सेक्टर में खूब धोखाधड़ी होती रहती है जिससे लोगों को आए दिन दो-चार होना पड़ता है. आप अगर मेडिकल स्टोर या ऑनलाइन तरीके दवाइयां (QR Code in Medicine) खरीदते हैं तो यह लोगों के लिए यह पता करना मुश्किल होता है कि दवा असली है या नकली. इसी समस्या को सुलझाने के लिए अब एक नया तरीका निकाला गया है जिससे 10 सेकेंड में लोगों को दवा के असली या नकली होने का पता चल जाएगा. 

दरअसल, केंद्र सरकार ने दवाओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (Active Pharmaceutical Ingredient-APIs) पर क्यूआर कोड ( QR Code) लगाना अनिवार्य कर दिया था. इसके तहत ड्रग प्राइसिंग अथॉरिटी ने (Drug Pricing Authority DPA - दवा नियामक प्राधिकरण) 300 दवाइयों पर QR कोड लगाने की घोषणा की है. 

क्या होगा इसका फायदा

केंद्र के इस फैसले के असर को लेकर माना जा रहा है कि इस कदम से दवाओं की बिक्री और कीमतों में पारदर्शिता आएगी. इसके साथ ही कालाबाजारी पर भी लगाम कसेगी. इस लिस्ट पेन रिलीफ, विटामिन्स के सप्लीमेंट, ब्लड प्रेशर, शुगर और कॉन्ट्रासेप्टिव की दवाओं को शामिल किया गया है. 

खबरों के अनुसार नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग ऑथॉरिटी ने इसमें बड़े ब्रांड जैसे डोलो (Dolo), सैरिडॉन (Saridon), फैबीफ्लू (Fabiflu), इकोस्पिरिन (Ecosprin), लिम्सी (Limcee), सुमो (Sumo), कैलपोल (Calpol), कॉरेक्स सीरप (Corex syrup), अनवांटेड (Unwanted 72) और थाइरोनॉर्म (Thyronorm) जैसे बड़े ब्रांड शामिल किए हैं. 

पापुलर दवाओं में होगा इस्तेमाल

आपको बता दें कि ये सभी दवाएं बहुत पॉपुलर हैं और बुखार, सिरदर्द, वायरल, विटामिन डेफिसिएंसी, खांसी, थाइरॉइड और कॉन्ट्रॉसेप्टिव के लिए दी जाती हैं. इनके सालभर के टर्नओवर पर किया गया है। इन दवाओं की एक लिस्ट हेल्थ मिनिस्ट्री को भेजा गया है। ताकि QR कोड के तहत लाने के लिए इनमें जरूरी बदलाव किए जा सकें.

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API में QR कोड लगाने (QR Code in Medicine) से इस बात का भी पता लगाया जा सकेगा कि दवा को बनाने में कहीं फॉर्मूले में तो कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई है. इसके साथ ही कच्चा माल कहां से आया है और यह प्रोडक्ट कहां जा रहा है. ऐसी तमाम जानकारी मिल सकेगी. बता दें कि गुणवत्ता से हल्की क्वॉलिटी, नकली या फिर खराब API से बनी दवाओं का मरीज को फायदा नहीं मिलता है. इसीलिए सरकार ने क्यू आर कोड लगाने का फैसला किया है.

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