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Mentally और Physically ज्यादा थकान तो महसूस नहीं होती आपको? हो सकते हैं Burnout Syndrome के शिकार

Burnout Syndrome: आजकल खासतौर से नौकरीपेशा लोगों में बर्नआउट सिंड्रोम की समस्या तेजी से बढ़ रही है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह 3 तरह का होता है. आइए जानते हैं इसके बारे में...

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Mentally और Physically ज्यादा थकान तो महसूस नहीं होती आपको? हो सकते हैं Burnout Syndrome के शिकार

बर्नआउट सिंड्रोम

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आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी, ऑफिस में काम का प्रेशर और अन्य कई वजहों से तनाव और थकान होना आम है. लेकिन, अगर आप हमेशा मेंटली और फिज़िकली अत्यधिक थकावट महसूस करते हैं तो इस समस्या को हल्के में न लें. क्योंकि यह बर्नआउट सिंड्रोम (What is Burnout Syndrome) के कारण भी हो सकता है. आजकल खासतौर से नौकरीपेशा लोगों में ये समस्या तेजी से बढ़ रही है. हाल ही में हुए एक स्टडी के मुताबिक भारत में बर्नआउट सिंड्रोम के मामले दुनिया के किसी भी देश की तुलना में काफी ज्यादा हैं. 

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक बर्नआउट सिंड्रम (Burnout Syndrome) 3 तरह का होता है, पहला ओवरलोड, दूसरा अंडरचैलेंज्ड और तीसरा है नेग्लेक्ट बर्नआउट सिंड्रोम. ऐसे में इस समस्या के बारे में आपको जानकारी होना जरूरी है. आइए जानते हैं बर्नआउट सिंड्रोम क्या है और इससे बचाव कैसे करें....

आसान भाषा में समझें क्या है बर्नआउट सिंड्रोम 

हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार अगर आप लंबे समय से घर या ऑफिस में किसी तरह का प्रेशर झेल रहे हैं या फिर आपको बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है तो आप इसकी वजह से बर्नआउट सिंड्रोम के शिकार हो सकते हैं. इसके अलावा रोज एक ही तरह का रूटीन, काम में मन न लगना और छुट्टी में भी काम के बारे में सोचना या फिर वर्कप्लेस स्ट्रेस की वजह से आपको बर्नआउट सिंड्रोम का सामना करना पड़ सकता है. 

बर्नआउट सिंड्रोम के आम लक्षण 

  • एनर्जी में कमी महसूस होना 
  • गुस्सा और चिड़चिड़ापन 
  • कुछ भी करने में मन न लगना
  • अपनी नौकरी ना पसंद करना
  • नींद की समस्या 
  • आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में कमी 
  • पैनिक अटैक 
  • ऑफिस पहुंचते ही टेंशन का बढ़ना 
  • नींद लेने के बाद भी थकान होना

बर्नआउट सिंड्रोम से बचाव कैसे करें 

बर्नआउट सिंड्रोम से बचाव के लिए कामकाज और जीवन में संतुलन बनाए रखना बहुत ही जरूरी है. साथ ही यह देखना भी जरूरी है कि हमारा तनाव किन-किन कारणों से बढ़ता है और खाली समय में ऐसा काम करें जिससे आपको खुशी महसूस हो. इसके अलावा किताबें पढ़ें, मेडिटेशन करें और छुट्टियों वाले दिन कहीं घूमने-फिरने निकल जाएं.

Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.

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