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Piles: इस बीमारी से राहत दिलवा सकती है यह ज़बर्दस्त Home Remedy, डाइट चार्ट भी करें फॉलो

Piles कैसी होती है, इसके कारण और निवारण क्या है. पाइल्स मरीजों को क्या खाना चाहिए क्या नहीं. बवासीर के बारे में यहां जानें सब कुछ

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Piles: इस बीमारी से राहत दिलवा सकती है यह ज़बर्दस्त Home Remedy, डाइट चार्ट भी करें फॉलो
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डीएनए हिंदी: बवासीर (Piles) को आमतौर पर पाइल्स कहा जाता है. यह बीमारी आपको कैसे और कब हो जाती है पता ही नहीं चलता.दरअसल, लगातार कब्ज की शिकायत होने पर और टाईट दस्त के कारण ही यह ज्यादा बढ़ जाती है. जब एनस के बाहरी और अंदर के हिस्सों में सूजन आ जाती है तब पाइल्स की शिकायत बढ़ती है. इस बीमारी में न तो आप आराम से बैठ पाते हैं और ना ही खड़े हो पाते हैं. लगातार एक असहजता का एहसास बना रहता है.

यह इसलिए भी हो जाती है कि क्योंकि गर्भावस्था के दौरान इन नसों पर काफी दबाव पड़ता है जिसकी वजह से बाद में यह शिकायत होती है.वैसे तो सुनने में यह बीमारी बहुत ही दर्दनाक लगती है लेकिन अगर सही समय पर इसका इलाज किया जाए तो इससे निजात पाया जा सकता है . आज हम इसके कारण और इसके उपचार पर बात करेंगे. वैसे तो हर बीमारी का इलाज एलोपैथी में जरूर होता है लेकिन इस बीमारी में होमिएपैथी और आयुर्वेद काफी कारगर है. 

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बवासीर कितने प्रकार की है  (Types of Piles) 

बवासीर अंदरुनी और बाहरी होती है. एक बवासीर एनस के अंदर की ओर होती है और दूसरी बाहर की ओर. दोनों ही रूप में सूजन और दर्द बना रहता है. 


बवासीर के कारण और लक्षण  (Causes of Piles in Hindi)

  • गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं में यह अधिक नियमित रूप से होता है, क्योंकि जैसे-जैसे गर्भाशय फैलता है, यह कोलन में वेइन पर दबाव डालता है, जिससे यह सूज जाता है
  • बुढ़ापा: ये बड़ों के बीच दिखाई देते हैं, आयु वर्ग को 45 से 65 वर्ष में वर्गीकृत किया जा सकता है. इसका मतलब यह नहीं है कि यह यंगस्टर्स और बच्चों को नहीं होता है
  • दस्त: लगातार बार-बार दस्त होने पर यह समस्या हो सकती है
  • पुराना कब्ज: मल को मूव करने के लिए दबाव डालने से नसों के डिवाइडर पर अतिरिक्त भार पड़ता है
  • बैठने का जोखिम: लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहना, इस समस्या को विशेष रूप से ड्राइविंग, सिलाई और आईटी के पेशे वाले लोगों के साथ देखा जाता है
  • भारी सामान उठाना- बार-बार पर्याप्त वस्तुओं को उठाना
  • गुदा मैथुन(एनल इंटरकोर्स): इस प्रकार का संभोग, नए बवासीर पैदा कर सकता है या जो बवासीर पहले से मौजूद हैं उन्हें और बढ़ा सकता है
  • वजन: आहार से संबंधित करपुलेन्स
  • जेनेटिक्स: कुछ व्यक्तियों में जेनेटिक्स के कारण ये समस्या उत्पन्न होती है

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बवासीर का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है?

अगर आपको एक्सटर्नल बवासीर की समस्या है तो आपका डॉक्टर केवल उस स्थान को देखकर जांच कर सकता है. इंटरनल बवासीर के लिए टेस्ट और तकनीक में आपके बट-सेंट्रिक ट्रेंच और मलाशय (रेक्टम) का परिक्षण शामिल हो सकता है


बवासीर का इलाज कैसे करें, उपचार  (Treatment of Piles patient at home in Hindi)


इस बीमारी में एलोपैथी इलाज तो है ही लेकिन कुछ घरेलू उपचार से आप इसे काफी हद तक कम कर सकते है.

  • टॉयलेट जाते समय कभी भी टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल न करें, यह खुरदरा और परेशान करने वाला हो सकता है, इसके बजाय वेट वाइप्स का उपयोग करें. ध्यान रहे कि यह बिना सुगंध वाला होना चाहिए.
  • अपने खाने में फाइवर की मात्रा बढ़ा दें, जैसे सूप और सलाद, हरी सब्जियां और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ
  • जितना हो सके लिक्विड डाइट लें और पानी पीते रहें 
  • बर्फ से एनस में हल्की मसाज करें, इससे आराम मिलेगा, कोल्ड पैक का इस्तेमाल करें 
  • कुछ प्राणायम और योगासन से आपको पाइल्स में आराम मिलता है


    बवासीर मरीज का डाइट चार्ट (Piles patient diet chart in Hindi)
     
  • बवासीर के मरीज को मसालेदार खाना, तेल की चीजें कम खानी चाहिए 
  • जितना हो सके बाहर के खाने,जंक फूड से परहेज करनी चाहिए 
  • नशीली चीजें, जैसे सिगरेट, तंबाकू और एलकोहल से दूर रहना चाहिए 
  • फाइबर युक्त सब्जियां और पानी खूब पीना चाहिए 

    रोगियों को हरी पत्तेदार सब्जियां खाना चाहिए क्योंकि इनमें भरपूर मात्रा में कई एंटी ऑक्सीडेंट और पोषक तत्व होते हैं. पत्तेदार सब्जियां खाने से पाचन बेहतर होता है. बवासीर के मरीजों को पालक, पत्ता गोभी, शतावरी, फूलगोभी खीरा, गाजर, प्याज आदि का सेवन करना चाहिए.

    इसके अलावा उन्हें दिन में कम से कम 3 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए, क्योंकि अधिक पानी पीने से टॉक्सिंस यानी विषाक्त पदार्थ पेशाब के जरिए बाहर निकल जाते हैं. वहीं, कब्ज की समस्या भी ठीक होती है और शौच के समय कम तकलीफ होती है.
  • बवासीर के मरीजों को ओट्स, ब्राउन राइस, मल्टी ग्रेन ब्रेड आदि का सेवन करना चाहिए. ये आसानी से पच जाते हैं और शौच में दिक्कत नहीं होती है. दही या छाछ के सेवन से पाचन बेहतर होता है, जिससे मल त्याग में समस्या नहीं होती है

    Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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